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छिंदवाड़ा के किसानों का मक्के से भंग हो रहा मोह, छिन सकता है कॉर्न सिटी का खिताब

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Published : Jun 2, 2020, 12:07 PM IST

मक्का फसल के अच्छे उत्पादन के चलते छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी का दर्जा मिला हुआ है. लेकिन इस बार जिले में मक्के के उत्पादन में कमी आ सकती है. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल मक्के की फसल में बीमारी लगने से किसानों को नुकसान हुआ था. इसलिए इस बार किसान अन्य फसलों को भी तव्वजों दे सकते हैं.

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छिंदवाड़ा न्यूज

छिंदवाड़ा। कॉर्न सिटी के नाम से देशभर में अपनी पहचान बना चुके छिंदवाड़ा से यह खिताब छिन भी सकता है. क्योंकि कृषि विभाग के मुताबिक छिंदवाड़ा जिले में मक्के की खेती पिछले साल की अपेक्षा इस बार करीब 48 हजार हेक्टेयर कम हो सकती है. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने छिंदवाड़ा के कृषि विभाग में डिप्टी डॉयरेक्टर जेआर हेड़ाऊ से बातचीत की.

छिंदवाड़ा से छिन सकता है कॉर्न सिटी का खिताब

जेआर हेड़ाऊ ने बताया कि पिछले साल जिले में 2 लाख 98 हजार हेक्टेयर जमीन में मक्के की फसल किसानों ने लगाई थी. जो इस साल घटकर 2 लाख 50 हजार से 2 लाख 70 हजार हेक्टेयर तक होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भले ही देश में औसतन सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन करने वाला जिला छिंदवाड़ा है. लेकिन पिछले साल फॉल आर्मीवर्म की बीमारी के चलते किसानों की मक्के की फसल कम हुई थी. जिससे बाजार भाव बहुत कम मिले. इसलिए इस साल किसानों का रुझान मक्के को लेकर कम हुआ है.

मिश्रित फसलों का बढ़ेगा रकबा

डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि मक्के के लिए किसानों का रुझान कम हो रहा है. इसलिए इस बार जिले में सोयाबीन, रामतिल, मूंग फल्ली, अरहर जैसी फसलों का रकबा बढेगा. कृषि अधिकारी ने कहा कि किसान अधिकतर एक ही फसल पर निर्भर रहता है. जिसकी वजह से जमीन की उपजाऊ क्षमता भी कम होती है. इसलिए किसानों को फसल चक्र अपनाना चाहिए. एक बार जो फसल लगाई गई है दूसरी बार वहां उसे बदलना चाहिए. ऐसा करने से फसल में बीमारी लगने का खतरा भी कम होता है और उपज भी अच्छी रहती है.

छिंदवाड़ा में मनाया जाता है कॉर्न फेस्टिवल

देश में छिंदवाड़ा सबसे अच्छी मक्के की फसल का उत्पादन करता है इसलिए प्रशासन यहां पर पिछले 2 सालों से देश का इकलौता कॉर्न फेस्टिवल मनाता है. कॉर्न फेस्टिवल मनाने के बाद से ही छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी का दर्जा मिला है. इस साल भी यहां तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कॉर्न फेस्टिवल का आयोजन किया था.

छिंदवाड़ा। कॉर्न सिटी के नाम से देशभर में अपनी पहचान बना चुके छिंदवाड़ा से यह खिताब छिन भी सकता है. क्योंकि कृषि विभाग के मुताबिक छिंदवाड़ा जिले में मक्के की खेती पिछले साल की अपेक्षा इस बार करीब 48 हजार हेक्टेयर कम हो सकती है. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने छिंदवाड़ा के कृषि विभाग में डिप्टी डॉयरेक्टर जेआर हेड़ाऊ से बातचीत की.

छिंदवाड़ा से छिन सकता है कॉर्न सिटी का खिताब

जेआर हेड़ाऊ ने बताया कि पिछले साल जिले में 2 लाख 98 हजार हेक्टेयर जमीन में मक्के की फसल किसानों ने लगाई थी. जो इस साल घटकर 2 लाख 50 हजार से 2 लाख 70 हजार हेक्टेयर तक होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भले ही देश में औसतन सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन करने वाला जिला छिंदवाड़ा है. लेकिन पिछले साल फॉल आर्मीवर्म की बीमारी के चलते किसानों की मक्के की फसल कम हुई थी. जिससे बाजार भाव बहुत कम मिले. इसलिए इस साल किसानों का रुझान मक्के को लेकर कम हुआ है.

मिश्रित फसलों का बढ़ेगा रकबा

डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि मक्के के लिए किसानों का रुझान कम हो रहा है. इसलिए इस बार जिले में सोयाबीन, रामतिल, मूंग फल्ली, अरहर जैसी फसलों का रकबा बढेगा. कृषि अधिकारी ने कहा कि किसान अधिकतर एक ही फसल पर निर्भर रहता है. जिसकी वजह से जमीन की उपजाऊ क्षमता भी कम होती है. इसलिए किसानों को फसल चक्र अपनाना चाहिए. एक बार जो फसल लगाई गई है दूसरी बार वहां उसे बदलना चाहिए. ऐसा करने से फसल में बीमारी लगने का खतरा भी कम होता है और उपज भी अच्छी रहती है.

छिंदवाड़ा में मनाया जाता है कॉर्न फेस्टिवल

देश में छिंदवाड़ा सबसे अच्छी मक्के की फसल का उत्पादन करता है इसलिए प्रशासन यहां पर पिछले 2 सालों से देश का इकलौता कॉर्न फेस्टिवल मनाता है. कॉर्न फेस्टिवल मनाने के बाद से ही छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी का दर्जा मिला है. इस साल भी यहां तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कॉर्न फेस्टिवल का आयोजन किया था.

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