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मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर ही उर्दू के 'प्रमुख हस्ताक्षर' की पड़ती है जयंती

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Published : Nov 1, 2019, 11:43 AM IST

Updated : Nov 1, 2019, 2:14 PM IST

1 नवम्बर को मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस के अलावा भी प्रदेश की एक और महान सख्शियत अब्दुल कवी देसनवी की जयंती है, जिन्होंने उर्दू साहित्य के प्रोत्साहन में अहम भूमिका निभाई थी.

अब्दुल कवी देसनवी का जन्मदिन

भोपाल। 88 साल पहले अब्दुल कवी देसनवी का जन्म बिहार के देसना गांव में ऊर्दू के प्रोफेसर मोहम्मद सईद रजा के यहां हुआ था. देसनवी ने सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई पूरी की. उसके बाद उन्होंने कई जगह अपनी सेवाएं दी. फिर उर्दू को अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, जिसके चलते 1 नवम्बर 2017 को उनके जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर अब्दुल कवी देसनवी को समर्पित किया था.

अब्दुल कवी देसनवी का जन्मदिन

अब्दुल कवी देसनवी को उनकी उर्दू में लिखी किताबों के लिए जाना जाता है. उन्होने भारत में उर्दू साहित्य के प्रोत्साहन में अहम भूमिका निभाई थी, उन्होंने अल्लामा इकबाल, मौलाना आजाद और मिर्जा गालिब की जिन्दगी पर भी कई किताबें लिखीं, जिन्हे काफी सराहा गया, इसके अलावा उन्होंने कई कविताएं और फिक्शन भी लिखे. अब्दुल कवी देसनवी के शागिर्दी में जावेद अख्तर, कवि मुश्ताक सिंह, इकबाल मसूद, प्रोफेसर मुजफ्फर हनफी, सेलानी सिलवटे, प्रोफेसर खालिद महमूद जैसी नामी हस्तियों के अलावा और भी कई लोग शामलि रहे.

कई अवार्ड भी मिल चुके हैं

अब्दुल कवी देसनवी को साहित्य में उनके योगदान के लिए कई अवार्ड भी मिल चुके हैं, जिनमें से मुख्य साहब नवाब सिद्दीकी हसन खां अवार्ड भोपाल, बिहार उर्दू एकेडमी अवार्ड, आल इंडिया परवेज शहीदी अवार्ड वेस्ट बंगाल के अलावा कई छोटे बड़े अवार्ड मिल चुके हैं.

यहां दी अपनी सेवाएं

  • अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद देसवनी 1961 में प्रोफेसर के तौर पर सैफिया पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से जुड़े.
  • 1978 से 1979 के दौरान ऑल इंडिया रेडियो भोपाल के प्रोग्राम एडवाइजरी कमिटी के मेम्बर भी रहे.
  • 1977 से 1985 के बीच चार साल बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ स्टाडीज उर्दू, पर्शियन एंड अरेबिक के चेयरमैन रहे.
  • 1980 से 1982 तक बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के आर्ट फैकल्टी के डीन रहे, साथ ही बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के एक्जीक्युटिव काउंसिल के मेम्बर भी रहे.
  • 1983 में फिर सैफिया कॉलेज वापस लौटे और 1983 से 1985 तक यहां प्राचार्य रहे.
  • आखिरी में रिटायर होने के बाद वह 1991- 92 में मध्यप्रदेश उर्दू बोर्ड के सेक्रेटरी के रूप में कार्य किया.

बिहार के देसना में जन्मे अब्दुल कवी देसनवी अपने जीवन काल में ज्यादातर समय मध्यप्रदेश और भोपाल से जुड़े रहे और उर्दू के लिए काम करते हुए ही उर्दू साहित्य के अजीम हस्ताक्षर अब्दुल कवी देसनवी का 80 की उम्र में 7 जुलाई 2011 को निधन हो गया था.

भोपाल। 88 साल पहले अब्दुल कवी देसनवी का जन्म बिहार के देसना गांव में ऊर्दू के प्रोफेसर मोहम्मद सईद रजा के यहां हुआ था. देसनवी ने सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई पूरी की. उसके बाद उन्होंने कई जगह अपनी सेवाएं दी. फिर उर्दू को अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, जिसके चलते 1 नवम्बर 2017 को उनके जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर अब्दुल कवी देसनवी को समर्पित किया था.

अब्दुल कवी देसनवी का जन्मदिन

अब्दुल कवी देसनवी को उनकी उर्दू में लिखी किताबों के लिए जाना जाता है. उन्होने भारत में उर्दू साहित्य के प्रोत्साहन में अहम भूमिका निभाई थी, उन्होंने अल्लामा इकबाल, मौलाना आजाद और मिर्जा गालिब की जिन्दगी पर भी कई किताबें लिखीं, जिन्हे काफी सराहा गया, इसके अलावा उन्होंने कई कविताएं और फिक्शन भी लिखे. अब्दुल कवी देसनवी के शागिर्दी में जावेद अख्तर, कवि मुश्ताक सिंह, इकबाल मसूद, प्रोफेसर मुजफ्फर हनफी, सेलानी सिलवटे, प्रोफेसर खालिद महमूद जैसी नामी हस्तियों के अलावा और भी कई लोग शामलि रहे.

कई अवार्ड भी मिल चुके हैं

अब्दुल कवी देसनवी को साहित्य में उनके योगदान के लिए कई अवार्ड भी मिल चुके हैं, जिनमें से मुख्य साहब नवाब सिद्दीकी हसन खां अवार्ड भोपाल, बिहार उर्दू एकेडमी अवार्ड, आल इंडिया परवेज शहीदी अवार्ड वेस्ट बंगाल के अलावा कई छोटे बड़े अवार्ड मिल चुके हैं.

यहां दी अपनी सेवाएं

  • अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद देसवनी 1961 में प्रोफेसर के तौर पर सैफिया पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से जुड़े.
  • 1978 से 1979 के दौरान ऑल इंडिया रेडियो भोपाल के प्रोग्राम एडवाइजरी कमिटी के मेम्बर भी रहे.
  • 1977 से 1985 के बीच चार साल बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ स्टाडीज उर्दू, पर्शियन एंड अरेबिक के चेयरमैन रहे.
  • 1980 से 1982 तक बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के आर्ट फैकल्टी के डीन रहे, साथ ही बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के एक्जीक्युटिव काउंसिल के मेम्बर भी रहे.
  • 1983 में फिर सैफिया कॉलेज वापस लौटे और 1983 से 1985 तक यहां प्राचार्य रहे.
  • आखिरी में रिटायर होने के बाद वह 1991- 92 में मध्यप्रदेश उर्दू बोर्ड के सेक्रेटरी के रूप में कार्य किया.

बिहार के देसना में जन्मे अब्दुल कवी देसनवी अपने जीवन काल में ज्यादातर समय मध्यप्रदेश और भोपाल से जुड़े रहे और उर्दू के लिए काम करते हुए ही उर्दू साहित्य के अजीम हस्ताक्षर अब्दुल कवी देसनवी का 80 की उम्र में 7 जुलाई 2011 को निधन हो गया था.

Intro: आज जिन शख्सियत का जन्मदिन है उनका नाम हैअब्दुल क़वी देसनवी.साल 1 नवम्बर 2017 को गूगल ने अपना डूडल अब्दुल क़वी देसनवी को समर्पित किया था, आख़िर क्यों ? क्यों ? क्या है इनके बारे में ख़ास.. आइए जानते हैंBody:अब्दुल क़वी देसनवी को उनकी उर्दू में लिखी गयी साहित्यिक पुस्तकों के लिए जाना जाता है; उन्होने भारत में उर्दू साहित्य के प्रोत्साहन में अहम भूमिकाअब्दुल क़वी देसनवी ने अल्लामा इक़बाल , मौलाना आज़ाद और मिर्ज़ा ग़ालिब की ज़िन्दगी पर कई किताबें लिखीं निभाई।।इसके अलावा उन्होंने कई कविताएं और फिक्शन भी लिखाअब्दुल कवी देसनवी के शागिर्द मे जावेद अख़्तर (बॉलवुड वाले), कवी मुश्ताक़ सिंह, इक़बाल मसुद प्रो मुज़फ़्फ़र हनफ़ी, सेलानी सिलवटे, प्रो ख़ालिद महमूद सहीत सैकड़ो नामी हस्ती रहे हैं।
कैफ़ी आज़मी अब्दुल कवी देसनवी के साथियों मे से थे।
बहुत सारे अवार्ड भी अपने झोली मे रखने वाले अब्दुल क़वी देसनवी साहब नवाब सिद्दीक़ी हसन खॉ अवार्ड भोपाल, बिहार उर्दू एकेडमी अवार्ड, आल इंडिया परवेज़ शहीदी अवार्ड वेस्ट बंगाल से नवाज़े गए हैं।1978 से 1979 के दौरान ऑल इंडिया रेडियो भोपाल के प्रोग्राम एडवाईज़री कमिटी के मेम्बर भी रहे।

1977 से 1985 के बीच चार साल बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ़ स्टाडीज़ उर्दु, पर्शयन एैंड अरेबिक के चेयरमैन रहे।

1980 से 1982 तक बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के आर्ट फ़ैकल्टी के डीन रहे और साथ ही बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के इसक्युटिव कांसिल के मेम्बर भी (1980–1982) के दौरान रहे

इसके बाद 1983 से 1985 तक सैफ़िया कॉलेज भोपाल के प्रिंसपल रहे।

अब्दुल क़वी देसनवी 1990 में अपने पद से रिटायर हुए।

साथ ही 1991- 92 मे मध्यप्रदेश उर्दू बोर्ड के सेक्रेटरी रहे।Conclusion: उर्दू साहित्य के अजीम हस्ताक्षर के जन्मदिन के मौके पर ईटीवी भारत सलाम करता है
Last Updated : Nov 1, 2019, 2:14 PM IST
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