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पार्वती की पाठशाला, जहां दिव्यांगों को मिलती है नि:शुल्क शिक्षा

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Published : Feb 7, 2020, 2:34 PM IST

Updated : Feb 13, 2020, 8:35 AM IST

छिंदवाड़ा की शिक्षिका पार्वती मथुरिया दिव्यांगों के लिए सिद्धांत नाम से एक स्कूल चलातीं हैं. जिसमें वे फ्री में दिव्यांगों को शिक्षा दे रही हैं. पार्वती ये स्कूल पिछले 32 सालों से चला रही हैं. जिसमें अब तक स्कूल में 350 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ले चुके हैं.

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पार्वती की पाठशाला

छिंदवाड़ा। अपने लिए तो सब जीते हैं, लेकिन दूसरों के लिए जिंदगी जीना ही सामाजिक काम है. कुछ ऐसा ही कर रही हैं छिंदवाड़ा की पार्वती मथुरिया. जो सेवा भाव से उन बच्चों को शिक्षा दे रही हैं, जिनके लिए जिंदगी की राह थोड़ी मुश्किल है. पार्वती मथुरिया छिंदवाड़ा में पिछले 32 सालों से अपने खर्चे पर दिव्यांग बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही हैं, ताकि उनके सपनों को भी पंख लग सके.

पार्वती की पाठशाला

पार्वती मथुरिया शादी के पहले सरकारी शिक्षक थीं, लेकिन शादी के बाद नौकरी छोड़नी पड़ी. नौकरी भले ही छूट गई, लेकिन शिक्षा का उजाला फैलाने की ललक मन से नहीं निकली. पार्वती के देवर और ननद दिव्यांग है. लिहाजा पार्वती दिव्यांगों का भविष्य संवारने की तरफ बढ़ गई.

पार्वती ने अपने परिवार की मदद से 1992 में दिव्यागों के लिए सिद्धात नाम से फ्री स्कूल की स्थापना की. जहां पढ़ाई के लिए किसी दिव्यांग को फीस नहीं देनी पड़ती. पार्वती बताती हैं कि दिव्यांगों को पढ़ाने की उनकी यह मुहिम आसान नहीं थी. क्योंकि शुरुआत में स्कूल में सिर्फ सात बच्चे ही थे.

सफर कठिन था, लेकिन पार्वती के बुलंद हौसले ने राह आसान कर दी, लोगों को जब फ्री दिव्यांग स्कूल के बारे में पता चला, तो छात्रों की संख्या बढ़ती चली गई. और पार्वती को देखकर इन दिव्यांग छात्रों को पढ़ाने के लिए अन्य लोग भी साथ हो गए. पार्वती के स्कूल में बढ़ने वाले दिव्यांग कहते हैं कि, स्कूल में उन्हें हर वो चीज सिखाई जाती है जो उन्हें एक आम इंसान की तरह जीने में मदद करती है.

पार्वती के स्कूल में अब तक 350 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ले चुके हैं. जिनमें 50 से 60 छात्र ऐसे हैं, जो आज सरकारी नौकरी या खुद का व्यवसाय कर अपनी जिंदगी जिंदादिली से जी रहे हैं. वाकई पार्वती ने इन दिव्यांगों के लिए जो काम किया है वो सबके लिए एक मिसाल है. क्योंकि वे, अपने सपनों के साथ उन दिव्यागों के सपनों को भी संवार रही हैं, जो आगे चलकर उनकी जिंदगी में एक नया सवेरा लाएगा.

छिंदवाड़ा। अपने लिए तो सब जीते हैं, लेकिन दूसरों के लिए जिंदगी जीना ही सामाजिक काम है. कुछ ऐसा ही कर रही हैं छिंदवाड़ा की पार्वती मथुरिया. जो सेवा भाव से उन बच्चों को शिक्षा दे रही हैं, जिनके लिए जिंदगी की राह थोड़ी मुश्किल है. पार्वती मथुरिया छिंदवाड़ा में पिछले 32 सालों से अपने खर्चे पर दिव्यांग बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही हैं, ताकि उनके सपनों को भी पंख लग सके.

पार्वती की पाठशाला

पार्वती मथुरिया शादी के पहले सरकारी शिक्षक थीं, लेकिन शादी के बाद नौकरी छोड़नी पड़ी. नौकरी भले ही छूट गई, लेकिन शिक्षा का उजाला फैलाने की ललक मन से नहीं निकली. पार्वती के देवर और ननद दिव्यांग है. लिहाजा पार्वती दिव्यांगों का भविष्य संवारने की तरफ बढ़ गई.

पार्वती ने अपने परिवार की मदद से 1992 में दिव्यागों के लिए सिद्धात नाम से फ्री स्कूल की स्थापना की. जहां पढ़ाई के लिए किसी दिव्यांग को फीस नहीं देनी पड़ती. पार्वती बताती हैं कि दिव्यांगों को पढ़ाने की उनकी यह मुहिम आसान नहीं थी. क्योंकि शुरुआत में स्कूल में सिर्फ सात बच्चे ही थे.

सफर कठिन था, लेकिन पार्वती के बुलंद हौसले ने राह आसान कर दी, लोगों को जब फ्री दिव्यांग स्कूल के बारे में पता चला, तो छात्रों की संख्या बढ़ती चली गई. और पार्वती को देखकर इन दिव्यांग छात्रों को पढ़ाने के लिए अन्य लोग भी साथ हो गए. पार्वती के स्कूल में बढ़ने वाले दिव्यांग कहते हैं कि, स्कूल में उन्हें हर वो चीज सिखाई जाती है जो उन्हें एक आम इंसान की तरह जीने में मदद करती है.

पार्वती के स्कूल में अब तक 350 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ले चुके हैं. जिनमें 50 से 60 छात्र ऐसे हैं, जो आज सरकारी नौकरी या खुद का व्यवसाय कर अपनी जिंदगी जिंदादिली से जी रहे हैं. वाकई पार्वती ने इन दिव्यांगों के लिए जो काम किया है वो सबके लिए एक मिसाल है. क्योंकि वे, अपने सपनों के साथ उन दिव्यागों के सपनों को भी संवार रही हैं, जो आगे चलकर उनकी जिंदगी में एक नया सवेरा लाएगा.

Last Updated : Feb 13, 2020, 8:35 AM IST
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