भोपाल। शिवराज सिंह चौहान की राज्यपाल मंगू भाई पटेल से मुलाकात के बाद प्रदेश में शिवराज मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं. कांग्रेस समर्थकों के संग सत्ता संतुलन साधने के चलते बीजेपी का जातीय और क्षेत्रीय गणित बिगड़ गया है. अब अगर 2023 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए कैबिनेट एक्सपेंशन होता है तो भाजपा अपने बिगड़े हुए जातीय समीकरण को बैठाने की कोशिश करेगी, अभी भी चार लोगों को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है.
इनको मिल सकती है प्राथमिकता: शिवराज कैबिनेट में ओबीसी वर्ग के चेहरे को शामिल किया जा सकता है. हालांकि, अभी ओबीसी कोटे से 9 मंत्री शामिल हैं, तो वहीं दलित और आदिवासी चेहरे को भी तवज्जो दी जाएगी. बीजेपी 2023 के चुनावों को देखते हुए 52 फीसदी ओबीसी, 20 फीसदी आदिवासी, 16 फीसदी दलित तबके के लोगों का तानाबाना बुनेगी.
एक अनार सौ बीमार: शिवराज सिंह के सामने एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है.ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाने वाले मामले पर बीजेपी ने जमकर सियासत की, ओबीसी का हितैषी बताकर वादा किया गया कि कांग्रेस उनके साथ छलावा करती रही, लेकिन शिवराज उनको न्याय दिलाएगें. दूसरी तरफ शिवराज को उमा,कैलाश, तोमर के साथ-साथ संघ जिस चेहरे का नाम देगा उसे भी शामिल करना ही होगा. ऐसे में अब कैबिनेट एक्सपेंशन अगर होता है तो शिवराज के सामने पशोपेश की स्थिति रहेगी कि आखिर चुने तो किसे चुने.
ग्वालियर चंबल का पलड़ा तो भारी हो गया,लेकिन महाकौशल को अनदेखा किया गया: 24 सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद शिवराज सरकार के समीकरण बिगड़ गए, सत्ता भले ही मिल गई लेकिन क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ने से नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. ग्वालियर चंबल का पलड़ा तो भारी हो गया है.सिंधिया के चलते उनके समर्थकों को वादे के मुताबिक मंत्रिमंडल में शामिल करना पड़ा, लेकिन बीजेपी को 2018 में जीत दिलाने वाले विंध्य और महाकौशल को मायूसी ही हाथ मिली. विंध्य में कुल 30 सीट हैं जिसमें से 24 बीजेपी को मिली, लेकिन मंत्री महज दो. हालांकि,महाकौशल में 38 सीटें हैं जिसमें से बीजेपी को 13 मिलीं, मंत्री सिर्फ एक. वहीं, कमलनाथ ने जबलपुर से ही दो मंत्री शामिल किए थे. रीवा और शहडोल संभाग से एक-एक मंत्री बनाया गया और ग्वालियर चंबल से 11 मंत्री बनाए गए. वर्तमान मंत्रिमंडल में ठाकुरों का दबदबा है, 9 मंत्री हैं. ब्रह्मण सिर्फ तीन,अल्पसंख्यक दो, अनुसूचित जाति और जनजाति के चार-चार मंत्री, ओबीसी से 9, लेकिन सामान्य वर्ग की हिस्सेदारी 13 सदस्यों की है.
अभी 31 सदस्य ,कर सकते हैं 35: अब सिर्फ चार सदस्य ही शामिल किए जा सकते हैं. संविधान के मुताबिक कुल विधानसभा सदस्यों का 15 प्रतिशत मंत्रिमंडल हो सकता है. पिछले मंत्रिमंडल में उमा भारती और प्रहलाद पटेल के समर्थकों को मंत्री पद नहीं मिला था,थावरचंद और फग्गन सिंह की सिफारिश भी नहीं चली, खुद शिवराज को नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन संगठन से विष्णुदत्त शर्मा और सुहास भगत की मर्जी खूब चली. अब यदि कैबिनेट का विस्तार होता है कि जातिगत समीकरण के साथ क्षेत्रीय संतुलन पर ज्यादा ध्यान देना होगा. यदि 2023 में जातिगत समीकरण का गणित बिगड़ा, तो शिवराज को 2023 में सत्ता की कुर्सी का सपना भारी पड़ सकता है.
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