भोपाल। मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे उपचुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, बीजेपी-कांग्रेस में तल्खी बढ़ती जा रही है. चाहे किसान कर्ज माफी का मुद्दा हो या फसल बीमा राशि, फिर चाहे अन्य कोई योजना. कांग्रेस आरोप लगा रही है शिवराज सरकार उसकी योजनाओं का श्रेय लेने में जुटी है.
मामला किसान कर्जमाफी से जुड़ा है. विधानसभा के सत्र में कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह के सवाल पर कृषि मंत्री कमल पटेल ने इस बात को स्वीकार किया कि प्रदेश में कर्जमाफी हुई है. बस फिर क्या था. इधर कमल पटेल ने कर्जमाफी पर जबाव दिया. उधर कांग्रेस हमलावर हो गयी. कांग्रेस का आरोप है कमलनाथ सरकार ने किसानों का कर्जमाफ किया है. लेकिन बीजेपी इस मुद्दे पर भ्रम फैला रही है.
हर योजना का श्रेय लेना चाहती है बीजेपीः कांग्रेस
कांग्रेस का आरोप है कि शिवराज सरकार उन तमाम योजनाओं का लाभ लेना चाहती है. जिनकी स्वीकृति कमलनाथ सरकार में मिली थी. कमलनाथ सरकार ने तीन चरणों में किसानों का कर्जमाफ करने की योजना बनाई थी. कांग्रेस का दावा है कि दो चरण पूरे हो चुके थे. लेकिन तीसरे चरण से पहले बीजेपी ने सरकार गिरा दी. शिवराज सरकार के अस्तित्व में आते ही सरकार ने कमलनाथ सरकार की किसान कर्ज माफी को धोखा बताना शुरू कर दिया और कृषि मंत्री ने तो किसानों से अपील की कि वह राहुल गांधी और कमलनाथ के खिलाफ धोखा देने की एफआईआर दर्ज कराएं. लेकिन अब विधानसभा में बीजेपी इस बात को खुद स्वीकार कर रही है कि कर्जमाफी हुई है.
कांग्रेस का आरोप है कि चाहे किसान कर्जमाफी हो या फसल बीमा राशि फिर चाहे चंबल एक्सप्रेस वे. हर योजना कमलनाथ सरकार में शुरु हुई. लेकिन बीजेपी इन योजनाओं का क्रेडिड लेने में जुटी है. कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता कहते है कि हमने जो काम किया है. उसको लेकर बीजेपी झूठ बोल रही है. कमलनाथ तो एक-एक बात सच बोल रहे थे. हमारी सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, बीजेपी उद्घाटन करते करते थक जाएंगे. बीजेपी को काम करना आता नहीं है सीएम शिवराज सिंह चौहान केवल मुंह चलाते हैं. लेकिन जनता इनके बहकावे में नहीं आने वाली.
बीजेपी का पलटवार
कांग्रेस का आरोप पर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल पलटवार करते हुए कहते है कि बीजेपी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीमा का प्रीमियम जो कमलनाथ ने नहीं भरा था, उसको भरने का काम किया. जिससे किसानों को फायदा हुआ. फसल बीमा राशि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में आयी थी. जिसे पीएम मोदी ने और सशक्त बनाया है. कांग्रेस ने केवल किसानों के साथ छलावा किया है.
उपचुनाव के चलते छिड़ा घमासान
दोनों पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं, बीजेपी और कांग्रेस को यह अच्छी तरह पता है एक बड़ा मुद्दा चुनावी समर के रण को बदल कर रखे देगा. यही वजह है सियासी फिजा में लायक-नालायक की जुबानी जंग के साथ अब योजनाओं का श्रेय लेने की होड़ भी मच गयी है.
मध्य प्रदेश में यह सियासी उबाल केवल उपचुनाव से जुड़ा है. क्योंकि ये उपचुनाव सामान्य उपचुनाव नहीं है. इनके नतीजे ही प्रदेश की राजनीति की सियासी दशा और दिशा तय करेंगे. या ये कहा जाए कि कुछ नेताओं का भविष्य ही तय कर देंगे तो शायद गलत नहीं होगा. यही वजह है कि बीजेपी कांग्रेस एक दूसरे को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती. अब देखना दिलचस्प होगा कि किसानों को मुद्दे से शुरु हुई यह सियासी जंग कितने आगे तक जाएगी.