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दूध में घोलकर चंबल में बांटी जा रही है 'मौत', ETV भारत का बड़ा खुलासा - नकली दूध

बाजारवाद की दौड़ में नकलवाद भी पीछे नहीं है और हर उत्पाद का हुबहू स्वरूप मौजूद है, जिसे देखकर असली-नकली के बीच फर्क कर पाना बेहद मुश्किल है, यही वजह है कि ग्वालियर-चंबल में खुलेआम सफेद जहर तैयार किया जा रहा है और उसे पड़ोसी राज्यों तक पहुंचाया भी जा रहा है. जिसकी पड़ताल कर ETV भारत ने ऐसे कारोबार का पर्दाफाश किया है, जिसके जरिये लोगों को मीठा जहर पिलाया जा रहा है.

नकली दूध का खुलासा
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Published : Jul 24, 2019, 7:05 PM IST

Updated : Jul 24, 2019, 8:16 PM IST

ग्वालियर। बागी-बीहड़ के लिए बदनाम ग्वालियर चंबल अब सफेद जहर के काले कारोबार का गढ़ बन चुका है और इस जहर को आसपास के राज्यों में भी धड़ल्ले से पहुंचाया जा रहा है. ईटीवी भारत ने सफेद जहर के काले कारोबार की पड़ताल की तो पता चला कि जिस दूध का उपयोग लोग अच्छी सेहत के लिए करते हैं, वही दूध उनको मौत के मुंह में धकेल रहा है. त्योहारी सीजन में इस दूध की डिमांड और भी बढ़ जाती है. अब आपको बताते हैं कि कैसे तैयार किया जाता है सफेद जहर.

नकली दूध का कारोबार

हमारी टीम ने ज्यादातर गांवों की पड़ताल की. जहां नकली दूध तैयार किया जाता है, घंटों खाक छानने के बाद कई हुनरमंदों से मुलाकात भी हुई. जिन्होंने नाम छिपाने की शर्त पर सफेद जहर बनाने की पूरी विधि विस्तार से बतायी और ये भी बताया कि गाय-भैंस के दूध में एक-दो रुपये का मुनाफा होता है, जबकि सिंथेटिक दूध में लागत से चार गुना अधिक मुनाफा होता है. तो सुना आपने ज्यादा कमाई के लिए कैसे लोगों को गंभीर बीमारियां बांटी जा रही हैं. घटिया रिफाइंड, डिटर्जेंट पाउडर और दूध के पाउडर को पानी में अच्छी तरह से मिलाकर तैयार किया जाने वाला सफेद जहर कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.

अकेले मुरैना जिले में 12 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिसमें करीब 5 लाख लीटर दूध बाहर भेज दिया जाता है, मतलब जिले में सिर्फ 7 लाख लीटर दूध बचता है, जबकि आसपास के फैक्ट्री और चिलर सेंटर मिलकर एक साल में लगभग 20 लाख लीटर दूध की सप्लाई करते हैं. इस जिले में 500 से ज्यादा छोटे-बड़े चिलर सेंटर और डेयरी संचालित हो रहे हैं, करीब यही हाल बाकी जिलों का भी है. सफेद जहर के इस कारोबार पर प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है.

ग्वालियर। बागी-बीहड़ के लिए बदनाम ग्वालियर चंबल अब सफेद जहर के काले कारोबार का गढ़ बन चुका है और इस जहर को आसपास के राज्यों में भी धड़ल्ले से पहुंचाया जा रहा है. ईटीवी भारत ने सफेद जहर के काले कारोबार की पड़ताल की तो पता चला कि जिस दूध का उपयोग लोग अच्छी सेहत के लिए करते हैं, वही दूध उनको मौत के मुंह में धकेल रहा है. त्योहारी सीजन में इस दूध की डिमांड और भी बढ़ जाती है. अब आपको बताते हैं कि कैसे तैयार किया जाता है सफेद जहर.

नकली दूध का कारोबार

हमारी टीम ने ज्यादातर गांवों की पड़ताल की. जहां नकली दूध तैयार किया जाता है, घंटों खाक छानने के बाद कई हुनरमंदों से मुलाकात भी हुई. जिन्होंने नाम छिपाने की शर्त पर सफेद जहर बनाने की पूरी विधि विस्तार से बतायी और ये भी बताया कि गाय-भैंस के दूध में एक-दो रुपये का मुनाफा होता है, जबकि सिंथेटिक दूध में लागत से चार गुना अधिक मुनाफा होता है. तो सुना आपने ज्यादा कमाई के लिए कैसे लोगों को गंभीर बीमारियां बांटी जा रही हैं. घटिया रिफाइंड, डिटर्जेंट पाउडर और दूध के पाउडर को पानी में अच्छी तरह से मिलाकर तैयार किया जाने वाला सफेद जहर कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.

अकेले मुरैना जिले में 12 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिसमें करीब 5 लाख लीटर दूध बाहर भेज दिया जाता है, मतलब जिले में सिर्फ 7 लाख लीटर दूध बचता है, जबकि आसपास के फैक्ट्री और चिलर सेंटर मिलकर एक साल में लगभग 20 लाख लीटर दूध की सप्लाई करते हैं. इस जिले में 500 से ज्यादा छोटे-बड़े चिलर सेंटर और डेयरी संचालित हो रहे हैं, करीब यही हाल बाकी जिलों का भी है. सफेद जहर के इस कारोबार पर प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है.

Intro:सर थोड़ी देर से मोजो पर OPARATION MILK SPL के नाम से खबर भेज रहा है उसी स्टोरी के यह फाइल विसुअल है मोजो पर खबर भेजने के बाद आपको फोन लगाकर अवगत करा दुगा Body:सर थोड़ी देर से मोजो पर OPARATION MILK SPL के नाम से खबर भेज रहा है उसी स्टोरी के यह फाइल विसुअल है मोजो पर खबर भेजने के बाद आपको फोन लगाकर अवगत करा दुगा Conclusion:सर थोड़ी देर से मोजो पर OPARATION MILK SPL के नाम से खबर भेज रहा है उसी स्टोरी के यह फाइल विसुअल है मोजो पर खबर भेजने के बाद आपको फोन लगाकर अवगत करा दुगा
Last Updated : Jul 24, 2019, 8:16 PM IST
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