छिंदवाड़ा। नवरात्र पर्व के अंतिम दिन मां सिद्धदात्री का होता है, अगर आप मां सिद्धिदात्री का दर्शन करना चाहते हैं तो छिंदवाड़ा के 1200 साल पुराने मंदिर में जा सकते हैं, जो कलेक्टर बंगला के पास गुरैया रोड पर स्थित है. यहां आप मां के अंतिम स्वरूप का दर्शन कर मां को प्रसन्न कर सकतें है. (Chhindwara Mata Siddhidatri Temple)
ऐसा है मां का रूप: मंदिर के पुजारी बताते हैं कि नौवें दिन दुर्गाजी के नौवें स्वरूप मां सिद्धदात्री की पूजा और अर्चना का विधान है. जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं मां सिद्धिदात्री. इनके चार हाथ हैं और ये कमल पुष्प पर विराजमान हैं. इसके अलावा इनका वाहन भी सिंह ही है. माता के दाहिनी ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र है और ऊपर वाले हाथ में गदा है. वहीं बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है और ऊपर वाले हाथ में शंख है.
ऐसे करें मां की पूजा: प्राचीन शास्त्रों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्व नामक आठ सिद्धियां बताई गई हैं, ये आठों सिद्धियां मां सिद्धिदात्री की पूजा और कृपा से प्राप्त की जा सकती हैं. हनुमान चालीसा में भी 'अष्टसिद्धि नव निधि के दाता' कहा गया है. मां सिद्धिदात्री की पूजा, अर्चना और स्तवन निम्न मंत्र से किया जाता है. मां सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाएं, इससे माता रानी आपकी किसी भी अनहोनी से रक्षा करेंगी. महानवमी के दिन हवन और कन्या पूजन भी होता है, उसे स्वयं कर लें या फिर स्थगित कर दें.
अलौकिक शक्तियां देने वाली हैं मां सिद्धिदात्री: प्राचीन मान्यता है कि, सृष्टि के आरंभ होने के पूर्व जब सब तरफ घोर अंधकार था. वहां पर माता सिद्धिदात्री के प्रभाव से ऊर्जा का प्रकाश पुंज सभी जड़ पदार्थों को चेतन रूप प्रदान करता है. पौराणिक मान्यता है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी सिद्धिदात्री माता के महान भक्त हैं. भगवान शिव गौ माता की कृपा से ही अर्धनारीश्वर स्वरूप प्राप्त हुआ था. आकाशगंगा, झील, वनस्पति, पेड़ पौधे, जल आकाश, थल आदि का निर्माण भी माता सिद्धिदात्री के अनुग्रह से ही हुआ, भक्तों को सिद्धिदात्री की पूजा करने से अलौकिक शक्तियां प्राप्त होती हैं.
मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व: महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों के भय, शोक और रोग नष्ट हो जाते हैं. उनको समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं. माता रानी अपने भक्त से प्रसन्न होकर उसे मोक्ष भी प्रदान करती हैं.