भोपाल। देश में बढ़ते धर्मान्तरण, सांप्रदायिक सद्भाव पर जोर और सामाजिक समरसता का प्रयास... ये वो मुद्दे हैं जो रायपुर में शुरु हुई आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक में जो छाए रहने वाले हैं. माना जा रहा है कि संघ अपने अनुषांगिक संगठनोंसे फीड बैक लेकर इन पर आगे की रणनीति तैयार कर सकता है. आरएसएस का फोकस जनजातीय समाज पर भी है, केन्द्र से लेकर बीजेपी शासित राज्यों तक जनजातीय समाज को फोकस मे रखकर जिस तरह से काम हुआ है उनके गौरवशाली इतिहास को रेखांकित करने के प्रयास हुए हैं. जनजातीय समाज में काम कर रही संघ की शाखाएं उस सबका फीडबैक भी इस बैठक में रखेंगी. जानकारी के मुताबिक इस समन्वय बैठक का अहम विषय न्यू मीडिया और उसकी वजह से समाज में आई चुनौतियां भी है. RSS Coordination Meeting
धर्मान्तरण को रोकना, सद्भाव पर जोर: लव जेहाद का मुद्दा और देश में तेजी से बढ़ी धर्मान्तरण की घटनाओं को लेकर मानाजा रहा है कि संघ की समन्वय बैठक में अहम रुप से चर्चा हो सकती है. समन्वय बैठक में संघ की वो शाखाएं पहुंची है, जो समाज के बीच में काम कर रही हैं. लिहाजा ये फीडबैक दे पाएंगी कि जमीनी स्तर पर धर्मान्तरण जैसे मुद्दे पर कितनी चुनौतियां हैं, इसके साथ साथ गौ तस्करी और ग्रामीणों का पलायन भी सामाजिक विषय के तौरपर इस समन्वय बैठक का हिस्सा हो सकता है. संघ का फोकस पिछले दिनों समाज में बढ़ी धार्मिक उन्माद की घटनाओं को लेकर भी है और समाज के बीच सामाजिक समरसता के कार्यक्रम चलाने इस बैठक में नए कार्यक्रम तैयार हो सकते हैं. बैठक में न्यू मीडिया और समाज में उसकी बढ़ती चुनौतियों को लेकर भी मंथन संभावित है.
संघ से जुड़ी हर शाखा के प्रतिनिधि मौजूद: रायपुर में शुरु हुई संघ की इस बैठक का शुभारंभ संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया. इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत संघ विचारधारा पर काम कर रहे अलग अलग संगठनों के 240 से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद हैं. तीन दिन चलने वाली ये समन्वय बैठक 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर भी काफी अहम मानी जा रही है. अगले साल जिन पाच राज्यों में चुनाव होना है उन पर संघ का फोकस होगा और संघ की इस बैठक से बीजेपी को भी एक तरीके से फीडबैक मिलेगा.
समन्वय बैठक से पहले रायपुर में आरएसएस का मंथन, संघ प्रमुख मोहन भागवत रहे मौजूद
जनजातीय समाज पर खास फोकस: माना जा रहा है कि इस बैठक में सघ जनजातीय समाज का गौरव बढ़ाने वाले प्रयासों पर वनवासी कल्याण परिषद समेत जनजातीय समाज के बीच काम कर रहे सगठनों से फीड बैक लेगा और उसी के आधार पर जनजातीय समाज के बीच संघ की गतिविधियों को विस्तार दिया जाएगा.
संघ का वैचारिक चिंतन, एमपी बीजेपी की चुनावी चिंता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इस तरह की बैठकों में संघ के बाकी आनुषांगिक संगठनों के दायित्व, उनकी कार्यशैली के साथ अब तक किए गए कार्यों का फीडबैक लिया जा रहा है और आगे बेहतर काम करने की रणनीति बनाई जाती है. संघ और उसके 36 के करीब आनुषांगिक संगठन किस तरह से बेहतर ढंग से काम कर संघ की विचारधारा को विस्तार दे इस पर फोकस किया जा रहा है. मूल रुप से संघ की विचारधारा के आधार पर बना राजनीतिक दल बीजेपी भी इसमें शामिल हैं जो राजनीतिक रुप से आगे बढ़ रही है. इसलिए संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक को लेकर ये कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में 2024 के आम चुनाव और मध्यप्रदेश में उससे पहले 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की अब तक की तैयारियों को लेकर फीडबैक लिया जा सकता है. मुमकिन है कि बैठक में वे एजेंडे भी तय हों जिन्हें संघ अपने हाथ में लेगा जिनका बीजेपी को विधानसभा और आम चुनावों में फायदा मिल सके.
समन्वय बैठक में संघ से जुड़े 36 संगठन शामिल: इन बैठकों में संघ के 36 अनुषांगिक संगठनों के पूरे साल के क्रियाकलापों की जानकारी ली जाती है. इसमें इन संगठनोंको ये बताना होता है कि जो लक्ष्य तय किए गए हैं उनपर संगठनों का काम कहां तक पहुंचा और इस बीच किस तरह की दिक्कतें आईं. बैठक में संघ से जुड़े सेवा भारती, वनवासी सेवा आश्रम, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ समेत कई संगठन शामिल होते हैं.
2024 के पहले एमपी में 2023 की चिंता: माना जा रहा है कि RSS की इस समन्वय बैठक में भले ही सारी रणनीति 2024 के आम चुनाव केन्द्रित रखते हुए तैयार की जाएगी, लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुकाबले बीजेपी की निगाह में डेढ साल बाद ही एमपी में सत्ता में लौट आई बीजेपी और संघ के लिए 2023 का इम्तेहान भी आसान नहीं दिखाई दे रहा है. निकाय चुनाव के नतीजों ने इस बात की संकेत दे दिए हैं. 16 नगर निगम में से 5 बीजेपी के हाथ से निकल चुके हैं. यह झटका देने वाली हार तो है ही साथ ही बीजेपी का बूथ तक मजबूत कार्यकर्ता भी इन चुनाव में अनदेखी से नाराज रहा है. माना जा रहा है कि चुनाव से पहले मध्यप्रदेश बीजेपी में संगठन की मजबूती का मुद्दा भी समन्वय बैठक में शामिल होगा.