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नवरात्रि 2021ः सप्तमी का दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है, तांत्रिकों के लिए है विशेष दिन

नवरात्रि (Navratri) के सातवें दिन यानी सप्तमी (Saptmi) को मां कालरात्रि (Maa kalratri) की विशेष पूजा की जाती है. ये दिन तांत्रिक (Tantrik) वर्ग के लिए विशेष होता है. इस दिन मां कालरात्रि (Maa kalratri) के साथ शिव (Shiva) और ब्रह्मा (Brahma) की भी उपासना की जाती है.

sharadiya navratri-2021 saptami the seventh day is dedicated to maa kalratri
नवरात्रि 2021 सप्तमी का दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है
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Published : Oct 12, 2021, 6:49 AM IST

हैदराबाद। मूल नक्षत्र, शोभन योग और ववकरण में मां दुर्गा (Maa durga) के सप्तम रूप यानी कि मां कालरात्रि (Maa kalratri) की पूजा-उपासना की जाएगी. कालरात्रि (Maa kalratri)का स्वरूप बहुत ही भयंकर है. भूत-प्रेत-पिशाच सभी माता से कांपते हैं. कहते हैं कि मां कालरात्रि की पूजन करने से ग्रह बाधा दूर होती है. अग्नि जल से भय नहीं रहता, जो भक्त नियम और संयम का पालन करते हुए मां कालरात्रि का पूजन-अनुष्ठान करते हैं. उनकी कामनाएं स्वतः ही पूर्ण होती है. इस दिन तांत्रिक (Tantrik) वर्ग विशेष पूजन करते हैं. इस दिन किया हुआ तंत्र सिद्ध (Tantra siddh) होता है. माता कालरात्रि (Maa kalratri) के साथ शिव (Shiva) और ब्रह्मा (Brahma) की भी उपासना पूजन करने का विधान है. अनेक स्थानों पर मदिरा भी कालरात्रि देवी को श्रद्धा के साथ अर्पित किया जाता है.

शक्ति उपासक (Shakti upashak) इस दिन करते हैं देवी का अनुष्ठान

वहीं, माता कालरात्रि की ऊपर की दाहिनी भुजा वर प्रदान करने वाली है. नीचे की दाहिनी भुजा तलवार और कटीले मुसल को धारण किए हुए हैं. माता के केशपूरी तरह खुले हुए हैं. क्रोध में नासिका से अग्नि धड़कती है. चंडमुंड और शुम्भ निशुंभ जैसे आतताई राक्षसों का संहार माता कालरात्रि ने किया है. शक्ति के उपासक इस दिन देवी का अनुष्ठान के साथ पूजा किया जाता है. माता को सिद्ध करने पर पिंगला नाड़ी सिद्ध हो जाती है. माता को लाल गुलहड़ के फूल की माला बहुत प्रिय है. संध्या के समय माता को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है.

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सप्तमी का दिन मां कालरात्री को समर्पित

आश्विन शुक्ल पक्ष की सप्तमी का शुभ दिन माता कालरात्रि के लिए समर्पित है. सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक दोपहर में 12:00 से 1:30 तक दोपहर 1:30 से 3:00 तक और उसके बाद दोपहर 3:00 बजे से सायकाल 4:30 बजे तक अमृत चौघड़िया में देवी की उपासना पूजन करने का शुभ मुहूर्त है. माता कालरात्रि को शुभंकरी देवी भी कहते हैं. माता का वर्ण काजल के समान श्यामल माना गया है.सप्तमी के दिन मां की विशेष पूजा से महान फल की प्राप्ति ही नहीं बल्कि सिद्धि भी मिलती है.

हैदराबाद। मूल नक्षत्र, शोभन योग और ववकरण में मां दुर्गा (Maa durga) के सप्तम रूप यानी कि मां कालरात्रि (Maa kalratri) की पूजा-उपासना की जाएगी. कालरात्रि (Maa kalratri)का स्वरूप बहुत ही भयंकर है. भूत-प्रेत-पिशाच सभी माता से कांपते हैं. कहते हैं कि मां कालरात्रि की पूजन करने से ग्रह बाधा दूर होती है. अग्नि जल से भय नहीं रहता, जो भक्त नियम और संयम का पालन करते हुए मां कालरात्रि का पूजन-अनुष्ठान करते हैं. उनकी कामनाएं स्वतः ही पूर्ण होती है. इस दिन तांत्रिक (Tantrik) वर्ग विशेष पूजन करते हैं. इस दिन किया हुआ तंत्र सिद्ध (Tantra siddh) होता है. माता कालरात्रि (Maa kalratri) के साथ शिव (Shiva) और ब्रह्मा (Brahma) की भी उपासना पूजन करने का विधान है. अनेक स्थानों पर मदिरा भी कालरात्रि देवी को श्रद्धा के साथ अर्पित किया जाता है.

शक्ति उपासक (Shakti upashak) इस दिन करते हैं देवी का अनुष्ठान

वहीं, माता कालरात्रि की ऊपर की दाहिनी भुजा वर प्रदान करने वाली है. नीचे की दाहिनी भुजा तलवार और कटीले मुसल को धारण किए हुए हैं. माता के केशपूरी तरह खुले हुए हैं. क्रोध में नासिका से अग्नि धड़कती है. चंडमुंड और शुम्भ निशुंभ जैसे आतताई राक्षसों का संहार माता कालरात्रि ने किया है. शक्ति के उपासक इस दिन देवी का अनुष्ठान के साथ पूजा किया जाता है. माता को सिद्ध करने पर पिंगला नाड़ी सिद्ध हो जाती है. माता को लाल गुलहड़ के फूल की माला बहुत प्रिय है. संध्या के समय माता को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है.

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सप्तमी का दिन मां कालरात्री को समर्पित

आश्विन शुक्ल पक्ष की सप्तमी का शुभ दिन माता कालरात्रि के लिए समर्पित है. सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक दोपहर में 12:00 से 1:30 तक दोपहर 1:30 से 3:00 तक और उसके बाद दोपहर 3:00 बजे से सायकाल 4:30 बजे तक अमृत चौघड़िया में देवी की उपासना पूजन करने का शुभ मुहूर्त है. माता कालरात्रि को शुभंकरी देवी भी कहते हैं. माता का वर्ण काजल के समान श्यामल माना गया है.सप्तमी के दिन मां की विशेष पूजा से महान फल की प्राप्ति ही नहीं बल्कि सिद्धि भी मिलती है.

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