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भोपाल का शाही संस्थान: अब प्रदेश में खिलाड़ियों का होगा विशेष इलाज, महंगी इंजरी के खर्च से मिलेगी मुक्ति

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Published : Mar 5, 2022, 11:12 PM IST

प्रदेश की राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में खेल चिकित्सा विभाग खुलने जा रहा है. सरकार इसके लिए तैयारी कर रही है, साथ ही खिलाड़ियों का कहना है कि इसके खुलने से चोट और बीमारियों के खर्च से मिलेगी मुक्ति.

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भोपाल का शाही संस्थान

भोपाल। राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में खेल चिकित्सा विभाग खोला जाएगा. खेलों के दौरान खिलाड़ी कई बार घातक चोट के शिकार हो जाते हैं, और ऐसे में उनके इलाज का खर्चा भी खिलाड़ी को ही उठाना पड़ता है, जिससे परेशान होकर या तो खिलाड़ी को खेल छोड़ना पड़ता है, या फिर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है. ऐसे में खेलों के दौरान कई खिलाड़ियों के अलग-अलग बीमारियों और चोट का इलाज कराने के लिए चिकित्सा विभाग अब खेल चिकित्सा विभाग खोलने की तैयारी कर रहा है. एनसीएसएसआर योजना के तहत विभाग राष्ट्रीय खेल और अनुसंधान केंद्रीय योजना के तहत खोला जाएगा, जिसमें राशि का भुगतान केंद्र और राज्य सरकार मिलकर करेगी.

भोपाल का शाही संस्थान

जल्द बनाई जाएगी योजना
विभाग खोलने के लिए दिल्ली और मुंबई के साथ ही अन्य महानगरों से ऑफर देकर इस योजना की प्लानिंग के लिए बुलाया गया है. ऐसे में भोपाल में भी इसके लिए अलग से विभाग बनाने की तैयारी है, जिसमें खिलाड़ियों का उपचार और इलाज बेहतर ढंग से हो पाएगा. गांधी मेडिकल कॉलेज को इसके लिए चिन्हित किया गया है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के अनुसार, सरकार के पास प्रस्ताव है और जल्द ही इस प्रकार योजना बनाई जाएगी.

सरकारी रूप से इलाज बेहतर
फिलहाल, खिलाड़ियों में इस योजना को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है. भोपाल में एथलेटिक्स की खिलाड़ी मानसी यादव कहती हैं कि, पिछले साल उनके पैर में दौड़ के दौरान फैक्चर हो गया था. जिसके इलाज में उन्हें 10 से 12 हजार का खर्चा आया, जिसे उन्हें खुद ही झेलना पड़ा. वह कहती हैं कि, अगर सरकारी रूप से इसमें इलाज होगा तो बेहतर है.

अब इलाज में होगी सुविधा
वहीं, एक अन्य वाटर स्पोर्ट खिलाड़ी प्रियंका ने कहा कि, उनके एक साथी को भी वॉटरस्पोर्ट के दौरान चोट लगी थी. जिसमें 20 से 30 हजार खर्चा आया था और वो उनके साथी के परिवार को ही उठाना पड़ा. अब अगर खिलाड़ियों के लिए अलग से विभाग इलाज के लिए होगा तो इनको काफी सुविधाएं मिल पाएंगी.

बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

फिजियोथैरेपिस्ट जेम्स कहते हैं कि, अगर चिकित्सा शिक्षा विभाग में ही खिलाड़ियों के लिए अलग से इंजरी को लेकर विभाग होगा तो इससे निश्चित है खिलाड़ियों के साथ चिकित्सक और फिजियोथैरेपिस्ट को भी रोजगार का अवसर मिलेगा क्योंकि इसके लिए स्पेशल फिजियो और चिकित्सकों की जरूरत पड़ेगी. अभी तक हर खिलाड़ी का इलाज उस कॉलेज के खेल विभाग या अन्य जगह एक या दो फिजियो ही मिलकर करते हैं.

जैम्स फिजियोथैरेपिस्ट


इनकी होगी भर्ती
राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज सहित देश के चार अन्य मेडिकल कॉलेजों और छ: विश्वविद्यालयों में इस विभाग को खोला जाना है. खेल चिकित्सा विभाग खुलने से पहले खिलाड़ियों के इलाज, खेल से जुड़ी बीमारियों की पढ़ाई, पैरामेडिकल स्टाफ की भी भर्ती इसमें की जाएगी. इसके साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्राध्यापकों की भर्ती भी होना है.

ये है वर्तमान व्यवस्था
वर्तमान में प्रदेश में खिलाड़ियों के लिए फिजियोथैरेपिस्ट की अलग से व्यवस्था है, लेकिन वह कुछ चुनिंदा ही खेलों में है जो खेल विभाग से संबंधित अकादमी में हैं. इसके अलावा विश्वविद्यालय और अन्य खेलों में जो खिलाड़ी चोट का शिकार होते हैं उन्हें प्राइवेट ही इलाज कराना होता है.

देश के इन कॉलेजों में हो रही शुरुआत

  • गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल मध्य प्रदेश.
  • बेंगलुरु मेडिकल कॉलेज बेंगलुरु.
  • पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय रोहतक हरियाणा.
  • क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान मणिपुर.
  • किंग जॉर्ज ओलंपिक पोडियम यूनिवर्सिटी लखनऊ.

भोपाल। राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में खेल चिकित्सा विभाग खोला जाएगा. खेलों के दौरान खिलाड़ी कई बार घातक चोट के शिकार हो जाते हैं, और ऐसे में उनके इलाज का खर्चा भी खिलाड़ी को ही उठाना पड़ता है, जिससे परेशान होकर या तो खिलाड़ी को खेल छोड़ना पड़ता है, या फिर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है. ऐसे में खेलों के दौरान कई खिलाड़ियों के अलग-अलग बीमारियों और चोट का इलाज कराने के लिए चिकित्सा विभाग अब खेल चिकित्सा विभाग खोलने की तैयारी कर रहा है. एनसीएसएसआर योजना के तहत विभाग राष्ट्रीय खेल और अनुसंधान केंद्रीय योजना के तहत खोला जाएगा, जिसमें राशि का भुगतान केंद्र और राज्य सरकार मिलकर करेगी.

भोपाल का शाही संस्थान

जल्द बनाई जाएगी योजना
विभाग खोलने के लिए दिल्ली और मुंबई के साथ ही अन्य महानगरों से ऑफर देकर इस योजना की प्लानिंग के लिए बुलाया गया है. ऐसे में भोपाल में भी इसके लिए अलग से विभाग बनाने की तैयारी है, जिसमें खिलाड़ियों का उपचार और इलाज बेहतर ढंग से हो पाएगा. गांधी मेडिकल कॉलेज को इसके लिए चिन्हित किया गया है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के अनुसार, सरकार के पास प्रस्ताव है और जल्द ही इस प्रकार योजना बनाई जाएगी.

सरकारी रूप से इलाज बेहतर
फिलहाल, खिलाड़ियों में इस योजना को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है. भोपाल में एथलेटिक्स की खिलाड़ी मानसी यादव कहती हैं कि, पिछले साल उनके पैर में दौड़ के दौरान फैक्चर हो गया था. जिसके इलाज में उन्हें 10 से 12 हजार का खर्चा आया, जिसे उन्हें खुद ही झेलना पड़ा. वह कहती हैं कि, अगर सरकारी रूप से इसमें इलाज होगा तो बेहतर है.

अब इलाज में होगी सुविधा
वहीं, एक अन्य वाटर स्पोर्ट खिलाड़ी प्रियंका ने कहा कि, उनके एक साथी को भी वॉटरस्पोर्ट के दौरान चोट लगी थी. जिसमें 20 से 30 हजार खर्चा आया था और वो उनके साथी के परिवार को ही उठाना पड़ा. अब अगर खिलाड़ियों के लिए अलग से विभाग इलाज के लिए होगा तो इनको काफी सुविधाएं मिल पाएंगी.

बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

फिजियोथैरेपिस्ट जेम्स कहते हैं कि, अगर चिकित्सा शिक्षा विभाग में ही खिलाड़ियों के लिए अलग से इंजरी को लेकर विभाग होगा तो इससे निश्चित है खिलाड़ियों के साथ चिकित्सक और फिजियोथैरेपिस्ट को भी रोजगार का अवसर मिलेगा क्योंकि इसके लिए स्पेशल फिजियो और चिकित्सकों की जरूरत पड़ेगी. अभी तक हर खिलाड़ी का इलाज उस कॉलेज के खेल विभाग या अन्य जगह एक या दो फिजियो ही मिलकर करते हैं.

जैम्स फिजियोथैरेपिस्ट


इनकी होगी भर्ती
राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज सहित देश के चार अन्य मेडिकल कॉलेजों और छ: विश्वविद्यालयों में इस विभाग को खोला जाना है. खेल चिकित्सा विभाग खुलने से पहले खिलाड़ियों के इलाज, खेल से जुड़ी बीमारियों की पढ़ाई, पैरामेडिकल स्टाफ की भी भर्ती इसमें की जाएगी. इसके साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्राध्यापकों की भर्ती भी होना है.

ये है वर्तमान व्यवस्था
वर्तमान में प्रदेश में खिलाड़ियों के लिए फिजियोथैरेपिस्ट की अलग से व्यवस्था है, लेकिन वह कुछ चुनिंदा ही खेलों में है जो खेल विभाग से संबंधित अकादमी में हैं. इसके अलावा विश्वविद्यालय और अन्य खेलों में जो खिलाड़ी चोट का शिकार होते हैं उन्हें प्राइवेट ही इलाज कराना होता है.

देश के इन कॉलेजों में हो रही शुरुआत

  • गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल मध्य प्रदेश.
  • बेंगलुरु मेडिकल कॉलेज बेंगलुरु.
  • पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय रोहतक हरियाणा.
  • क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान मणिपुर.
  • किंग जॉर्ज ओलंपिक पोडियम यूनिवर्सिटी लखनऊ.
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