भोपाल। गर्मी के दस्तक देने के साथ ही मध्यप्रदेश में पानी का संकट गहराने लगा है. प्रदेश के 52 जिलों में से करीब 36 जिलों में सूखे के हालात बनने लगे हैं. अधिकांश ट्यूबवेल सूख चुके हैं, तालाबों में भी इतना पानी नहीं बचा कि पूरी गर्मी हर रोज पीने के पानी की सप्लाई की जा सके. प्रदेश की राजधानी भोपाल की स्थिति भी इससे अछूती नहीं है. पिछले 8 साल में भोपाल की बड़ी झील का पानी सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.
मध्यप्रदेश के 52 जिलों में से करीब 36 जिलों के 4 हजार गांव में सूखे की स्थिति पैदा हो गई है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट की मानें तो इन 36 जिलों में जिन 40 नदियों से पानी मुहैया होता है वे लगभग सूखने की स्थिति में है. वहीं आने वाले महीनों में सूखे की हालात को देखते हुए जिला स्तर पर पीने के पानी को लेकर रणनीति बनाई जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक शहरों से ज्यादा गांव में स्थिति खराब हो रही है. ग्रामीण इलाकों के तालाबों में 1-2 महीने का ही पानी बचा है और ट्यूबवेल और कुओं की स्थिति भी ठीक नहीं है. प्रदेश के 19 शहरों में 3 दिन छोड़कर पानी दिया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने पेयजल की स्थिति पर सजगता के दिए निर्देश
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पेयजल की स्थिति की समीक्षा कर कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि पेयजल की स्थिति को लेकर प्रशासन सजग रहे और इसे लेकर प्रस्तुत कार्य योजना तैयार की जाए. मुख्यमंत्री ने जलापूर्ति व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग लेने के लिए भी कहा है. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और नगरीय विकास एवं प्रशासन विभाग द्वारा संभावित जलअभाव ग्रस्त क्षेत्रों को चिह्नित कर पेयजल की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए पूरे इंतजाम करने और निर्देश दिए हैं.
भोपाल की बड़ी झील भी तोड़ रही दम
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की शान बड़ी झील का जलस्तर भी बीते 8 साल में सबसे कम स्तर पर पहुंच गया है. बड़ी झील का जलस्तर लगातार दूसरे साल दिसंबर से ही समेटना शुरू हो गया था और अब हालात यह हैं की पैरागन छोर की ओर पानी इतना नीचे उतर गया है कि नदी में मिलने वाली कोलास नदी की धार अलग दिखाई देने लगी है. बड़ी झील का जलस्तर मार्च माह में ही 1655.65 पर पहुंच गया है. इसके पहले 2011 में बड़ी झील का जलस्तर मार्च माह में 1653. 55 पहुंच गया था. भोपाल में पिछले 2 साल से कम बारिश हो रही है 2017 में सामान्य से 30 फ़ीसदी और 2018 में 19 फीसदी कम बारिश हुई है.