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2019 में दर्ज हुए 7 लाख बेरोजगार, सिर्फ 34 हजार को मिला रोजगार, क्या 2020 में बदलेंगे हालात

मध्य प्रदेश में बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है. साल 2019 में भी बेरोजगारी के जो आंकड़े सामने आए वो चौकाने वाले ही रहे. साल 2018 में बेरोजगारों की संख्या 20 लाख 77 हजार 222 थी. जो 2019 में बढ़कर 27 लाख 79 हजार 725 हो गई. यानि एक साल में सात लाख से भी ज्यादा बेरोजगार बढ़ गए और रोजगार सिर्फ 34 हजार युवाओं को ही मिला.

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Published : Dec 27, 2019, 5:53 PM IST

भोपाल। साल 2019 मध्य प्रदेश की सियासत में बदलाव का साल साबित हुआ. सत्ता बदली, समीकरण बदले और प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में नई सरकार बनी. युवाओं को रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस इस मुद्दे पर साल भर परेशान रही. बहरहाल 2019 तो अलविदा कह रहा है लेकिन बेरोजगारी का मुद्दा छोड़कर तो जरूर रहा है.

मध्य प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी

2019 में प्रदेश के अंदर शिक्षित बेरोजगारों की संख्या जिस तेजी से बढ़ी है. उस तेजी से रोजगार पैदा नहीं हुए. सरकारी आंकड़े तो कुछ यही गवाही देते हैं. एक साल के अंदर प्रदेश में सात लाख बेरोजगार दर्ज हुए हैं तो रोजगार सिर्फ 34 हजार युवाओं को ही मिला.

विधानसभा में पेश आंकड़े
विधानसभा में पेश आंकड़ों की माने तो साल 2018 में बेरोजगारों की संख्या 20 लाख 77 हजार 222 थी. जो 2019 में बढ़कर 27 लाख 79 हजार 725 हो गई. तेजी से बढ़ती बेरोजगारी पर कमलनाथ सरकार ने युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उद्योगों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने का फैसला लिया. सरकार की इस घोषणा के बाद प्रदेश में जॉब फेयर भी आयोजित हुए. इन आयोजनों के जरिए प्रदेश के 17 हजार 506 युवाओं को नौकरी मिली, तो प्लेसमेंट ड्राइव के जरिए भी 2 हज़ार 520 युवाओं को रोजगार मिला. लेकिन बेरोजगारी के आंकड़ों को देखते हुए ये स्कीम नाकाफी साबित दिखाई दे रही हैं.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के लगभग हर जिले में सात से आठ हजार बेरोजगार युवाओं की संख्या दर्ज होती है. खास बात यह है रोजगार की खोज में दूसरें प्रदेशों का रुख करने वाले युवाओं की संख्या भी साल भर में सात से आठ हजार ही दर्ज होती. यानि स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार शायद मिलता ही नहीं है.

राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में पहले अतिथि शिक्षक, फिर अतिथि विद्वान और आखिर में बेरोजगार युवा रोजगार के मुद्दे पर धरने पर बैठे रहे. प्रदेश में बेरोजगारी किस हद तक है इसका आंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि रोजगार ने मिलने से युवाओं ने बेरोजगार सेना का ही गठन कर दिया. जो आए दिन बेरोजगारी के मुद्दे पर सड़कों पर उतरकर कभी केंद्र तो कभी राज्य सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन करती है.

बेरोजगारी के मुद्दे पर सालभर सियासत भी जमकर हुई, बीजेपी ने सड़क से सदन तक ये मुद्दा खूब उठाया. बीजेपी ने कमलनाथ सरकार को बेरोजगारी पर घेरा तो कांग्रेस ने शिवराज सरकार के 15 साल में बेरोजगारी का मुद्दा उठाकर पलटवार किया. यानि साल भर बेरोजगारी के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस में जमकर बयानबाजी हुई. लेकिन बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े प्रदेश के लिए चिंताजनक है. खेर 2019 तो गुजर गया. अब दस्तक दे रहा है 2020, जिससे युवाओं को उम्मीद है कि इस बदले साल में उनका भाग्य भी बदलेगा और शायद हाथ में रोजगार होगा.

भोपाल। साल 2019 मध्य प्रदेश की सियासत में बदलाव का साल साबित हुआ. सत्ता बदली, समीकरण बदले और प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में नई सरकार बनी. युवाओं को रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस इस मुद्दे पर साल भर परेशान रही. बहरहाल 2019 तो अलविदा कह रहा है लेकिन बेरोजगारी का मुद्दा छोड़कर तो जरूर रहा है.

मध्य प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी

2019 में प्रदेश के अंदर शिक्षित बेरोजगारों की संख्या जिस तेजी से बढ़ी है. उस तेजी से रोजगार पैदा नहीं हुए. सरकारी आंकड़े तो कुछ यही गवाही देते हैं. एक साल के अंदर प्रदेश में सात लाख बेरोजगार दर्ज हुए हैं तो रोजगार सिर्फ 34 हजार युवाओं को ही मिला.

विधानसभा में पेश आंकड़े
विधानसभा में पेश आंकड़ों की माने तो साल 2018 में बेरोजगारों की संख्या 20 लाख 77 हजार 222 थी. जो 2019 में बढ़कर 27 लाख 79 हजार 725 हो गई. तेजी से बढ़ती बेरोजगारी पर कमलनाथ सरकार ने युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उद्योगों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने का फैसला लिया. सरकार की इस घोषणा के बाद प्रदेश में जॉब फेयर भी आयोजित हुए. इन आयोजनों के जरिए प्रदेश के 17 हजार 506 युवाओं को नौकरी मिली, तो प्लेसमेंट ड्राइव के जरिए भी 2 हज़ार 520 युवाओं को रोजगार मिला. लेकिन बेरोजगारी के आंकड़ों को देखते हुए ये स्कीम नाकाफी साबित दिखाई दे रही हैं.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के लगभग हर जिले में सात से आठ हजार बेरोजगार युवाओं की संख्या दर्ज होती है. खास बात यह है रोजगार की खोज में दूसरें प्रदेशों का रुख करने वाले युवाओं की संख्या भी साल भर में सात से आठ हजार ही दर्ज होती. यानि स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार शायद मिलता ही नहीं है.

राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में पहले अतिथि शिक्षक, फिर अतिथि विद्वान और आखिर में बेरोजगार युवा रोजगार के मुद्दे पर धरने पर बैठे रहे. प्रदेश में बेरोजगारी किस हद तक है इसका आंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि रोजगार ने मिलने से युवाओं ने बेरोजगार सेना का ही गठन कर दिया. जो आए दिन बेरोजगारी के मुद्दे पर सड़कों पर उतरकर कभी केंद्र तो कभी राज्य सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन करती है.

बेरोजगारी के मुद्दे पर सालभर सियासत भी जमकर हुई, बीजेपी ने सड़क से सदन तक ये मुद्दा खूब उठाया. बीजेपी ने कमलनाथ सरकार को बेरोजगारी पर घेरा तो कांग्रेस ने शिवराज सरकार के 15 साल में बेरोजगारी का मुद्दा उठाकर पलटवार किया. यानि साल भर बेरोजगारी के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस में जमकर बयानबाजी हुई. लेकिन बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े प्रदेश के लिए चिंताजनक है. खेर 2019 तो गुजर गया. अब दस्तक दे रहा है 2020, जिससे युवाओं को उम्मीद है कि इस बदले साल में उनका भाग्य भी बदलेगा और शायद हाथ में रोजगार होगा.

Intro:भोपाल। किसान कर्ज माफी और रोजगार जैसे वचन देखा सत्ता में आई कमलनाथ सरकार के सामने दोनों ही मुद्दे चुनौती बने हुए हैं प्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है उस तेजी से रोजगार पैदा नहीं हो रहे पिछले 1 साल में प्रदेश में पंजीकृत शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में 7 लाख की बढ़ोतरी हुई है जबकि इस दौरान 34000 युवाओं को रोजगार मिला है हालांकि पंजीकृत शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में बढ़ोतरी के पीछे एक वजह सरकार द्वारा शुरू की गई युवा स्वाभिमान योजना को बताया जा रहा है लेकिन विपक्ष बेरोजगारी के मुद्दे पर पर लगातार सवाल उठा रहा है।


Body:प्रदेश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कमलनाथ सरकार ने उद्योगों में स्थानीय को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है नियमों में संशोधन किया गया है कि प्रदेश में उद्योग स्थापित करने वाले उद्योगपतियों को 70 फ़ीसदी प्रदेश के युवाओं नौकरियों में प्राथमिकता देनी होगी। वहीं सरकार ने सरकारी नौकरियों में भी स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने के लिए स्थानीय रोजगार पंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्रेशन की शर्त को जोड़ दिया है सरकार का मानना है कि छोटे पदों पर भर्ती में राज्य के उम्मीदवारों को फायदा मिलना चाहिए कांग्रेस सरकार के 1 साल पूरे होने पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार के मैग्नीफिसेंट एमपी से प्रदेश में रोजगार के अवसर खुलेंगे। उन्होंने 2020-25 को वेल प्लान्ड और फोकस्ड विजन डॉक्यूमेंट बताते हुए कहा की सरकार जिस तरीके से काम कर रही है उससे प्रदेश में जल्द ही नए निवेश आएंगे और बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा।
विधानसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक पिछले 1 साल के दौरान 34000 युवाओं को रोजगार मिला है। प्रदेश में आयोजित जॉब फेयर के माध्यम से 17 हजार 506 युवाओं को नौकरी के लिए चुना गया, जबकि प्लेसमेंट ड्राइव के दौरान 2 हज़ार 520 युवाओं को नौकरी मिली। इसके अलावा प्रदेश में स्थापित हुए 25 नए उद्योगों से 13 हज़ार 740 पद सृजित हुए हैं। हालांकि इस 1 साल में प्रदेश में पंजीकृत शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में 7 लाख की बढ़ोतरी हुई है। अक्टूबर 2018 में प्रदेश में पंजीकृत शिक्षक बेरोजगारों की संख्या 20 लाख 77 हजार 222 थी जो अक्टूबर 2019 में बढ़कर 27 लाख 79 हज़ार 725 पहुंच गई है। इन आंकड़ों पर बीजेपी के आरोपों से घिरी सरकार को सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी की रिपोर्ट से राहत मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में पिछले करीब 10 माह में बेरोजगारी की दर 7% से घटकर 4.2 फीसदी हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां देश में बेरोजगारी दर घटी है वहीं मध्य प्रदेश में बेरोजगारी दर में करीब 4 फ़ीसदी की कमी आई है। उधर बीजेपी के प्रवक्ता यशपाल सिसौदिया का आरोप है कि सरकार द्वारा पेश किए जा रहे रोजगार के आंकड़े ठीक वैसे ही हैं जैसे दावे किसान कर्ज माफी को लेकर किये जाते रहे हैं।


Conclusion:एक बात तो साफ है कि रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर भले ही कितनी ही आंकड़े बाजी पेश कर दी जाए लेकिन इस मुद्दे से निपटने के लिए नए साल में साल में सरकार को कड़ी मशक्कत करनी होगी।
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