ग्वालियर। ग्वालियर चंबल का इलाका जो कभी बीहड़ और बागी के लिए बदनाम था, आज यह नकली दूध और मावे के लिए बदनाम होता जा रहा है. पूरे प्रदेश भर में सबसे ज्यादा नकली दूध और मावे का उत्पादन ग्वालियर चंबल अंचल में होता है, जब दीपावली का त्योहार नजदीक होता है, तब नकली मावा की खपत 4 गुना अधिक बढ़ जाती है. ऐसे में अगर आप त्योहार पर बाजार से मिठाई लेने जा रहे हैं, तो सावधान हो जाइए, क्योंकि बाजार में नकली मावा की मिठाइयां तैयार हो चुकी हैं. यह मिठाई इतनी खतरनाक है कि यह लोगों की जान भी ले सकती है. यह खतरनाक केमिकल से बने मावे की मिठाई है.
भिंड-मुरैना में ज्यादा बनता है नकली मावा
ग्वालियर चंबल अंचल में त्योहारों पर नकली मावा काफी मात्रा में तैयार किया जाता है. यहां से दिल्ली, भोपाल, इंदौर, मथुरा, आगरा के साथ-साथ अलग-अलग जिलों में और राज्यों में सप्लाई होता है. इन शहरों में सप्लाई ग्वालियर के व्यापारियों के माध्यम से की जाती है. सबसे ज्यादा नकली मावा का कारोबार भिंड, मुरैना और दतिया में किया जाता है. ग्वालियर चंबल अंचल के भिंड और मुरैना ऐसे दो जिले हैं, जहां नकली मावा का कारोबार गांव-गांव तक फैला है. सबसे ज्यादा नकली मावा इन दोनों जिलों के ग्रामीण इलाके में तैयार होकर बाजारों में सप्लाई किया जाता है. इसी तरह से झांसी दतिया के व्यापारियों के माध्यम से नागपुर, पुणे से लेकर मुंबई और दक्षिण भारत तक सप्लाई होता है.
रोज होती है 10 टन मावे की खपत
सामान्य समय में मुरैना और भिंड जिले से रोजाना लगभग 10 टन मावे की खपत की जाती है. दीपावली जैसे त्योहार पर इसकी खपत 4 गुना बढ़ जाती है. एक महीने में लगभग 1000 टन मावा की खपत होती है. इन दोनों जिलों में लगभग एक सैकड़ा से अधिक वैध और अवैध मावे की फैक्ट्रियां हैं. इन दोनों जिलों में 90% मिलावटी मावा का कारोबार गांव-गांव तक फैला है.
मावे के कारोबार में लिप्त हैं 2000 से अधिक लोग
अंचल के लगभग 2000 से अधिक लोग हैं, जो नकली मावा के कारोबार में लिप्त हैं. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत के चलते इन पर कार्रवाई या नहीं होती है, क्योंकि यह नकली दूध और मावा तैयार करने वाले माफिया जिला प्रशासन तक पैसा पहुंचाते हैं. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य लाभ दिखाने के लिए त्योहारों के समय कार्रवाई करता है. उनका सैंपल जांच के लिए भेज देता है, लेकिन उनकी जांच एक साल तक पेंडिंग पड़ी रहती है. यही वजह है कि नकली मावा तैयार करने वाले माफिया धड़ल्ले से लोगों की जान ले रहे हैं.
ऐसे तैयार होता है नकली मावा
माफिया नकली मावा तैयार करने के लिए दूध लेते हैं. दूध से क्रीम को निकाल लेते हैं. मावा में क्रीम की भरपूर मात्रा बनाए रखने के लिए उसमें डालडा, रिफाइंड, स्टार्च और आलू समेत अन्य केमिकल मिलाते हैं. मावे में बसा निकाले जाने के बाद गुणवत्ता में गिरावट आती है. कुछ लोग यूरिया, शैंपू जैसे घातक रसायनों से पहले दूध तैयार करते हैं. इसके बाद इससे मावा तैयार होता है. मावा दो-तीन दिन तक रखा रहता है, इसलिए इसमें दुर्गंध को मिटाने के लिए केमिकल का प्रयोग करते हैं.
इन केमिकल का होता है उपयोग
नकली मावा तैयार करने के लिए दूध में यूरिया, अमोनिया, नाइट्रेट, शुगर, रिफाइंड, ग्लूकोज की मिलावट होती है. दूध जल्दी खराब न हो इसलिए हाइड्रोजन पैराक्साइड और फॉर्मेलिन मिलाया जाता है. दूध में खटास पैदा ना हो इसलिए इसमें न्यूट्रलाइजर मिलाते हैं. आटा ,अमोनिया और स्टार्च का भी इसका उपयोग होता है. डॉक्टर के अनुसार नकली मावा शरीर के लिए होता है. जानलेवा नकली दूध के समान नकली मावा भी शरीर के लिए बेहद हानिकारक होता है और इस कारण लोगों की जान भी चली जाती है.
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ग्वालियर के जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनीष शर्मा ने बताया कि मिलावटी मावा खाने से किडनी और लिवर डैमेज हो जाते हैं. इसके साथ ही हार्ट पर भी बुरा असर पड़ता है. नकली मावा का ज्यादा उपयोग करने पर लोगों की जान भी जा सकती है, क्योंकि अधिक उपयोग होने के कारण लीवर और किडनी पूरी तरह डैमेज हो जाते हैं. आगे चलकर व्यक्ति अपनी जान खो देता है. नकली मावे के कारण किडनी और लीवर बुरी तरह प्रभावित होते हैं. इसके साथ ही शुगर और ब्लड प्रेशर वाले लोगों के लिए यह बेहद हानिकारक होता है.