भोपाल। 88 साल पहले अब्दुल कवी देसनवी का जन्म बिहार के देसना गांव में ऊर्दू के प्रोफेसर मोहम्मद सईद रजा के यहां हुआ था. देसनवी ने सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई पूरी की. उसके बाद उन्होंने कई जगह अपनी सेवाएं दी. फिर उर्दू को अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, जिसके चलते 1 नवम्बर 2017 को उनके जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर अब्दुल कवी देसनवी को समर्पित किया था.
अब्दुल कवी देसनवी को उनकी उर्दू में लिखी किताबों के लिए जाना जाता है. उन्होने भारत में उर्दू साहित्य के प्रोत्साहन में अहम भूमिका निभाई थी, उन्होंने अल्लामा इकबाल, मौलाना आजाद और मिर्जा गालिब की जिन्दगी पर भी कई किताबें लिखीं, जिन्हे काफी सराहा गया, इसके अलावा उन्होंने कई कविताएं और फिक्शन भी लिखे. अब्दुल कवी देसनवी के शागिर्दी में जावेद अख्तर, कवि मुश्ताक सिंह, इकबाल मसूद, प्रोफेसर मुजफ्फर हनफी, सेलानी सिलवटे, प्रोफेसर खालिद महमूद जैसी नामी हस्तियों के अलावा और भी कई लोग शामलि रहे.
कई अवार्ड भी मिल चुके हैं
अब्दुल कवी देसनवी को साहित्य में उनके योगदान के लिए कई अवार्ड भी मिल चुके हैं, जिनमें से मुख्य साहब नवाब सिद्दीकी हसन खां अवार्ड भोपाल, बिहार उर्दू एकेडमी अवार्ड, आल इंडिया परवेज शहीदी अवार्ड वेस्ट बंगाल के अलावा कई छोटे बड़े अवार्ड मिल चुके हैं.
यहां दी अपनी सेवाएं
- अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद देसवनी 1961 में प्रोफेसर के तौर पर सैफिया पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से जुड़े.
- 1978 से 1979 के दौरान ऑल इंडिया रेडियो भोपाल के प्रोग्राम एडवाइजरी कमिटी के मेम्बर भी रहे.
- 1977 से 1985 के बीच चार साल बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ स्टाडीज उर्दू, पर्शियन एंड अरेबिक के चेयरमैन रहे.
- 1980 से 1982 तक बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के आर्ट फैकल्टी के डीन रहे, साथ ही बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के एक्जीक्युटिव काउंसिल के मेम्बर भी रहे.
- 1983 में फिर सैफिया कॉलेज वापस लौटे और 1983 से 1985 तक यहां प्राचार्य रहे.
- आखिरी में रिटायर होने के बाद वह 1991- 92 में मध्यप्रदेश उर्दू बोर्ड के सेक्रेटरी के रूप में कार्य किया.
बिहार के देसना में जन्मे अब्दुल कवी देसनवी अपने जीवन काल में ज्यादातर समय मध्यप्रदेश और भोपाल से जुड़े रहे और उर्दू के लिए काम करते हुए ही उर्दू साहित्य के अजीम हस्ताक्षर अब्दुल कवी देसनवी का 80 की उम्र में 7 जुलाई 2011 को निधन हो गया था.