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ग्वालियर में अधूरे ज्ञान के साथ डिग्री ले रहे हैं आयुर्वेदिक डॉक्टर, GRMC से नहीं मिल रहा शोध के लिए शव

ग्वालियर आयुर्वेदिक महाविद्यालय में आयुर्वेदिक डॉक्टर अधूरे ज्ञान के साथ डिग्री लेने को मजबूर हैं, दरअसल ग्वालियर जीआरएमसी छात्रों को शोध के लिए शव नहीं दे रहा है. आइए जानते हैं क्या है वजह - Gwalior Ayurvedic College

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ग्वालियर में अधूरे ज्ञान के साथ डिग्री ले रहे हैं आयुर्वेदिक डॉक्टर
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Published : Aug 29, 2022, 5:17 PM IST

Updated : Aug 29, 2022, 5:49 PM IST

ग्वालियर। कहते हैं कि डॉक्टर से धरती का भगवान होता है लेकिन इन्हीं धरती के भगवानों के साथ ग्वालियर के आयुर्वेदिक महाविद्यालय में दुर्व्यवहार किया जा रहा है. ग्वालियर में स्थित शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में पढ़ने वाले बीएमएस के छात्रों को अधूरा ज्ञान के साथ डॉक्टर की डिग्री दी जा रही है, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस महाविद्यालय से निकलने वाली डॉक्टर कैसे मरीजों का इलाज कर पाएंगे. दरअसल मामला यह है कि शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में पिछले 20 साल से बॉडी न होने के कारण पढ़ने वाले बीएएमएस के छात्रों को शारीरिक संरचना का ज्ञान और उपचार सीखने से बंचित हो रहे है, अभी तक इस महाविद्यालय से 1500 से अधिक बीएमएस के ऐसे छात्र हैं जो बिना शारीरिक संरचना संरचना और उपचार के ज्ञान के बिना डिग्री लेकर निकल निकल गये हैं.Gwalior Ayurvedic College

ग्वालियर में अधूरे ज्ञान के साथ डिग्री ले रहे हैं आयुर्वेदिक डॉक्टर

2003 के बाद नहीं दिया गया शव: बता दें ग्वालियर में आयुर्वेदिक महाविद्यालय में पढ़ने बाले बीएएमएस के छात्रों की पढ़ाई के लिए एनाटॉमी विभाग पिछले 20 सालों से शव (कैडेवर) उपलब्ध नहीं करा पा रहा है और इस उपलब्धता न होने से उन्हें शारीरिक संरचना का पूरा ज्ञान और उपचार सीखने को नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में छात्रों को डिग्री तो मिल रही है, लेकिन व्यवहारिक और भौतिक ज्ञान के अभाव में मरीज का बेहतर इलाज कैसे कर पाएंगे. हालात यह है कि साल 2003 के बाद आयुर्वेदिक कॉलेज को जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज में शव नहीं दिया है, जिसके कारण आयुर्वेदिक कॉलेज में पढ़ने वाले बीएमएस के छात्रों को शारीरिक संरचना का बयान का ज्ञान और उपचार सीखने का मौका नहीं मिल पा रहा है.

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आदेश का नहीं हो पा रहा पालन: पिछले लगभग 20 सालों में आयुर्वेदिक कॉलेज से 15 सौ से अधिक छात्र डॉक्टर बन चुके हैं और इन डॉक्टरों ने एक बार भी भौतिक रूप से मानव शव का बिच्छेदन अपनी आंखों से नहीं किया है, छात्रों को सिर्फ मॉडल की मदद से शारीरिक संरचना की शिक्षा दी गई है. इसको लेकर आयुर्वेदिक महाविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि "कई भारत जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज को पत्राचार कर चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें शव प्राप्त नहीं हो पाया है." इसी के साथ आयुर्वेदिक कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उत्कृष्ट कल्याणकर का कहना है कि "आयुर्वेदिक कॉलेज को देहदान का अधिकार नहीं है, यह अधिकार सिर्फ जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज को है. प्रदेश सरकार के जारी आदेश के अनुसार आयुर्वेदिक कॉलेज को शव की उपलब्धता पूर्ति मेडिकल कॉलेज कराएगा, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हो पा रहा है." वही जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग अध्यक्ष डॉक्टर सुधीर सक्सेना का कहना है कि "आयुर्वेदिक कॉलेज की ओर से मुझे अभी तक संपर्क नहीं किया है, मैं इस मामले को लेकर डीन से बातचीत करूंगा और हर संभव प्रयास करूंगा कि जल्द से जल्द आयुर्वेदिक महाविद्यालय के छात्रों को शव प्राप्त हो सके."

ग्वालियर। कहते हैं कि डॉक्टर से धरती का भगवान होता है लेकिन इन्हीं धरती के भगवानों के साथ ग्वालियर के आयुर्वेदिक महाविद्यालय में दुर्व्यवहार किया जा रहा है. ग्वालियर में स्थित शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में पढ़ने वाले बीएमएस के छात्रों को अधूरा ज्ञान के साथ डॉक्टर की डिग्री दी जा रही है, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस महाविद्यालय से निकलने वाली डॉक्टर कैसे मरीजों का इलाज कर पाएंगे. दरअसल मामला यह है कि शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में पिछले 20 साल से बॉडी न होने के कारण पढ़ने वाले बीएएमएस के छात्रों को शारीरिक संरचना का ज्ञान और उपचार सीखने से बंचित हो रहे है, अभी तक इस महाविद्यालय से 1500 से अधिक बीएमएस के ऐसे छात्र हैं जो बिना शारीरिक संरचना संरचना और उपचार के ज्ञान के बिना डिग्री लेकर निकल निकल गये हैं.Gwalior Ayurvedic College

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2003 के बाद नहीं दिया गया शव: बता दें ग्वालियर में आयुर्वेदिक महाविद्यालय में पढ़ने बाले बीएएमएस के छात्रों की पढ़ाई के लिए एनाटॉमी विभाग पिछले 20 सालों से शव (कैडेवर) उपलब्ध नहीं करा पा रहा है और इस उपलब्धता न होने से उन्हें शारीरिक संरचना का पूरा ज्ञान और उपचार सीखने को नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में छात्रों को डिग्री तो मिल रही है, लेकिन व्यवहारिक और भौतिक ज्ञान के अभाव में मरीज का बेहतर इलाज कैसे कर पाएंगे. हालात यह है कि साल 2003 के बाद आयुर्वेदिक कॉलेज को जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज में शव नहीं दिया है, जिसके कारण आयुर्वेदिक कॉलेज में पढ़ने वाले बीएमएस के छात्रों को शारीरिक संरचना का बयान का ज्ञान और उपचार सीखने का मौका नहीं मिल पा रहा है.

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Last Updated : Aug 29, 2022, 5:49 PM IST
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