भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने देश भर के गांवों को आदर्श बनाने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत सपना दिखाया. जबकि हकीकत यह है कि मौजूदा सांसद आदर्श गांव को विकसित करने के लिए खानापूर्ति भी नहीं कर सके. प्रधानमंत्री मोदी ने 11 अक्टूम्बर 2014 को योजना लागू की थी. इस योजना के तहत सभी सांसदों ने अपने संसदीय क्षेत्र के किसी एक गांव को गोद लिया था और गांव को आदर्श बनाना था. लेकिन, जनता आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. रीवा, सीधी, सागर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सांसदीय क्षेत्र के गांव में ईटीवी भारत की टीम रियालिटी चेक करने पहुंची तो पता चला कि, इन गांवों में आदर्श ग्राम को लेकर विकास कार्य स्वीकृत तो किए गए हैं, लेकिन हालात नहीं बदले.
गोद लेकर दिखाए विकास के सपने : रीवा, सीधी, सागर, मंडला, छिंदवाड़ा, सांसदीय क्षेत्र के सांसदों ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव को गोद लेकर विकास के सपने दिखाए थे. अमरवाड़ा विधानसभा के पौनार गांव को सांसद नकुलनाथ ने गोद लिया, ददर गांव को केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने गोद लिया. अंबा गांव को सांसद जनार्दन मिश्रा ने गोद लिया. भाजपा सांसद रीति पाठक ने (BJP MP Riti Pathak) अपने गृह ग्राम पतुलखी को गोद लिया. नरयावली विधानसभा के बदौना गांव को सांसद राज बहादुर सिंह (Raj Bahadur Singh) ने गोद लिया. आलम ये है कि, इन गांवों के लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं. (Chhindwara water crisis).
सांसद सांसद जनार्दन मिश्रा के गांव की रियलिटी चेक: साल 2014 में रीवा संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित होकर जब पहली बार जनार्दन मिश्रा सांसद बने तो उन्होंने अंबा गांव को गोद लिया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि, इस गांव की तमाम समस्याओं को हल करेंगे. लेकिन गांव में जीवन की मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. अंबा गांव इन दिनों पानी की समस्या से जूझ रहा है. भीषण गर्मी में ग्रामीणों को पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. ग्रामीण गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हो रहे हैं. ग्रामीण महिलाओं का आधा दिन पानी की व्यवस्था करने में ही गुजर जाता है. मजदूरी करके जीवन यापन करने वाले परिवारों के सामने अब आर्थिक संकट भी पैदा हो रहा है. गांव में स्थित विद्यालय में भी पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है.आज आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बावजूद लोग कुएं से पानी भरने को मजबूर हैं.
सांसद का गांव: नकुलनाथ ने लिया था गोद, अब बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग
सांसद नकुल नाथ के गांव का रियलिटी चेक: पौनार ग्राम को सांसद नकुल नाथ द्वारा गोद लिया गया है, इसके बावजूद गांव में विकास कार्य नहीं हो रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव जलसंकट से जूझ रहा है और यहां 15 दिनों में 1 दिन पानी आता है. (Chhindwara water crisis) गांव में पानी की किल्लत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यदि गांव में कोई गमी हो जाती है, तो ग्रामीण शमशान से लौटने के बाद सिर्फ पानी की कुछ बूंदें शरीर पर छिड़काव करके खुद को शुद्ध कर लेते हैं. क्योंकि, पानी पीने के लिए नहीं है तो फिर नहाना तो बहुत दूर की बात है.
फग्गन सिंह कुलस्ते के गांव का रियलिटी चेक: ददर गांव को केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने गोद लिया है, इसके बावजूद गांव में विकास कार्य जीरो है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव जल संकट से जूझ रहा है. ईटीवी भारत की टीम को रियलिटी चेक में पता चला कि यहां सालों से लगे हैंडपंप सूखे पड़े हैं और भीषण गर्मी में लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. (Jabalpur water crisis)
75 फीसदी दावा झूठा! BJP सांसद के गांव में 25% से भी कम टीकाकरण, अव्यवस्था से ग्रामीण खफा
सांसद रीति पाठक के गांव का रियलिटी चेक: मध्यप्रदेश सरकार लगातार लोगों को वैक्सीनेट कराने की मुहिम में जुटी थी, लेकिन हैरानी की बात यह थी कि खुद भाजपा सांसद रीति पाठक का गांव वैक्सीनेशन के मामले में बगले झांक रहा था.
सरकार की योजना ठप: केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं नाकामयाब हैं. जल जीवन मिशन योजना हो या फिर नल-जल योजना हर तरह की पोल खोलती तस्वीरें इन सभी गांवों से सामने आई हैं. इन योजनाओं के तहत पाइपलाइन भी बिछाई गई थी, लेकिन शासन स्तर पर इसका कोई क्रियान्वयन नहीं हुआ. इसी वजह से अब जलस्तर घट रहा है और ग्रामीण इससे परेशान हैं. इसके साथ ही (village adopted by mp Janardan Mishra struggling for water)इन गांवों में सरकार द्वारा किए जा रहे वादे और दावे खोखले साबित हो रहे हैं. सांसदों द्वारा गांव को गोद लेने के बावजूद इन गांवों में अब तक पानी की समस्या का निराकरण नहीं हो सका. ग्रामीणों को पानी के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. ईटीवी भारत की टीम ने सांसद के गोद लिए गांव की रियलिटी चेक किया तो यह सारी बातें खुलकर सामने आई.