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शिवराज सरकार लगवाएगी 13 पूर्व मुख्यमंत्रियों का स्टेच्यू, 1 करोड़ के करीब आएगा खर्च, मंत्रालय के सामने होंगी स्थापित

शिवराज सरकार (statues of former chief minister) पूर्व मुख्यमंत्रियों की मूर्तियों पर करीब ₹1 करोड़ खर्च करने जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री की मूर्तियों को वल्लभ भवन (statues installed in mp secretaries) में लगाकर उनके किए गए काम का उल्लेख भी किया जाएगा.

statues installed in mp secretarie
वल्लव भवन के सामने स्थापित होंगी मूर्ति
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Published : Jan 29, 2022, 10:18 PM IST

भोपाल। एक तरफ मध्य प्रदेश लाखों करोड़ के कर्ज में है तो वहीं दूसरी तरफ शिवराज सरकार (statues of former chief minister) पूर्व मुख्यमंत्रियों की मूर्तियों पर करीब ₹1 करोड़ खर्च करने जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री की मूर्तियों को वल्लभ भवन (statues installed in mp secretaries) में लगाकर उनके किए गए काम का उल्लेख भी किया जाएगा. सीएम की इस मंशा को लेकर कहा जा रहा है कि शिवराज अपनी छवि ऐसे नेता की बनाना चाहते हैं जो दलगत राजनीति से ऊपर हो.

2018 में जारी हुआ था टेंडर
2018 में दिवंगत मुख्यमंत्रियों की प्रतिमा लगाने के लिए सीपीए ने 92 लाख 46 हज़ार का टेंडर निकाला था. उस दौरान चुनाव आ गए बीजेपी की शिवराज सरकार चुनाव हार गई. कमलनाथ सरकार के दौरान इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. महज कुछ महीने बाद ही कांग्रेस से सिंधिया की बगावत के सहारे बीजेपी फिर से प्रदेश की सत्ता पर काबिज हो गई. शिवराज सिंह की सीएम के तौर पर वापसी के बाद इस प्रोजेक्ट पर फिर काम शुरू हो गया और अब तैयारियां जोरों पर हैं. पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिमा लगाने के खिलाफ एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में लगाई गई लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया है. लिहाजा अब मंत्रालय में पूर्व मुख्यमंत्रियों के स्टेच्यू लगाने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है, हालांकि सूत्रों का कहना है कि अब फिर से मूर्तियों की बनावट और सजावट के लिए टेंडर निकाला जा सकता है.

बीजेपी की स्मारकों, मंदिरों और मूर्तियों में ज्यादा दिलचस्पी
अपने पिछले कार्यकाल में भी मुख्यमंत्री शिवराज ने भोपाल के एमपी नगर में 50 करोड़ का शौर्य स्मारक बनवाया था. इसके अलावा अपने सीजन 2 में भी शिवराज सरकार अटल बिहारी वाजपेई का भव्य स्मारक और विशाल प्रतिमा, पद्मावती का स्मारक,आदि गुरु शंकराचार्य की विशाल मूर्ति के साथ-साथ म्यूजियम और अब मंत्रालय में प्रदेश के 15 दिवंगत मुख्यमंत्रियों की मूर्तियां स्थापित करने जा रही है.

इनकी लगेगी प्रतिमा
अविभाजित मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ला, भगवंतराव मंडलोई ,कैलाश नाथ काटजू ,द्वारका प्रसाद मिश्र ,विजय राजे सिंधिया, गोविंद नारायण सिंह ,राजा नरेश चंद्र सिंह ,श्यामाचरण शुक्ला, प्रकाश चंद्र सेठी ,कैलाश जोशी, वीरेंद्र सकलेचा, सुंदरलाल पटवा ,अर्जुन सिंह ,मोतीलाल वोरा, सुंदरलाल पटवा की मूर्तियां लगाई जाएंगी. इसे लेकर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि करोड़ों रुपए मूर्तियों पर खर्च करने के बजाय सरकार रोजगार ,स्वास्थ्य सुविधाएं, पेयजल शिक्षा पर खर्च करती तो बेहतर होता. इससे प्रदेश में विकास दिखाई देता.

कैसे सत्ता पाई क्या इसका भी जिक्र होगा?
दिवंगत मुख्यमंत्रियों की स्टेच्यू लगाने जा रही सरकार स्टेच्यू के साथ उन नेताओं के बारे में भी जानकारी देगी. जिस पर सवाल यह है कि इन नेताओं ने पद कैसे पाया इसका जिक्र भी किया जाएगा. जैसे

-गोविंद नारायण सिंह ने मुख्यमंत्री बनने के लिए दलबदल किया और विजयाराजे सिंधिया से सांठगांठ कर बहुमत से सत्ता में आए, द्वारका प्रसाद की सरकार गिरवा दी.

- सारंगढ़ के नरेश चंद्र सिंह जिन्हें गोविंद नारायण सिंह के द्वारा दलबदल से खतरे में आई सरकार बचाने विजयाराजे ने बतौर मोहरा इस्तेमाल किया उन्हें भी कांग्रेस से दल बदल कर मुख्यमंत्री बनवा दिया.

- वीरेंद्र सकलेचा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उनसे इस्तीफा लिया गया.

- राजनीति के संत कहे जाने वाले कैलाश जोशी भी पद का तनाव नहीं खेल पाए और 7 महीने में ही हटा दिए गए.

- सुंदरलाल पटवा की सरकार को भी नरसिम्हा राव ने इसलिए बर्खास्त किया था. उनपर दंगा रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाया गया.

भोपाल। एक तरफ मध्य प्रदेश लाखों करोड़ के कर्ज में है तो वहीं दूसरी तरफ शिवराज सरकार (statues of former chief minister) पूर्व मुख्यमंत्रियों की मूर्तियों पर करीब ₹1 करोड़ खर्च करने जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री की मूर्तियों को वल्लभ भवन (statues installed in mp secretaries) में लगाकर उनके किए गए काम का उल्लेख भी किया जाएगा. सीएम की इस मंशा को लेकर कहा जा रहा है कि शिवराज अपनी छवि ऐसे नेता की बनाना चाहते हैं जो दलगत राजनीति से ऊपर हो.

2018 में जारी हुआ था टेंडर
2018 में दिवंगत मुख्यमंत्रियों की प्रतिमा लगाने के लिए सीपीए ने 92 लाख 46 हज़ार का टेंडर निकाला था. उस दौरान चुनाव आ गए बीजेपी की शिवराज सरकार चुनाव हार गई. कमलनाथ सरकार के दौरान इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. महज कुछ महीने बाद ही कांग्रेस से सिंधिया की बगावत के सहारे बीजेपी फिर से प्रदेश की सत्ता पर काबिज हो गई. शिवराज सिंह की सीएम के तौर पर वापसी के बाद इस प्रोजेक्ट पर फिर काम शुरू हो गया और अब तैयारियां जोरों पर हैं. पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिमा लगाने के खिलाफ एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में लगाई गई लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया है. लिहाजा अब मंत्रालय में पूर्व मुख्यमंत्रियों के स्टेच्यू लगाने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है, हालांकि सूत्रों का कहना है कि अब फिर से मूर्तियों की बनावट और सजावट के लिए टेंडर निकाला जा सकता है.

बीजेपी की स्मारकों, मंदिरों और मूर्तियों में ज्यादा दिलचस्पी
अपने पिछले कार्यकाल में भी मुख्यमंत्री शिवराज ने भोपाल के एमपी नगर में 50 करोड़ का शौर्य स्मारक बनवाया था. इसके अलावा अपने सीजन 2 में भी शिवराज सरकार अटल बिहारी वाजपेई का भव्य स्मारक और विशाल प्रतिमा, पद्मावती का स्मारक,आदि गुरु शंकराचार्य की विशाल मूर्ति के साथ-साथ म्यूजियम और अब मंत्रालय में प्रदेश के 15 दिवंगत मुख्यमंत्रियों की मूर्तियां स्थापित करने जा रही है.

इनकी लगेगी प्रतिमा
अविभाजित मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ला, भगवंतराव मंडलोई ,कैलाश नाथ काटजू ,द्वारका प्रसाद मिश्र ,विजय राजे सिंधिया, गोविंद नारायण सिंह ,राजा नरेश चंद्र सिंह ,श्यामाचरण शुक्ला, प्रकाश चंद्र सेठी ,कैलाश जोशी, वीरेंद्र सकलेचा, सुंदरलाल पटवा ,अर्जुन सिंह ,मोतीलाल वोरा, सुंदरलाल पटवा की मूर्तियां लगाई जाएंगी. इसे लेकर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि करोड़ों रुपए मूर्तियों पर खर्च करने के बजाय सरकार रोजगार ,स्वास्थ्य सुविधाएं, पेयजल शिक्षा पर खर्च करती तो बेहतर होता. इससे प्रदेश में विकास दिखाई देता.

कैसे सत्ता पाई क्या इसका भी जिक्र होगा?
दिवंगत मुख्यमंत्रियों की स्टेच्यू लगाने जा रही सरकार स्टेच्यू के साथ उन नेताओं के बारे में भी जानकारी देगी. जिस पर सवाल यह है कि इन नेताओं ने पद कैसे पाया इसका जिक्र भी किया जाएगा. जैसे

-गोविंद नारायण सिंह ने मुख्यमंत्री बनने के लिए दलबदल किया और विजयाराजे सिंधिया से सांठगांठ कर बहुमत से सत्ता में आए, द्वारका प्रसाद की सरकार गिरवा दी.

- सारंगढ़ के नरेश चंद्र सिंह जिन्हें गोविंद नारायण सिंह के द्वारा दलबदल से खतरे में आई सरकार बचाने विजयाराजे ने बतौर मोहरा इस्तेमाल किया उन्हें भी कांग्रेस से दल बदल कर मुख्यमंत्री बनवा दिया.

- वीरेंद्र सकलेचा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उनसे इस्तीफा लिया गया.

- राजनीति के संत कहे जाने वाले कैलाश जोशी भी पद का तनाव नहीं खेल पाए और 7 महीने में ही हटा दिए गए.

- सुंदरलाल पटवा की सरकार को भी नरसिम्हा राव ने इसलिए बर्खास्त किया था. उनपर दंगा रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाया गया.

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