छिंदवाड़ा। छावड़ीकला में फसलों के विविधीकरण को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में कलेक्टर सहित जिले के कृषि अधिकारी पहुंचे. अधिकारियों ने खेतों का भ्रमण कर तरबूज और खरबूज की फसलों का अवलोकन किया. खेती को विकसित करने के तरीके को लेकर किसानों से चर्चा की. किसानों ने बताया कि 20 किसानों ने 1 हजार एकड़ में तरबूज, खरबूज की फसल लगाई है. इस फसल से 250 से 300 क्विटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. (Soil testing for advanced farming)
नेपाल तक तरबूज-खरबूज की पहुंच : कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने खेतों का भ्रमण कर किसानों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा क्षेत्र के किसान जागरूक और प्रगतिशील हैं. यहां के कृषक पॉलीमल्चिंग ड्रिप, मिनी स्प्रिंकलर के जरिए कम पानी और कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं. कलेक्टर ने किसानों से खेती में अच्छे उत्पादन के लिए मिट्टी का परीक्षण कराने की अपील की है. जिससे किसानो को अधिक आय प्राप्त हो सके (chhindwara watermelon foreign demand)
तरबूज और खरबूज की फसल हुई खराब, आर्थिक संकट में किसान
किसान हो रहे मालामाल: फसल विविधीकरण पर आयोजित कार्यक्रम में उप संचालक ने दो लाख रुपये से तीन लाख रुपये तक लाभ प्राप्त कर रहे किसानों की प्रशंसा की. इस दौरान उन्होने कहा देश के साथ ही नेपाल तक छिंदवाड़ा जिले के उमरेठ का तरबूज-खरबूज पहुंच रहा है. प्रदेश में छिंदवाड़ा का फसल विविधीकरण में अव्वल स्थान है. यहां सभी प्रकार की फसलें, सब्जियां, फल-फूल एवं मसालों की खेती कम लागत में की जाती है. यहां के किसानों ने आलू के बाद तरबूज खरबूज की खेती कर जिले की पहचान बनाई है.
तरबूज की फसल पर टिड्डियों का हमला, किसानों को सता रहा फसल बर्बाद होने का डर
किसानों का सम्मान : फसल विविधीकरण पर अच्छा कार्य करने वाले किसानों को कलेक्टर सुमन एवं उप संचालक कृषि द्वारा शॉल, श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. आपको बता दें छिंदवाड़ा में उत्पादित किया गया तरबूज-खरबूज ना सिर्फ उत्तप्रदेश, बिहार, उड़ीसा, दिल्ली, छत्तीसगढ़ तक जाता है. बल्कि यह नेपाल तक भेजा जा रहा है.