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भिंड में बह रही भ्रष्टाचार की गंगा, मनरेगा के विकासकार्यों पर भारी, पिता-पुत्र की मनमर्जी - जिला पंचायत एई आशुतोष श्रीवास्तव

सुशासन की पहली सीढ़ी है विकास, लेकिन भिंड जिले के गोहद में एक पिता-पुत्र की जोड़ी विकास को पलीता लगा रही है. कई पंचायतों के सरपंच परेशान हैं. बारिश आने को है लेकिन उनकी ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत होने वाले किसी भी सरकारी काम को स्वीकृति नहीं मिली है.

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भिंड में बह रही भ्रष्टाचार की गंगा,
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Published : Jun 10, 2021, 9:20 PM IST

Updated : Jun 11, 2021, 10:59 PM IST

भिंड। सुशासन की पहली सीढ़ी है विकास, लेकिन भिंड जिले के गोहद में एक पिता-पुत्र की जोड़ी विकास को पलीता लगा रही है. कई पंचायतों के सरपंच परेशान हैं. बारिश आने को है लेकिन उनकी ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत होने वाले किसी भी सरकारी काम को स्वीकृति नहीं मिली है. इसकी वजह हैं भ्रष्टाचार. गांवों में होने वाले विकास कार्यों को तकनीकी स्वीकृति देने के पहले ही आरईएस विभाग के उपयंत्री और प्रभारी असिस्टेंट इंजीनियर आशुतोष श्रीवास्तव जो कई बार मांग किए जाने के बावजूद बगैर कमीशन लिए विकास कार्यों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं.

भिंड में बह रही भ्रष्टाचार की गंगा,

सरपंच परेशान, अधिकारी मांगते हैं कमीशन

गोहद अनुभाग इन दिनों भ्रष्टाचार का केंद्र बन चुका है. ग्राम पंचायतों में विकासकार्य रुके हुए हैं. अधिकारियों और सरपंचों के आए दिन झगड़े हो रहे हैं, लेकिन विकास कार्यों की स्वीकृति नही मिल रही है. वजह बनी हुई है कमीशनखोरी और इस कमीशनखोरी को अंजाम देता है आरईएस विभाग के उपयंत्री और प्रभारी एई आशुतोष श्रीवास्तव और उनका बेटा रजत श्रीवास्तव. अधिकारी से मिलने जाने वाले सरपंचों का कहना है कि आशुतोष श्रीवास्तव का बेटा हर वक्त उनके साथ ही मौजूद रहता है. अधिकारी से मिलने जाने और काम करने की परमीशन के नाम पर 3 से 4 परसेंट कमीशन पहले ही जमा करने को कहा जाता है. कमीशन न देने पर न तो टीएस मिलती है और न ही अधिकारी उनकी बात पर कोई गौर करते हैं.

3 से 4 तहसील का है प्रभार

आशुतोष श्रीवास्तव वैसे तो सब इंजीनियर हैं लेकिन जिले में अधिकारियों की कमी के चलते उनके पास 3 से 4 तहसील का प्रभार है. यही वजह है कि प्रभारी AE होने की वजह से गोहद क्षेत्र की सभी ग्राम पंचायत, सरपंच और ब्लॉक में होने वाले विकास कार्य अब इन्हीं के अंतर्गत आते हैं.यहां होने वाले विकास कार्य की तकनीकी स्वीकृति देने की मंजूरी भी श्रीवास्तव ही देते हैं, लेकिन कमीशन नहीं तो मंजूरी नहीं के आधार पर काम करने वाले इस भ्रष्टअधिकारी की मनरेगा की योजनाओं को लेकर चल रही मनमर्जी के चलते ही गोहद के आसपास के गांवों में बारिश का मौसम शुरू होने से पहले होने वाले मेढ़ बंधान जैसे छोटे काम भी स्वीकृत नहीं हुए हैं. गोहद तहसील के गांवों में मनरेगा कार्यों की स्थिति जानने पहुँचे Etv bharat के सामने एई (असिस्टेंट इंजीनियर) आशुतोष श्रीवास्तव के कई फ़र्जीवाड़ों का खुलासा हुआ है.

विकास कार्यों की तकनीकी मंजूरी के लिए प्रभारी AE ने मांगा कमीशन

अकाउंट ऑफिस में भी हैं कमीशनखोरी के चर्चे

अपने गांवों में रुके पड़े विकास कार्यों को परमीशन न मिलने पर परेशान सरपंच जिला पंचायत सीईओ से लेकर अकाउंट ऑफिसर तक हर किसी मुलाकात करके थक चुके हैं, लेकिन आशुतोष श्रीवास्तव का रुतबा इतना है कि उनकी कमीशनखोरी के चर्चों के बावजूद अभीतक उनके खिलाफ भिंड के आरईएस विभाग के कार्यपालन यंत्री एग्जीक्युटिव इंजीनियर तक कोई शिकायत नहीं पहुंची है.आशुतोष श्रीवास्तव मूल रूप से आरईएस डिपार्टमेंट में उपयंत्री (सब इंजीनियर) है, इनके पास 3 तहसील में SDO और AE का प्रभार है इसका ग़लत फ़ायदा उठाते हुए वे विभाग में न सिर्फ भ्रष्टाचार की गंगा बहा रहे हैं बल्कि अपने बेटे का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. ख़ास बात यह है की एक AE को अधिकतम 50 हज़ार रुपय की मरम्मत कार्य की टीएस (तकनीकी स्वीकृति) जारी करने के ही अधिकार हैं. लेकिन प्रभारी एई आशुतोष श्रीवास्तव ननौली गांव के बंडू पार तालाब और मडरौली के तालाब के लिए 14 लाख और 11 लाख से ज्यादा के मेढ़ बंधान कार्य को स्वीकृति दे चुके हैं. भ्रष्चार का आलम यह है कि जो ग्राम पंचायतें उनके अंतर्गत आती हैं उनमें हो रहे विकास कार्यों का मूल्यांकन और काम हो जाने का सत्यापन भी वे खुद करते हैं और यहां भी कमीशन लिया जाता है. मतलब पहले स्वीकृति देने के लिए कमीशन फिर काम पूरा होने का सत्यापन करने के लिए भी कमीशन. एई सहाब का यह डबल कमीशन का धंधा खूब चल रहा है. इनके कारनामों को लेकर विभागीय अधिकारियों की बातचीत का एक वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है.


‘सिर्फ़ वे फ़ाइल हो रहीं स्वीकृत जिनका पैसा भेजा जा रहा है’
एई आशुतोष श्रीवास्तव की कमीशनखोरी को लेकर वायरल हो रहे वीडियो में अधिकारी कहते दिखाई दे रहे हैं कि ज़िले में सिर्फ़ वहीं फ़ाइलें स्वीकृत हो रही हैं जिन पर पैसा भेजा जा रहा है. हालाँकि ETV भारत इस वायरल विडियो की सत्यता की पुष्टि नही करता है .आशुतोष श्रीवास्तव, उनके बेटे रजत श्रीवास्तव और जिला पंचायत सीईओ की मिलीभगत से हो रहे इस भ्रष्टाचार के सामने आने के बाद भिंड के आरईएस विभाग के कार्यपालन यंत्री ने भी यह माना कि कोई भी अधिकारी अपनी तय सीमा से अधिक राशि स्वीकृत करता है तो वह ग़लत होगा. वही अपने द्वारा ही स्वीकृत किए गए कार्य का खुद ही मूल्यांकन और सत्यापन करता तो यह भी गलत है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर शिकायत आई तो वे जरूर कार्रवाई करेंगे.

शिकायत के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई
खास बात यह है कि सीईओ ज़िला पंचायत का कार्यालय और कार्यपालन यंत्री आरईएस का कार्यालय एक ही बिल्डिंग में है, लेकिन वायरल वीडियो और सरपंचों की लिखित शिकायत आने के 5 दिन बीत जाने के बावजूद अब तक EE के पास इस मामले की जाँच के आदेश नही पहुँचे हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि कहीं ना कहीं ज़िला पंचायत सीईओ द्वारा प्रभारी एई आशुतोष श्रीवास्तव के किए जा रहे भ्रष्टाचार को संरक्षण दिए जाने और मामले को दबाने की कोशिश नज़र साफ नजर आ रही है.

भिंड। सुशासन की पहली सीढ़ी है विकास, लेकिन भिंड जिले के गोहद में एक पिता-पुत्र की जोड़ी विकास को पलीता लगा रही है. कई पंचायतों के सरपंच परेशान हैं. बारिश आने को है लेकिन उनकी ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत होने वाले किसी भी सरकारी काम को स्वीकृति नहीं मिली है. इसकी वजह हैं भ्रष्टाचार. गांवों में होने वाले विकास कार्यों को तकनीकी स्वीकृति देने के पहले ही आरईएस विभाग के उपयंत्री और प्रभारी असिस्टेंट इंजीनियर आशुतोष श्रीवास्तव जो कई बार मांग किए जाने के बावजूद बगैर कमीशन लिए विकास कार्यों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं.

भिंड में बह रही भ्रष्टाचार की गंगा,

सरपंच परेशान, अधिकारी मांगते हैं कमीशन

गोहद अनुभाग इन दिनों भ्रष्टाचार का केंद्र बन चुका है. ग्राम पंचायतों में विकासकार्य रुके हुए हैं. अधिकारियों और सरपंचों के आए दिन झगड़े हो रहे हैं, लेकिन विकास कार्यों की स्वीकृति नही मिल रही है. वजह बनी हुई है कमीशनखोरी और इस कमीशनखोरी को अंजाम देता है आरईएस विभाग के उपयंत्री और प्रभारी एई आशुतोष श्रीवास्तव और उनका बेटा रजत श्रीवास्तव. अधिकारी से मिलने जाने वाले सरपंचों का कहना है कि आशुतोष श्रीवास्तव का बेटा हर वक्त उनके साथ ही मौजूद रहता है. अधिकारी से मिलने जाने और काम करने की परमीशन के नाम पर 3 से 4 परसेंट कमीशन पहले ही जमा करने को कहा जाता है. कमीशन न देने पर न तो टीएस मिलती है और न ही अधिकारी उनकी बात पर कोई गौर करते हैं.

3 से 4 तहसील का है प्रभार

आशुतोष श्रीवास्तव वैसे तो सब इंजीनियर हैं लेकिन जिले में अधिकारियों की कमी के चलते उनके पास 3 से 4 तहसील का प्रभार है. यही वजह है कि प्रभारी AE होने की वजह से गोहद क्षेत्र की सभी ग्राम पंचायत, सरपंच और ब्लॉक में होने वाले विकास कार्य अब इन्हीं के अंतर्गत आते हैं.यहां होने वाले विकास कार्य की तकनीकी स्वीकृति देने की मंजूरी भी श्रीवास्तव ही देते हैं, लेकिन कमीशन नहीं तो मंजूरी नहीं के आधार पर काम करने वाले इस भ्रष्टअधिकारी की मनरेगा की योजनाओं को लेकर चल रही मनमर्जी के चलते ही गोहद के आसपास के गांवों में बारिश का मौसम शुरू होने से पहले होने वाले मेढ़ बंधान जैसे छोटे काम भी स्वीकृत नहीं हुए हैं. गोहद तहसील के गांवों में मनरेगा कार्यों की स्थिति जानने पहुँचे Etv bharat के सामने एई (असिस्टेंट इंजीनियर) आशुतोष श्रीवास्तव के कई फ़र्जीवाड़ों का खुलासा हुआ है.

विकास कार्यों की तकनीकी मंजूरी के लिए प्रभारी AE ने मांगा कमीशन

अकाउंट ऑफिस में भी हैं कमीशनखोरी के चर्चे

अपने गांवों में रुके पड़े विकास कार्यों को परमीशन न मिलने पर परेशान सरपंच जिला पंचायत सीईओ से लेकर अकाउंट ऑफिसर तक हर किसी मुलाकात करके थक चुके हैं, लेकिन आशुतोष श्रीवास्तव का रुतबा इतना है कि उनकी कमीशनखोरी के चर्चों के बावजूद अभीतक उनके खिलाफ भिंड के आरईएस विभाग के कार्यपालन यंत्री एग्जीक्युटिव इंजीनियर तक कोई शिकायत नहीं पहुंची है.आशुतोष श्रीवास्तव मूल रूप से आरईएस डिपार्टमेंट में उपयंत्री (सब इंजीनियर) है, इनके पास 3 तहसील में SDO और AE का प्रभार है इसका ग़लत फ़ायदा उठाते हुए वे विभाग में न सिर्फ भ्रष्टाचार की गंगा बहा रहे हैं बल्कि अपने बेटे का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. ख़ास बात यह है की एक AE को अधिकतम 50 हज़ार रुपय की मरम्मत कार्य की टीएस (तकनीकी स्वीकृति) जारी करने के ही अधिकार हैं. लेकिन प्रभारी एई आशुतोष श्रीवास्तव ननौली गांव के बंडू पार तालाब और मडरौली के तालाब के लिए 14 लाख और 11 लाख से ज्यादा के मेढ़ बंधान कार्य को स्वीकृति दे चुके हैं. भ्रष्चार का आलम यह है कि जो ग्राम पंचायतें उनके अंतर्गत आती हैं उनमें हो रहे विकास कार्यों का मूल्यांकन और काम हो जाने का सत्यापन भी वे खुद करते हैं और यहां भी कमीशन लिया जाता है. मतलब पहले स्वीकृति देने के लिए कमीशन फिर काम पूरा होने का सत्यापन करने के लिए भी कमीशन. एई सहाब का यह डबल कमीशन का धंधा खूब चल रहा है. इनके कारनामों को लेकर विभागीय अधिकारियों की बातचीत का एक वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है.


‘सिर्फ़ वे फ़ाइल हो रहीं स्वीकृत जिनका पैसा भेजा जा रहा है’
एई आशुतोष श्रीवास्तव की कमीशनखोरी को लेकर वायरल हो रहे वीडियो में अधिकारी कहते दिखाई दे रहे हैं कि ज़िले में सिर्फ़ वहीं फ़ाइलें स्वीकृत हो रही हैं जिन पर पैसा भेजा जा रहा है. हालाँकि ETV भारत इस वायरल विडियो की सत्यता की पुष्टि नही करता है .आशुतोष श्रीवास्तव, उनके बेटे रजत श्रीवास्तव और जिला पंचायत सीईओ की मिलीभगत से हो रहे इस भ्रष्टाचार के सामने आने के बाद भिंड के आरईएस विभाग के कार्यपालन यंत्री ने भी यह माना कि कोई भी अधिकारी अपनी तय सीमा से अधिक राशि स्वीकृत करता है तो वह ग़लत होगा. वही अपने द्वारा ही स्वीकृत किए गए कार्य का खुद ही मूल्यांकन और सत्यापन करता तो यह भी गलत है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर शिकायत आई तो वे जरूर कार्रवाई करेंगे.

शिकायत के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई
खास बात यह है कि सीईओ ज़िला पंचायत का कार्यालय और कार्यपालन यंत्री आरईएस का कार्यालय एक ही बिल्डिंग में है, लेकिन वायरल वीडियो और सरपंचों की लिखित शिकायत आने के 5 दिन बीत जाने के बावजूद अब तक EE के पास इस मामले की जाँच के आदेश नही पहुँचे हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि कहीं ना कहीं ज़िला पंचायत सीईओ द्वारा प्रभारी एई आशुतोष श्रीवास्तव के किए जा रहे भ्रष्टाचार को संरक्षण दिए जाने और मामले को दबाने की कोशिश नज़र साफ नजर आ रही है.

Last Updated : Jun 11, 2021, 10:59 PM IST
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