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चंबल में अवैध उत्खनन की वजह से घड़ियाल बदल रहे है ठिकाना, कूनो और पार्वती बन रहीं नया आशियाना - एशिया की एकमात्र सबसे बड़ी घड़ियाल सेंचुरी चंबल में है

चंबल घड़ियालों के लिए सबसे महफूज जगह मानी जाती है लेकिन अब घड़ियालों का चंबल नदी से मोह भंग हो रहा है. रिसर्च में इस बात की पुष्टी हुई है कि श्योपुर की पार्वती नदी और कूनो नदी में घड़ियाल ने पलायन किया है, घड़ियालों का चंबल नदी से पलायन करने के पीछे कई वजह हैं, इनमें रेत तेजी हो रहा उत्खनन और उनके इलाके में कृत्रिम शोर का बढ़ना है.

Gongs are changing places
घड़ियाल बदल रहे है ठिकाना
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Published : Dec 16, 2020, 3:10 PM IST

ग्वालियर: देश की सबसे स्वच्छ नदी मानी जाने वाली चंबल घड़ियालों के लिए सबसे महफूज जगह मानी जाती है. यही वजह है कि एशिया में सबसे अधिक घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं, लेकिन अब इन घड़ियालों का चंबल नदी से मोह भंग हो रहा है. यही वजह है कि घड़ियाल चंबल नदी की सहायक नदी कूनो और पार्वती नदियों में अपने नए घर बनाने लगे हैं, और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि चंबल नदी में हो रहे अवैध उत्खनन से खड़ियालों के घर तबाह हो रहे है, और इस बात की पुष्टि चंबल अभ्यारण में चल रहे शोध कार्य से हुई है, इस शोध से पता चला है कि श्योपुर की पार्वती नदी और कूनो नदी में घड़ियाल ने पलायन किया है. वन अधिकारी भी इस बात को मान रहे हैं कि कूनो नदी घड़ियालों के लिए चंबल से ज्यादा सुरक्षित है, जिसके बाद अब वह राज्य स्तर से श्योपुर की कूनो नदी में ईको सेंटर देवरी से 25 घायलों को छोड़ने के निर्देश मिले हैं.

चंबल से घड़ियालों का पलायन

मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट संस्था 2017 से चंबल की अपस्ट्रीम में घड़ियालों के गले में पांच मीटर वाली कॉलर बांधकर उनकी आवाजाही की रिसर्च कर रखी है. इस साल 2020 के नेस्टिंग सीजन में उन्होंने इस मादा घड़ियाल की श्योपुर की कूनो नदी में जाने की पुष्टि की. कूनो वन्य अभ्यारण के अधिकारियों को एनसीवीटी की रिसर्च में पता चला है कि कोई मादा घड़ियाल कूनो नदी में आई है. वन विभाग ने उसे कूनो पालपुर में ट्रेस किया तो उसकी लोकेशन चंबल नदी से 15 किलोमीटर के भीतर कूनो नदी के किनारे पर मिली, जहां उसने अंडे भी दिए थे, और इनसे बच्चे भी निकले. किसी घड़ियाल के यहां आकर बसने का पहला मामला है. कूनो नदी चंबल से अधिक सुरक्षित है. चंबल में खनन और डिस्टरबेंस भी घड़ियाल का कूनो और पार्वती में जाने का कारण हो सकता है.

चंबल अवैध खनन अभ्यारण्य में मानवीय गतिविधियों के चलते पार्वती नदी में घड़ियालों के घर बनाने की बात 2017 में सामने आई थी. तत्कालीन डीएफओ डॉ. एए अंसारी ने 2018-19 में यहां सर्वे करवाया तो पार्वती नदी के 60 किलोमीटर दायरे में करीब 19 घड़ियाल मिले जो यहीं डेरा जमाए हुए थे. जब जलीय जीवों की गणना हुई तो पार्वती में 8 से 9 घोंसले, 19 घड़ियाल मिले थे. अब घर वालों की संख्या 1400 से बढ़कर 1750 दर्ज की गई थी.

अब कूनो में घड़ियाल छोड़ने की तैयारी

घड़ियालों के लिए कूनो नदी में अनुकूल माहौल मिलने के कारण वन विभाग अब उनके बच्चों को कूनो नदी में छोड़ने की तैयारी कर रहा है. वन विभाग घड़ियाल ईको सेंटर देवरी से बच्चे लाएगा और उसके बाद कूनो नदी में उन्हें छोड़ा जाएगा.

Gongs are changing places
घड़ियाल बदल रहे है ठिकाना

चंबल में है एशिया की सबसे बड़ी घड़ियाल सेंचुरी

एशिया की एकमात्र सबसे बड़ी घड़ियाल सेंचुरी चंबल में है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि देश में सबसे स्वच्छ पानी चंबल नदी का माना जाता है. साथ ही यह नदी बीहड़ इलाके के साथ-साथ रहवासी इलाके से नहीं गुजरी है. इसलिए यह शांतिप्रिय इलाका कहा जाता है. घड़ियालों को शांतिप्रिय इलाका पसंद है. यही वजह है किस चंबल में सबसे ज्यादा घड़ियाल पाए जाते हैं. यह घड़ियाल मुरैना जिले के राजघाट पुल से होते हुए भिंड के कुछ इलाके में रहते हैं, और मुरैना जिले में इसका यूको घड़ियाल सेंटर बना हुआ है. जहां पर हेचिरिंग का काम किया जाता है. घायलों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं.

चंबल नदी में सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन से घड़ियाल असहज

अभी तक चंबल नदी में घड़ियाल चंबल राजघाट और भिंड की ओर सबसे ज्यादा संख्या में मिलते थे और यही अपने घोंसले बनाकर अंडे देते थे, लेकिन अब राजघाट से सबसे ज्यादा अवैध रेत का उत्खनन हो रहा है. राजघाट पुल के 20 किलोमीटर दायरे में रेत का अवैध उत्खनन तेजी से हो रहा है, यहां पर रोज एक हजार की संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली निकलते हैं. यही वजह है कि घड़ियाल अब यहां असुरक्षित महसूस करते हैं और इस कारण वह अपना ठिकाना बदल रहे हैं.

Gongs are changing places
घड़ियाल के अंडे

राजघाट पुल पर स्टीमर संचालन, आवाजाही भी बड़ी

राजघाट पुल पर स्ट्रीमर संचालन होने के कारण लोगों की आवाज आई तेजी से बढ़ गई है. इस कारण सबसे शांतिप्रिय जंतु घड़ियाल अब अपने आप को असहज महसूस करने लगा है. यही वजह है कि अब घड़ियाल श्योपुर की ओर जा रहे हैं पर चंबल की सहायक नदी कूनो में अपना स्थाई ठिकाना बनाने लगे हैं.

घड़ियाल को सुरक्षित रखने अवैध उत्खनन पर लगाई है सुप्रीम कोर्ट ने रोक

एशिया में सबसे बड़ी घड़ियाल सेंचुरी को सुरक्षित रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चंबल नदी से अवैध रेत उत्खनन पर पूरी तरह से रोक लगाई है, लेकिन इसके बावजूद चंबल नदी में अवैध रेत का उत्खनन तेजी से हो रहा है और यही वजह है कि अब सबसे सीधा और शांतिप्रिय घड़ियाल पर संकट मंडराने लगा है.

Chambal most safe place for Alligator
नन्हा घड़ियाल

शिकारियों की संख्या बढ़ने से घड़ियालों पर संकट

कुछ सालों में देखने में आ रहा है कि चम्बल नदी में शिकारियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है यही वजह है कि साल 2019 में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश वन विभाग की टीम को तीन घड़ियाल ऐसे मिले थे जो जाल में फंसे हुए थे इस वजह से अंदाजा लगाया जा सकता है घड़ियाल अब अपने आपको चंबल में महफूज नहीं मान रहा है.

गौरतलब है कि चंबल अभ्यारण में इस समय 1059 घड़ियाल, 68 डॉल्फिन और 710 मगर हैं. पहली बार कूनो नदी में 25 घड़ियाल छोड़े जाएंगे.

ग्वालियर: देश की सबसे स्वच्छ नदी मानी जाने वाली चंबल घड़ियालों के लिए सबसे महफूज जगह मानी जाती है. यही वजह है कि एशिया में सबसे अधिक घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं, लेकिन अब इन घड़ियालों का चंबल नदी से मोह भंग हो रहा है. यही वजह है कि घड़ियाल चंबल नदी की सहायक नदी कूनो और पार्वती नदियों में अपने नए घर बनाने लगे हैं, और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि चंबल नदी में हो रहे अवैध उत्खनन से खड़ियालों के घर तबाह हो रहे है, और इस बात की पुष्टि चंबल अभ्यारण में चल रहे शोध कार्य से हुई है, इस शोध से पता चला है कि श्योपुर की पार्वती नदी और कूनो नदी में घड़ियाल ने पलायन किया है. वन अधिकारी भी इस बात को मान रहे हैं कि कूनो नदी घड़ियालों के लिए चंबल से ज्यादा सुरक्षित है, जिसके बाद अब वह राज्य स्तर से श्योपुर की कूनो नदी में ईको सेंटर देवरी से 25 घायलों को छोड़ने के निर्देश मिले हैं.

चंबल से घड़ियालों का पलायन

मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट संस्था 2017 से चंबल की अपस्ट्रीम में घड़ियालों के गले में पांच मीटर वाली कॉलर बांधकर उनकी आवाजाही की रिसर्च कर रखी है. इस साल 2020 के नेस्टिंग सीजन में उन्होंने इस मादा घड़ियाल की श्योपुर की कूनो नदी में जाने की पुष्टि की. कूनो वन्य अभ्यारण के अधिकारियों को एनसीवीटी की रिसर्च में पता चला है कि कोई मादा घड़ियाल कूनो नदी में आई है. वन विभाग ने उसे कूनो पालपुर में ट्रेस किया तो उसकी लोकेशन चंबल नदी से 15 किलोमीटर के भीतर कूनो नदी के किनारे पर मिली, जहां उसने अंडे भी दिए थे, और इनसे बच्चे भी निकले. किसी घड़ियाल के यहां आकर बसने का पहला मामला है. कूनो नदी चंबल से अधिक सुरक्षित है. चंबल में खनन और डिस्टरबेंस भी घड़ियाल का कूनो और पार्वती में जाने का कारण हो सकता है.

चंबल अवैध खनन अभ्यारण्य में मानवीय गतिविधियों के चलते पार्वती नदी में घड़ियालों के घर बनाने की बात 2017 में सामने आई थी. तत्कालीन डीएफओ डॉ. एए अंसारी ने 2018-19 में यहां सर्वे करवाया तो पार्वती नदी के 60 किलोमीटर दायरे में करीब 19 घड़ियाल मिले जो यहीं डेरा जमाए हुए थे. जब जलीय जीवों की गणना हुई तो पार्वती में 8 से 9 घोंसले, 19 घड़ियाल मिले थे. अब घर वालों की संख्या 1400 से बढ़कर 1750 दर्ज की गई थी.

अब कूनो में घड़ियाल छोड़ने की तैयारी

घड़ियालों के लिए कूनो नदी में अनुकूल माहौल मिलने के कारण वन विभाग अब उनके बच्चों को कूनो नदी में छोड़ने की तैयारी कर रहा है. वन विभाग घड़ियाल ईको सेंटर देवरी से बच्चे लाएगा और उसके बाद कूनो नदी में उन्हें छोड़ा जाएगा.

Gongs are changing places
घड़ियाल बदल रहे है ठिकाना

चंबल में है एशिया की सबसे बड़ी घड़ियाल सेंचुरी

एशिया की एकमात्र सबसे बड़ी घड़ियाल सेंचुरी चंबल में है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि देश में सबसे स्वच्छ पानी चंबल नदी का माना जाता है. साथ ही यह नदी बीहड़ इलाके के साथ-साथ रहवासी इलाके से नहीं गुजरी है. इसलिए यह शांतिप्रिय इलाका कहा जाता है. घड़ियालों को शांतिप्रिय इलाका पसंद है. यही वजह है किस चंबल में सबसे ज्यादा घड़ियाल पाए जाते हैं. यह घड़ियाल मुरैना जिले के राजघाट पुल से होते हुए भिंड के कुछ इलाके में रहते हैं, और मुरैना जिले में इसका यूको घड़ियाल सेंटर बना हुआ है. जहां पर हेचिरिंग का काम किया जाता है. घायलों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं.

चंबल नदी में सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन से घड़ियाल असहज

अभी तक चंबल नदी में घड़ियाल चंबल राजघाट और भिंड की ओर सबसे ज्यादा संख्या में मिलते थे और यही अपने घोंसले बनाकर अंडे देते थे, लेकिन अब राजघाट से सबसे ज्यादा अवैध रेत का उत्खनन हो रहा है. राजघाट पुल के 20 किलोमीटर दायरे में रेत का अवैध उत्खनन तेजी से हो रहा है, यहां पर रोज एक हजार की संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली निकलते हैं. यही वजह है कि घड़ियाल अब यहां असुरक्षित महसूस करते हैं और इस कारण वह अपना ठिकाना बदल रहे हैं.

Gongs are changing places
घड़ियाल के अंडे

राजघाट पुल पर स्टीमर संचालन, आवाजाही भी बड़ी

राजघाट पुल पर स्ट्रीमर संचालन होने के कारण लोगों की आवाज आई तेजी से बढ़ गई है. इस कारण सबसे शांतिप्रिय जंतु घड़ियाल अब अपने आप को असहज महसूस करने लगा है. यही वजह है कि अब घड़ियाल श्योपुर की ओर जा रहे हैं पर चंबल की सहायक नदी कूनो में अपना स्थाई ठिकाना बनाने लगे हैं.

घड़ियाल को सुरक्षित रखने अवैध उत्खनन पर लगाई है सुप्रीम कोर्ट ने रोक

एशिया में सबसे बड़ी घड़ियाल सेंचुरी को सुरक्षित रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चंबल नदी से अवैध रेत उत्खनन पर पूरी तरह से रोक लगाई है, लेकिन इसके बावजूद चंबल नदी में अवैध रेत का उत्खनन तेजी से हो रहा है और यही वजह है कि अब सबसे सीधा और शांतिप्रिय घड़ियाल पर संकट मंडराने लगा है.

Chambal most safe place for Alligator
नन्हा घड़ियाल

शिकारियों की संख्या बढ़ने से घड़ियालों पर संकट

कुछ सालों में देखने में आ रहा है कि चम्बल नदी में शिकारियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है यही वजह है कि साल 2019 में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश वन विभाग की टीम को तीन घड़ियाल ऐसे मिले थे जो जाल में फंसे हुए थे इस वजह से अंदाजा लगाया जा सकता है घड़ियाल अब अपने आपको चंबल में महफूज नहीं मान रहा है.

गौरतलब है कि चंबल अभ्यारण में इस समय 1059 घड़ियाल, 68 डॉल्फिन और 710 मगर हैं. पहली बार कूनो नदी में 25 घड़ियाल छोड़े जाएंगे.

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