छिंदवाड़ा। मंगलवार देर रात पेंच नेशनल पार्क सिवनी से नागपुर नेशनल हाईवे में एक बाघ की अज्ञात वाहन की चपेट में आने से मौत हो गई. पेंच प्रबंधन बाघ का पोस्टमार्टम करवा रहा है. गौरतलब है कि बाघों की मौत कभी हाईवे पर तो कभी रेलवे ट्रैक पर हो जा रही है. इसके बाद भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हो पा रहे हैं. बाघों का घर के कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में बीते एक दशक में 254 से ज्यादा बाघों की अलग-अलग कारणों से मौत हो चुकी है. प्रदेश में बाघों की मौत के आंकड़ें चौंकाने वाले हैं. 2012 से 2020 तक 8 सालों में जहां प्रदेश में 202 बाघों की मौत हुई. तो वहीं, महज 2021 से अब तक 15 महीनों में ही 52 से ज्यादा बाघ दम तोड़ चुके हैं.
सिवनी से नागपुर के बीच हुआ हादसा: सिवनी से नागपुर के बीच बटवानी गांव में नेशनल हाईवे में किसी अज्ञात वाहन ने बाघ को टक्कर मार दी, जिसकी वजह से बाघ की मौत हो गई. देर रात कुछ लोगों ने इसकी सूचना पर पार्क प्रबंधन को दी. पेंच नेशनल पार्क प्रबंधन ने बाघ का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा है. इसके बाद ही मौत का पुख्ता की जानकारी लग पाएगी. बाघों की हादसों में मौतें होना काफी दुखदायी है. सिवनी जिले के पेंच टाइगर रिजर्व में काफी बाघ हैं. तीन दिन पहले ही रुखड़ गेट के पास सफारी के दौरान लोगों को नर बाघ नजर आया था.
सबसे ज्यादा बाघों वाला राज्य है MP: 2010 में जब बाघों की गणना की गई थी तो देशभर में 1706 बाघ थे, जिसके बाद 2020 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था. 2018 की गणना के अनुसार वर्तमान में देश में 2967 बाघ हैं, जिसमें से 526 बाघ अकेले मध्य प्रदेश में हैं. लेकिन सबसे ज्यादा बाघों वाले राज्य में ही सबसे ज्यादा बाघों की जान भी जा रही है. बाघों की मौत के पीछे आपसी संघर्ष, बीमारी और शिकार जैसी वजहें भी शामिल हैं. अलग-अलग कारणों के चलते ही प्रदेश में एक दशक के भीतर ही 254 से ज्यादा बाघों की मौत हुई है. बाघों की मौत का मुद्दा बीते साल विधानसभा में भी उठ चुका है.
पेंच टाइगर रिजर्व: 1 हफ्ते के भीतर दूसरे बाघ की मौत, प्रबंधन दे रहा अजीब तर्क
बाघों की सुरक्षा के लिए करोड़ों का बजट: मध्य प्रदेश सरकार हर साल बाघों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती हैं, लेकिन उसके बावजूद प्रदेश में बाघ दम तोड़ रहे हैं. राज्य सरकार ने 2018-19 में बाघों के संरक्षण, सुरक्षा और निगरानी में 283 करोड़ रुपये, 2019-20 में 220 करोड़ और 2020-21 और 2021-22 में क्रमशः 264 करोड़ और 128 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.