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कोरोना साइड इफेक्ट: पढ़ाई की शुरुआत करने वाले बच्चों की बढ़ती जा रही है उम्र, नहीं मिल पा रहा है शिक्षा का ज्ञान - एमपी में ऑनलाइन क्लास शुरु

MP में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण फिर से ऑनलाइन कक्षाओं को बहाल कर दिया गया है. इससे अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि ऑनलाइन शिक्षा पद्धति की वजह से बच्चे मोबाइल के आदि होते जा रहे हैं. बच्चे कक्षाओं के बीच में ऑनलाइन गेम भी खेलते हैं इससे वे इसके भी आदी होते जा रहे हैं. मोबाइल बच्चों के स्वभाव पर भी असर कर रहा है, इससे उनमें चिड़चिड़ापन और बोलचाल की भाषा में भी परिवर्तन आया है

Corona's effect on children's education
कोरोना का बच्चों की पढ़ाई पर असर
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Published : Jan 19, 2022, 9:38 PM IST

ग्वालियर। एक बार फिर कोरोना की लहर ने बच्चों के माता-पिता को टेंशन में डाल दिया है. मध्य प्रदेश सरकार ने हाल में ही बढ़ते संक्रमण के कारण स्कूल बंद कर दिए हैं. फिर से ऑनलाइन कक्षा शुरू कराने के लिए निर्देश दे दिए हैं. लेकिन बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा अब माता-पिता को मुसीबत में डाल रही है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि बच्चे ऑनलाइन कक्षा के बहाने दिन भर मोबाइल को अपनी आंखों के सामने रखते हैं. मतलब कोरोना की दूसरी लहर के बाद बच्चे मोबाइल के आदी हो चुके हैं. यही वजह है कि अब बच्चों के मानसिक स्वभाव में परिवर्तिन होने लगा है. बच्चों में गुस्सा, आलस, चिड़चिड़ापन और बोलचाल की भाषा में भी परिवर्तन होने लगा है. जिसकी वजह से बच्चों के माता-पिता उनके भविष्य को लेकर काफी परेशान हैं.

ऑनलाइन पढ़ाई के साइड इफेक्ट

ऑनलाइन कक्षा से मोबाइल के आदि हुए बच्चे

साल 2020 में जब कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी थी, उसके बाद सभी जगह स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया था. इसके साथ ही सरकार ने बच्चों की शिक्षा पर कोई प्रभाव न पड़े, इसके लिए ऑनलाइन शिक्षा पद्धति शुरू की. इस ऑनलाइन शिक्षा पद्धति के माध्यम से बच्चे मोबाइल के आदी हो चुके थे. बड़ी मुश्किलों के बाद माता-पिता बच्चों से मोबाइल की लत छुड़ा ही रहे थे कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर ने फिर से बच्चों के माता-पिता को टेंशन में डाल दिया है. तीसरी लहर में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने फिर से सभी स्कूल बंद करके ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी हैं. ऐसे में बच्चे पहले की तरह मोबाइल के आदी हो गए हैं. यही कारण है कि कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनमें बच्चे मोबाइल पाने के लिए किसी भी हद तक जा रहे हैं.

बच्चों की बढ़ती जा रही है उम्र, नहीं मिल रही स्कूली शिक्षा

सबसे ज्यादा चिंता उन माता-पिताओं को सताने लगी है, जिनके बच्चों की पढ़ाई की शुरुआत होनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण पिछले 2 साल से वह लगातार पिछड़ते जा रहे हैं. उन बच्चों का अभी तक स्कूल में एडमिशन भी नहीं हो पाया है, ऐसे बच्चों की उम्र बढ़ती जा रही है लेकिन उन्हें शिक्षा का ज्ञान नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में माता-पिताओं के साथ-साथ स्कूल प्रबंधकों को भी सबसे बड़ी चिंता यह है कि ऐसे बच्चों को वह कैसे उम्र के हिसाब से कक्षा में प्रवेश दिलाएंगे. क्योंकि साल 2020 में जो बच्चे स्कूल में पहली बार एडमिशन लेने वाले थे, उनका कोरोना संक्रमण के कारण एडमिशन नहीं हो पाया और उनकी उम्र भी बढ़ती जा रही है.

मोबाइल की लत का बच्चों पर नकारात्मक असर

ऑनलाइन पढ़ाई का बच्चे की मानसिक स्थिति पर दुष्प्रभाव ज्यादा देखने को मिल रहा है. माता-पिता का मानना है कि दिन में 5 से 6 घंटे बच्चे मोबाइल पर ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं. इसके साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से बच्चे मोबाइल पर पूरी तरह पर निर्भर हो चुके हैं. कक्षाएं पूरी होने के बाद भी बच्चे मोबाइल नहीं छोड़ना चाहते. देखने में आ रहा है कि बच्चे मोबाइल पाने के लिए माता-पिता से झूठ बोल रहे हैं. उनके अंदर चिड़चिड़ेपन के साथ-साथ माता-पिताओं को अलग-अलग प्रकार की धमकी भी दे रहे हैं. यही वजह है कि अब अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर काफी परेशान और चिंतित हैं.

ऑनलाइन गेम के आदी हो रहे बच्चे

मनोचिकित्सक डॉक्टर संजय सक्सेना ने बताया कि मोबाइल बच्चों की मानसिक स्थिति पर बुरा असर डाल रहा है. वैसे तो ऑनलाइन कक्षा के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रहती है लेकिन, दूसरी ओर देखने में आ रहा है कि ऑनलाइन कक्षाओं के साथ-साथ बच्चे ऑनलाइन गेम के भी आदी होते जा रहे हैं. मोबाइल मानसिक स्थिति पर बुरा असर डाल रहा है और उनकी जिंदगी का एक हिस्सा बनता जा रहा है. जैसे कोई भी व्यक्ति नशे का आदी होता है, ऐसे ही अब बच्चे भी मोबाइल के आदी होते जा रहे हैं. जोकि बच्चों की मानसिक स्थिति के लिए बहुत बुरा है. ऐसे में माता-पिता को बच्चों के साथ ज्यादा समय देना चाहिए, उनसे बातचीत करना चाहिए. साथ ही वह मोबाइल में कौन-कौन सी एक्टिविटी कर रहे हैं, इस पर भी नजर रखनी चाहिए.

यह भी पढ़ें - ऑनलाइन पढ़ाई ब्लास्ट हुआ मोबाइल, छात्र का मुंह और नाक झुलसा, हालत गंभीर

ग्वालियर। एक बार फिर कोरोना की लहर ने बच्चों के माता-पिता को टेंशन में डाल दिया है. मध्य प्रदेश सरकार ने हाल में ही बढ़ते संक्रमण के कारण स्कूल बंद कर दिए हैं. फिर से ऑनलाइन कक्षा शुरू कराने के लिए निर्देश दे दिए हैं. लेकिन बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा अब माता-पिता को मुसीबत में डाल रही है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि बच्चे ऑनलाइन कक्षा के बहाने दिन भर मोबाइल को अपनी आंखों के सामने रखते हैं. मतलब कोरोना की दूसरी लहर के बाद बच्चे मोबाइल के आदी हो चुके हैं. यही वजह है कि अब बच्चों के मानसिक स्वभाव में परिवर्तिन होने लगा है. बच्चों में गुस्सा, आलस, चिड़चिड़ापन और बोलचाल की भाषा में भी परिवर्तन होने लगा है. जिसकी वजह से बच्चों के माता-पिता उनके भविष्य को लेकर काफी परेशान हैं.

ऑनलाइन पढ़ाई के साइड इफेक्ट

ऑनलाइन कक्षा से मोबाइल के आदि हुए बच्चे

साल 2020 में जब कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी थी, उसके बाद सभी जगह स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया था. इसके साथ ही सरकार ने बच्चों की शिक्षा पर कोई प्रभाव न पड़े, इसके लिए ऑनलाइन शिक्षा पद्धति शुरू की. इस ऑनलाइन शिक्षा पद्धति के माध्यम से बच्चे मोबाइल के आदी हो चुके थे. बड़ी मुश्किलों के बाद माता-पिता बच्चों से मोबाइल की लत छुड़ा ही रहे थे कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर ने फिर से बच्चों के माता-पिता को टेंशन में डाल दिया है. तीसरी लहर में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने फिर से सभी स्कूल बंद करके ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी हैं. ऐसे में बच्चे पहले की तरह मोबाइल के आदी हो गए हैं. यही कारण है कि कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनमें बच्चे मोबाइल पाने के लिए किसी भी हद तक जा रहे हैं.

बच्चों की बढ़ती जा रही है उम्र, नहीं मिल रही स्कूली शिक्षा

सबसे ज्यादा चिंता उन माता-पिताओं को सताने लगी है, जिनके बच्चों की पढ़ाई की शुरुआत होनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण पिछले 2 साल से वह लगातार पिछड़ते जा रहे हैं. उन बच्चों का अभी तक स्कूल में एडमिशन भी नहीं हो पाया है, ऐसे बच्चों की उम्र बढ़ती जा रही है लेकिन उन्हें शिक्षा का ज्ञान नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में माता-पिताओं के साथ-साथ स्कूल प्रबंधकों को भी सबसे बड़ी चिंता यह है कि ऐसे बच्चों को वह कैसे उम्र के हिसाब से कक्षा में प्रवेश दिलाएंगे. क्योंकि साल 2020 में जो बच्चे स्कूल में पहली बार एडमिशन लेने वाले थे, उनका कोरोना संक्रमण के कारण एडमिशन नहीं हो पाया और उनकी उम्र भी बढ़ती जा रही है.

मोबाइल की लत का बच्चों पर नकारात्मक असर

ऑनलाइन पढ़ाई का बच्चे की मानसिक स्थिति पर दुष्प्रभाव ज्यादा देखने को मिल रहा है. माता-पिता का मानना है कि दिन में 5 से 6 घंटे बच्चे मोबाइल पर ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं. इसके साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से बच्चे मोबाइल पर पूरी तरह पर निर्भर हो चुके हैं. कक्षाएं पूरी होने के बाद भी बच्चे मोबाइल नहीं छोड़ना चाहते. देखने में आ रहा है कि बच्चे मोबाइल पाने के लिए माता-पिता से झूठ बोल रहे हैं. उनके अंदर चिड़चिड़ेपन के साथ-साथ माता-पिताओं को अलग-अलग प्रकार की धमकी भी दे रहे हैं. यही वजह है कि अब अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर काफी परेशान और चिंतित हैं.

ऑनलाइन गेम के आदी हो रहे बच्चे

मनोचिकित्सक डॉक्टर संजय सक्सेना ने बताया कि मोबाइल बच्चों की मानसिक स्थिति पर बुरा असर डाल रहा है. वैसे तो ऑनलाइन कक्षा के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रहती है लेकिन, दूसरी ओर देखने में आ रहा है कि ऑनलाइन कक्षाओं के साथ-साथ बच्चे ऑनलाइन गेम के भी आदी होते जा रहे हैं. मोबाइल मानसिक स्थिति पर बुरा असर डाल रहा है और उनकी जिंदगी का एक हिस्सा बनता जा रहा है. जैसे कोई भी व्यक्ति नशे का आदी होता है, ऐसे ही अब बच्चे भी मोबाइल के आदी होते जा रहे हैं. जोकि बच्चों की मानसिक स्थिति के लिए बहुत बुरा है. ऐसे में माता-पिता को बच्चों के साथ ज्यादा समय देना चाहिए, उनसे बातचीत करना चाहिए. साथ ही वह मोबाइल में कौन-कौन सी एक्टिविटी कर रहे हैं, इस पर भी नजर रखनी चाहिए.

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