छिंदवाड़ा। जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की आपत्ति के बाद मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटा दी गई हैं. मंदिरों से साईं की मूर्तियां हटवाने के लिए स्वामी विवेकानंद समिति ने कहा कि जो लोग साईं बाबा की मूर्ति घर या मंदिर में नहीं रखना चाहते वह मूर्तियां उन्हें सौंप दे. इन मूर्तियों को जमा करके साईं मंदिर में श्रद्धा पूर्वक विस्थापित कर दिया जाएगा. संस्था की इस अपील के बाद लोगों ने भी स्वेच्छा से अपने घरों और मंदिरों से साईं की मूर्तियां हटाना शरू कर दिया है. कई लोगों ने संस्था को साईं की मूर्तियां जमा भी करा दी हैं.
शंकराचार्य स्वरूपानंद के शिष्य ने किया था विरोध:
कुछ दिनों पहले जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद छिंदवाड़ा के राम मंदिर मेंं पहुंचे थे. वहां पर उन्होंने साईं बाबा की प्रतिमा देख मंदिर प्रबंधन को फटकार लगाई थी. उन्होंने कहा था कि जबतक मंदिर में साईं की मूर्ति रहेगी वे मंदिर में नहीं जाएंगे. इसके बाद वहां से साईं की मूर्ति को हटा दिया गया था. अविमुक्तेश्वरानंद ने सवाल उठाते हुए कहा था कि राम कृष्ण के मंदिर में साईं का क्या काम. इससे पहले स्वामी स्वारूपानंद सरस्वती भी साईं बाबा को भगवान मानने और उनकी मूर्तियां स्थापित करने पर विरोध जता चुके हैं. स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि साई बाबा मुस्लिम थे.
आह्वान अखाड़े ने किया समर्थन: मंदिरों से साईं प्रतिमा का विवाद गर्माता जा रहा है. अब उज्जैन के आह्वान अखाड़े के महामंडलेश्वर अतुलेशानंद सरस्वती ने कहा है कि मैं स्वरूपानंद सरस्वती जी का समर्थन करता हूं मैं इस लड़ाई में उनके साथ खड़ा हूं. एक मुस्लिम को सनातन मंदिरों में जगह नहीं दी जानी चाहिए. आह्वान अखाड़ा के संत महामंडलेश्वर व अखण्ड हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अतुलेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि जगत गुरु शंकराचार्य ने कहा है कि साईं चांद मिया हैं तो निश्चित रूप से वो चांद मिया हैं. किसी भी मस्जिद में रहने वाले फ़क़ीर को मंदिरों में जगह नहीं मिलना चाहिए. उनकी पूजा भगवान के साथ करना गलत है. हर मंदिर से उनकी प्रतिमा हटना चाहिए. मैं स्वामी अविमुक्तेश्वर महाराज का समर्थन करता हूं.
साईं प्रतिमा पर क्या है विवाद : दरअसल, पिछले दिनों छिंदवाड़ा पहुंचे द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नाराज हो गए थे. शहर के छोटी बाजार स्थित बड़ी माता मंदिर और श्रीराम मंदिर में दर्शन के दौरान साईं बाबा की प्रतिमा को देखकर वे नाराज हुए थे. उन्होंने इस बात को लेकर अपने शिष्य को जमकर फटकारा भी था. बता दें कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पहले बड़ी माता मंदिर में पहुंचे, जहां उन्होंने गर्भ गृह में पहुंचकर माता रानी की पूजा अर्चना की थी. इस दौरान जैसे ही उनकी नजर दीवार पर लगे साईं बाबा के आर्टिफिशियल मंदिर पर पड़ी तो नाराज हो गए. पुजारी के रोकने पर भी यहां नहीं रुके थे. (Now Mahamandaleshwar of Aawan Akhara oppose Sai)
मूर्तियां जमा करने आगे आई संस्था: छिंदवाड़ा सहित पूरे गौंडवाणा में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के समर्थक मौजूद हैं. वे साईं बाबा की मूर्ति घर या मंदिर में रखना नहीं चाहते हैं. ऐसे लोगों से स्वामी विवेकानंद समिति ने अपील की है जो भी साईं बाबा की मूर्तियां और प्रतिमाएँ अपने घरों और मंदिरों में रखना नहीं चाहते हैं वे इन मूर्तियों को इकट्ठा कर विवेकानंद कॉलोनी के साईं मंदिर में लेकर आएं. इन प्रतिमाओं को यहां सम्मानपूर्वक स्थापित किया जाएगा ताकि यहां मंदिर में साईं बाबा का पूजन होता रहे. संस्था के पास सैकड़ों की संख्या में साईं की मूर्तियों का आना शुरू हो गया है. सच्चिदानंद समिति का कहना है कि साईं बाबा सबका मालिक एक और सभी धर्म को मानने वाले थे अगर लोगों को लगता है कि वे अपने घर या मंदिर में साईं बाबा की प्रतिमा नहीं रखना चाहते, तो मंदिर में लाकर विस्थापित कर सकते हैं.