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बाजारों में धड़ल्ले से बिक रहा नकली सैनिटाइजर, स्वास्थ्य के लिए है बेहद खतरनाक

तेजी से फैलते कोरोना संक्रमण के बीच इस वक्त सबसे ज्यादा डिमांड सैनिटाइजर की है. संक्रमण को रोकने के लिए सैनिटाइजर बचाव का सबसे उपयोगी साधन है. कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में सैनिटाइजर की कमी देखने को मिली थी. लेकिन अब बजारों में पर्याप्त सैनिटाइजर मिल रहा है. जहां नकली सैनिटाइजर धड़ल्ले से मार्केट में बेचा जा रहा है.

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Published : Aug 26, 2020, 8:07 PM IST

mandla news
नकली सैनिटाइजर

ग्वालियर। इस समय पूरे देश में कोरोना का संक्रमण लगातार फैल रहा है. यही वजह है कि, संक्रमण से बचने के लिए मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग इस वक्त सबसे जरुरी है. कोविड-19 के शुरुआती दिनों में जहां बाजारों में सैनिटाइजर की कमी देखने को मिली थी. लेकिन अब पर्याप्त मात्रा में सैनिटाइजर मिल रहा है. लिहाजा अब नकली सैनिटाइजर भी धड़ल्ले से मार्केट में बेचा जा रहा है. जो लोगों के लिए काफी हानिकारक है. फिलहाल ऐसी किसी टीम का गठन नहीं हुआ है, जो नकली और असली सैनिटाइजर की पहचान कर सके.

बाजारों में धड़ल्ले से बिक रहा नकली सैनिटाइजर

अधिकारी ने कहा- कराई जाएगी जांच

कोरोना संक्रमण से पहले बहुत कम कंपनियां सैनिटाइजर बनाती थी, लेकिन अब कोविड के बाद से तेजी से सैनिटाइजर का निर्माण किया जा रहा है. लिहाजा नकली सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां बजारों में उतर चुकी हैं. इस कारण असली और नकली सैनिटाइजर की पहचान ही नहीं हो पा रही है. ग्वालियर में सैनिटाइजर अब पर्याप्त मात्रा में मिल रहा है. लेकिन यहां किसी को यह पता नहीं है कि, वो असली सैनिटाइजर खरीद रहा है या नकली. जब इस मामले को ईटीवी भारत ने ग्वालियर जिला प्रशासन के सामने उठाया, तो कोविड-19 नोडल प्रभारी किशोर कन्याल ने इस मामले में जांच कराने की बात कही है. उन्होंने कहा कि, ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है, लेकिन इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी निगरानी कर रहे हैं. अगर ऐसी कोई शिकायत आती है, तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी.

असली सैनिटाइजर में मिलाया जाता है 70 प्रतिशत एल्कोहल

जीवाजी विश्वविद्यालय की सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर साधना श्रीवास्तव का कहना है कि, इस संक्रमण काल में सैनिटाइजर लोगों की जरूरत बन चुका है. यही वजह है कि, इसकी डिमांड बढ़ने के कारण बाजार में कई कंपनियां ऐसी हैं, जो नकली सैनिटाइजर बना रही हैं. यह लोगों के लिए बहुत ही हानिकारक होता है. असली सैनिटाइजर बनाने के लिए 70% एल्कोहल या आइसो प्रोफाइल अल्कोहल की जरूरत होती है. जो वायरस को खत्म करने में मदद करता है. अगर इससे कम प्रतिशत में हम अल्कोहल का उपयोग करते हैं, तो वायरस को किल नहीं कर पाएंगे.

नकली सैनिटाइजर में मिलाया जाता है मिथनॉल

डॉक्टर साधना श्रीवास्तव ने बताया कि, अब कुछ कंपनियां ऐसी हैं जो सस्ता सैनिटाइजर बनाने के लिए मिथनॉल का उपयोग कर रही हैं. ऐसे सैनिटाइजर का उपयोग करने से शरीर का नर्वस सिस्टम को पूरी तरह से खत्म हो जाता है. सैनिटाइजर को लेकर आम लोग भी भ्रमित हैं. लोगों का कहना है, बाजार में नकली सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियों की बाढ़ आ चुकी है इस कारण अब यह पता नहीं लग पा रहा है कि, कौन सा सैनिटाइजर असली है और कौन सा नकली. अब ऐसी कंपनियां सैनिटाइजर बना रही हैं, जो कभी सैनिटाइजर बनाने का काम भी नहीं करती थीं. इस दिशा में प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि असली और नकली सैनिटाइजर की पहचान हो सके.

ग्वालियर। इस समय पूरे देश में कोरोना का संक्रमण लगातार फैल रहा है. यही वजह है कि, संक्रमण से बचने के लिए मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग इस वक्त सबसे जरुरी है. कोविड-19 के शुरुआती दिनों में जहां बाजारों में सैनिटाइजर की कमी देखने को मिली थी. लेकिन अब पर्याप्त मात्रा में सैनिटाइजर मिल रहा है. लिहाजा अब नकली सैनिटाइजर भी धड़ल्ले से मार्केट में बेचा जा रहा है. जो लोगों के लिए काफी हानिकारक है. फिलहाल ऐसी किसी टीम का गठन नहीं हुआ है, जो नकली और असली सैनिटाइजर की पहचान कर सके.

बाजारों में धड़ल्ले से बिक रहा नकली सैनिटाइजर

अधिकारी ने कहा- कराई जाएगी जांच

कोरोना संक्रमण से पहले बहुत कम कंपनियां सैनिटाइजर बनाती थी, लेकिन अब कोविड के बाद से तेजी से सैनिटाइजर का निर्माण किया जा रहा है. लिहाजा नकली सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां बजारों में उतर चुकी हैं. इस कारण असली और नकली सैनिटाइजर की पहचान ही नहीं हो पा रही है. ग्वालियर में सैनिटाइजर अब पर्याप्त मात्रा में मिल रहा है. लेकिन यहां किसी को यह पता नहीं है कि, वो असली सैनिटाइजर खरीद रहा है या नकली. जब इस मामले को ईटीवी भारत ने ग्वालियर जिला प्रशासन के सामने उठाया, तो कोविड-19 नोडल प्रभारी किशोर कन्याल ने इस मामले में जांच कराने की बात कही है. उन्होंने कहा कि, ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है, लेकिन इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी निगरानी कर रहे हैं. अगर ऐसी कोई शिकायत आती है, तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी.

असली सैनिटाइजर में मिलाया जाता है 70 प्रतिशत एल्कोहल

जीवाजी विश्वविद्यालय की सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर साधना श्रीवास्तव का कहना है कि, इस संक्रमण काल में सैनिटाइजर लोगों की जरूरत बन चुका है. यही वजह है कि, इसकी डिमांड बढ़ने के कारण बाजार में कई कंपनियां ऐसी हैं, जो नकली सैनिटाइजर बना रही हैं. यह लोगों के लिए बहुत ही हानिकारक होता है. असली सैनिटाइजर बनाने के लिए 70% एल्कोहल या आइसो प्रोफाइल अल्कोहल की जरूरत होती है. जो वायरस को खत्म करने में मदद करता है. अगर इससे कम प्रतिशत में हम अल्कोहल का उपयोग करते हैं, तो वायरस को किल नहीं कर पाएंगे.

नकली सैनिटाइजर में मिलाया जाता है मिथनॉल

डॉक्टर साधना श्रीवास्तव ने बताया कि, अब कुछ कंपनियां ऐसी हैं जो सस्ता सैनिटाइजर बनाने के लिए मिथनॉल का उपयोग कर रही हैं. ऐसे सैनिटाइजर का उपयोग करने से शरीर का नर्वस सिस्टम को पूरी तरह से खत्म हो जाता है. सैनिटाइजर को लेकर आम लोग भी भ्रमित हैं. लोगों का कहना है, बाजार में नकली सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियों की बाढ़ आ चुकी है इस कारण अब यह पता नहीं लग पा रहा है कि, कौन सा सैनिटाइजर असली है और कौन सा नकली. अब ऐसी कंपनियां सैनिटाइजर बना रही हैं, जो कभी सैनिटाइजर बनाने का काम भी नहीं करती थीं. इस दिशा में प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि असली और नकली सैनिटाइजर की पहचान हो सके.

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