छिंदवाड़ा। सीखने और पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, इसका एक जीता-जागता उदाहरण हैं छिंदवाड़ा की रहने वाली 80 साल की रिटायर्ड शिक्षिका सरोज अरोड़ा. खास बात यह है कि उन्होंने 80 साल की उम्र में परीक्षा तो दी है, साथ ही इनकी दो पीढ़ियों ने भी एक साथ परीक्षा दी है. एक ही हॉल में एक साथ तीन पीढ़ियों की परीक्षा देने का सेंटर में यह पहला मामला था.
सास बहू और पौत्र ने एक साथ दी परीक्षा: छिंदवाड़ा की रहने वाली 80 साल की सरोज अरोड़ा करीब 20 साल पहले शिक्षिका के पद से रिटायर हो चुकी है. लेकिन लोगों को सिखाने और सीखने की ललक ने लगातार पढ़ाई के लिए प्रेरित किया. 80 साल की उम्र में उन्होंने इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के छिंदवाड़ा स्टडी सेंटर में फूड एंड न्यूट्रिशन में डिप्लोमा के लिए परीक्षा दी है. खास बात यह है कि 80 साल में खुद ने तो परीक्षा दी, साथ ही उनकी बहू डॉ. सुनीता अरोड़ा और नाती ओम बत्रा ने भी उनके साथ एक ही हॉल बैठकर एक ही कोर्स के लिए परीक्षाएं दी.
मिसाल बनी 80 साल की महिला: रिटायर्ड शिक्षका के पति इंजीनियर बीरबल अरोड़ा का स्वर्गवास पिछले फरवरी माह में हो गया था. जिसके कारण वे खुद और उनका परिवार मानसिक रूप से परेशान था. लेकिन डिप्रेशन से निकलकर पूरे उत्साह एवं जोश के साथ उन्होंने अपने परिवार को एकजुट किया और पढ़ाई में लग गईं. पूरे परिवार को नकारात्मक विचारों से हटाकर लोगों को संदेश देने के उद्देश्य से भी लगातार पढ़ाई करती रही और मार्च में उन्होंने बकायदा परीक्षा हॉल में बैठकर परीक्षा भी दी.
बुढ़ापा सिर्फ आंकड़ा, मनोबल सबसे महत्वपूर्ण: शिक्षिका ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि बुढ़ापा तो सिर्फ उम्र का एक आंकड़ा है, अगर आप में मनोबल और आत्मविश्वास है तो आपके लिए कोई भी चीज असंभव नहीं है. उन्होनें कहा कि बुढ़ापा कभी आपके आत्मविश्वास के आड़े नहीं आ सकता, इसीलिए लगातार सकारात्मक सोच के साथ काम करते रहना चाहिए. अपनी उम्र को अपने आत्मविश्वास पर हावी ना होने दें तो आसानी से अपनी जिंदगी जी सकते हैं.