भोपाल। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर कर दिया गया है. स्टेशन की नाम पट्टिका भी बदल दी गई है. इसके साथ ही हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नामोनिशान भी मिट जाएगा. अब यह स्टेशन गौंड रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा, लेकिन इसका नाम बदलने के दौरान एक विवाद भी सामने आया. जिसमें सीएम शिवराज सिंह के एक ट्वीट से रानी कमलापति के ताल्लुकेदार नाराज हो गए हैं. सीएम ने अपने एक ट्वीट में रानी कमलापति के वफादार साथी दोस्त मोहम्मद खान को षडयंत्रकारी बताया था.
हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने पर सामने आया विवाद
CM शिवराज ने अपने एक ट्वीट में रानी कमलापति के वफादार रहे दोस्त मोहम्मद खान को षडयंत्रकारी बताया लेकिन, इतिहासकार मानते हैं दोस्त मोहम्मद खान धोखेबाज नहीं था बल्कि उसने कमलापति के साथ वफादारी की थी. वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ट्वीट को गलत बताते हुए रानी कमलापति के ताल्लुकेदार कहते हैं की ऐसा कुछ नहीं है. वे दावा करते हैं कि रानी कमलापति और दोस्त मोहम्मद खान के बारे में सबूत के तौर पर सारे दस्तावेज राज्य सरकार के आर्काइव में मौजूद हैं.
सीएम ने ट्वीट में यह लिखा
शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में लिखा कि ' हबीबगंज का नाम अंतिम हिंदू रानी कमलापति के नाम पर पर हो गया है, रानी कमलापति के राज्य को दोस्त मोहम्मद खान द्वारा हड़पने का षड्यंत्र किया गया था. उनके पुत्र की हत्या कर दी गई और रानी को लगा कि वे राज्य का संरक्षण नहीं कर पाएंगी, तो उन्होंने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए समाधि ले ली थी'
इतिहासकारों ने कहा गलत है जानकारी
ट्वीट में लिखी मुख्यमंत्री की बात को इतिहासकार और भोपाल के राजा संग्राम शाह के रियासतदार रहे रिज़वान अंसारी ने ईटीवी से बातचीत में खुलासा किया की दोस्त मोहम्मद खान ने रानी कमलापति से धोखाधड़ी नहीं की बल्कि उन्होंने रानी कमलापति का साथ दिया था. रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान को मदद के लिए बुलाया था इसके एवज में दोस्त मोहम्मद को ₹1 लाख अशरफियां देना तय हुआ था. रिजवान अंसारी बताते हैं की गिन्नौरगढ़ किले पर चेन शाह का कब्जा था. उसे मोहम्मद खान ने मार डाला, दोस्त मोहम्मद खान चौकी गढ़ किला पहुंचा तो राजा जसवंत सिंह वहां से भाग गए लेकिन बीच में उनके खानसामा नें ही उनको जहर देकर मार डाला,अब रानी कमलापति पूरी तरह से सुरक्षित थीं, लेकिन उस वक्त रानी कमलापति के पास 1लाख अशरफियां नहीं थी तो उन्होंने 50,000 अशरफियां तो दोस्त मोहम्मद खान को दे दीं लेकिन बाकी ना होने के कारण मोहम्मद खां को भोपाल राज्य 5 साल के लिए दे दिया था, भोपाल राज्य से सालाना 10 हजार का राजस्व आता था.