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दावेदारी और गुटबाजी के चक्कर में नहीं बन पाया विपक्ष का नेता, ननि चुनाव बाद हो सकता है चयन - selection of Leader of Opposition in Madhya Pradesh Assembly postponed

मध्य प्रदेश कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के चयन पर दिग्गज नेताओं की दावेदारी और गुटबाजी भारी पड़ रही है और शायद इसी वजह से नगरीय निकाय चुनाव का बहाना लेकर कांग्रेस ने इसे फिलहाल के लिए टाल दिया है.

selection of Leader of Opposition in Madhya Pradesh Assembly postponed
नेता प्रतिपक्ष के चयन पर दिग्गज नेताओं की दावेदारी
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Published : Dec 9, 2020, 6:19 PM IST

भोपाल: दिग्गजों की दावेदारी और गुटबाजी के कारण मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष का मामला टल गया है. दिसंबर के आखिरी सप्ताह में हो रहे मध्यप्रदेश विधानसभा के सत्र में कमलनाथ ही नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में नजर आएंगे. दरअसल एक तरफ तो कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी को लेकर गुटबाजी सामने आ रही थी और दूसरी तरफ नगर निगम का चुनाव सामने आ गया था. इसलिए कांग्रेस ने फिलहाल नेता प्रतिपक्ष के चयन की कवायद को टाल दिया. ऐसी स्थिति में नगर निगम चुनाव के बाद ही मध्य प्रदेश विधानसभा के विपक्ष का नेता चुना जाएगा.

दिग्गजों की दावेदारी के कारण उभरी गुटबाजी

दरअसल, जैसे ही कमलनाथ ने उपचुनाव के बाद इशारा किया था कि वह नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ेंगे और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे उसके बाद ही नेता प्रतिपक्ष के दावेदार भारी संख्या में सामने आ गए थे. साथ ही नेता प्रतिपक्ष के जो दावेदार बड़े दिग्गज नेताओं से जुड़े थे, वह दिग्गज नेता इन नेताओं को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए लॉबिंग करने लगे थे. ऐसी स्थिति में विपक्ष में बैठी कांग्रेस गुटबाजी में फंसती हुई नजर आ रही थी. इन परिस्थितियों को देखते हुए और नगर निगम चुनाव सामने होने के कारण फिलहाल नेता प्रतिपक्ष का मामला टलता हुआ नजर आ रहा है.

इस बहाने टाल दी गई नेता प्रतिपक्ष चयन की कवायद

मध्य प्रदेश कांग्रेस का विधायक दल अपने नेता प्रतिपक्ष का चयन कर पाता, इसके पहले ही नगर निगम चुनाव की तैयारियां सरकार ने तेज कर दी थी. हाल ही में उपचुनाव में हुई करारी हार का सामना कर चुकी कांग्रेस नहीं चाहती थी कि नगरीय निकाय चुनाव में भी इस तरह के हाल हों. दूसरी तरफ अलग-अलग गुट की दावेदारी के कारण पार्टी में बिखराव हो रहा था. इन परिस्थितियों को देखते हुए नगरीय निकाय चुनाव के बहाने मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायक दल द्वारा नेता प्रतिपक्ष के चयन की कवायद को फिलहाल टाल दिया गया है.

पढ़ेंः दिग्विजय के 'गिनीपिग' वाले बयान पर बोले कैलाश विजयवर्गीय, 'जब ज्ञान न हो तो नहीं बोलना चाहिए'

दिग्गज दावेदारों के कारण बनी गुटबाजी की स्थिति

विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी सामने आने पर कांग्रेस खेमा गुटों में बटा हुआ नजर आ रहा था. कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा था. जो दिग्विजय सिंह के नजदीकी हैं, लेकिन पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर की दावेदारी के कारण दिग्विजय सिंह खुद पशोपेश में पड़ गए थे. दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह महिला और अनुसूचित जाति के नाते विजयलक्ष्मी साधो का नाम आगे बढ़ा रहे थे. तो कमलनाथ खेमे से अनुसूचित जाति के नाम पर कमलनाथ के सबसे करीबी सज्जन सिंह वर्मा का नाम सामने आ रहा था. वहीं दूसरी तरफ आदिवासी वर्ग के नाम पर जहां कमलनाथ खेमा पूर्व उप नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन का नाम बढ़ा रहा था. तो एक खेमा युवाओं को कमान दिए जाने के नाम पर उमंग सिंघार का नाम आगे बढ़ा रहा था. ऐसी स्थिति में कमलनाथ खेमे के बाला बच्चन को उमंग सिंघार के धुर विरोधी दिग्विजय सिंह का साथ मिलता नजर आ रहा था. लेकिन कमलनाथ और कांग्रेस को दिग्गजों की दावेदारी और गुटबाजी से लगा कि मामला उलझ सकता है. इसलिए नगर निगम चुनावों के बहाने फिलहाल इसे टाल दिया गया है.

पढ़ेंः यूथ कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव: कल से शुरू होगा मतदान, दिग्गजों की एंट्री ने बिगाड़ा खेल

दिसंबर के अंतिम सप्ताह में आयोजित सत्र में कमलनाथ ही रहेंगे नेता प्रतिपक्ष

कांग्रेस सूत्रों की मानें तो दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में आहूत किए गए विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र में कमलनाथ ही विपक्ष के नेता की कमान संभालेंगे. क्योंकि एक तरफ नगर निगम चुनाव सामने हैं और दूसरी तरफ प्रदेश संगठन की कार्यकारिणी में भी बड़े पैमाने पर बदलाव किया जाना है. ऐसी स्थिति में कमलनाथ और कांग्रेस नहीं चाह रही है कि गुटबाजी और आंतरिक विरोध के चलते चुनाव पर असर पड़े.

मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक कुणाल चौधरी

कमलनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे और नेतृत्व में ही सदन चलेगा

मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक कुणाल चौधरी का कहना है ''मुझे लगता है कि जनता के मौलिक मूल्यों की बात करना चाहिए. विधानसभा का सत्र छोटा लग रहा है, सत्र ऐसा बुलाया जाना चाहिए, जिसमें जनता के मूल मुद्दों पर बात हो, स्वास्थ्य व्यवस्था पर बात हो, कोरोना, रोजगार और अर्थव्यवस्था पर चर्चा हो. जो स्थिति गंभीर बनी हुई है, उसके ऊपर चर्चा हो. यह मुद्दा नहीं है कि कौन नेता रहेगा, कौन नहीं रहेगा. प्रदेश की जनता को राहत मिलेगी, तब स्थितियां ठीक होंगी. जनता त्रस्त है और सरकार मस्त है. मध्य प्रदेश में हमारे नेता कमलनाथ हैं, उनके नेतृत्व में हम चुनाव लड़ेंगे और नेतृत्व में ही सदन चलेगा. कमलनाथ ही हमारे नेता प्रतिपक्ष हैं.''

भोपाल: दिग्गजों की दावेदारी और गुटबाजी के कारण मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष का मामला टल गया है. दिसंबर के आखिरी सप्ताह में हो रहे मध्यप्रदेश विधानसभा के सत्र में कमलनाथ ही नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में नजर आएंगे. दरअसल एक तरफ तो कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी को लेकर गुटबाजी सामने आ रही थी और दूसरी तरफ नगर निगम का चुनाव सामने आ गया था. इसलिए कांग्रेस ने फिलहाल नेता प्रतिपक्ष के चयन की कवायद को टाल दिया. ऐसी स्थिति में नगर निगम चुनाव के बाद ही मध्य प्रदेश विधानसभा के विपक्ष का नेता चुना जाएगा.

दिग्गजों की दावेदारी के कारण उभरी गुटबाजी

दरअसल, जैसे ही कमलनाथ ने उपचुनाव के बाद इशारा किया था कि वह नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ेंगे और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे उसके बाद ही नेता प्रतिपक्ष के दावेदार भारी संख्या में सामने आ गए थे. साथ ही नेता प्रतिपक्ष के जो दावेदार बड़े दिग्गज नेताओं से जुड़े थे, वह दिग्गज नेता इन नेताओं को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए लॉबिंग करने लगे थे. ऐसी स्थिति में विपक्ष में बैठी कांग्रेस गुटबाजी में फंसती हुई नजर आ रही थी. इन परिस्थितियों को देखते हुए और नगर निगम चुनाव सामने होने के कारण फिलहाल नेता प्रतिपक्ष का मामला टलता हुआ नजर आ रहा है.

इस बहाने टाल दी गई नेता प्रतिपक्ष चयन की कवायद

मध्य प्रदेश कांग्रेस का विधायक दल अपने नेता प्रतिपक्ष का चयन कर पाता, इसके पहले ही नगर निगम चुनाव की तैयारियां सरकार ने तेज कर दी थी. हाल ही में उपचुनाव में हुई करारी हार का सामना कर चुकी कांग्रेस नहीं चाहती थी कि नगरीय निकाय चुनाव में भी इस तरह के हाल हों. दूसरी तरफ अलग-अलग गुट की दावेदारी के कारण पार्टी में बिखराव हो रहा था. इन परिस्थितियों को देखते हुए नगरीय निकाय चुनाव के बहाने मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायक दल द्वारा नेता प्रतिपक्ष के चयन की कवायद को फिलहाल टाल दिया गया है.

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दिग्गज दावेदारों के कारण बनी गुटबाजी की स्थिति

विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी सामने आने पर कांग्रेस खेमा गुटों में बटा हुआ नजर आ रहा था. कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा था. जो दिग्विजय सिंह के नजदीकी हैं, लेकिन पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर की दावेदारी के कारण दिग्विजय सिंह खुद पशोपेश में पड़ गए थे. दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह महिला और अनुसूचित जाति के नाते विजयलक्ष्मी साधो का नाम आगे बढ़ा रहे थे. तो कमलनाथ खेमे से अनुसूचित जाति के नाम पर कमलनाथ के सबसे करीबी सज्जन सिंह वर्मा का नाम सामने आ रहा था. वहीं दूसरी तरफ आदिवासी वर्ग के नाम पर जहां कमलनाथ खेमा पूर्व उप नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन का नाम बढ़ा रहा था. तो एक खेमा युवाओं को कमान दिए जाने के नाम पर उमंग सिंघार का नाम आगे बढ़ा रहा था. ऐसी स्थिति में कमलनाथ खेमे के बाला बच्चन को उमंग सिंघार के धुर विरोधी दिग्विजय सिंह का साथ मिलता नजर आ रहा था. लेकिन कमलनाथ और कांग्रेस को दिग्गजों की दावेदारी और गुटबाजी से लगा कि मामला उलझ सकता है. इसलिए नगर निगम चुनावों के बहाने फिलहाल इसे टाल दिया गया है.

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दिसंबर के अंतिम सप्ताह में आयोजित सत्र में कमलनाथ ही रहेंगे नेता प्रतिपक्ष

कांग्रेस सूत्रों की मानें तो दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में आहूत किए गए विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र में कमलनाथ ही विपक्ष के नेता की कमान संभालेंगे. क्योंकि एक तरफ नगर निगम चुनाव सामने हैं और दूसरी तरफ प्रदेश संगठन की कार्यकारिणी में भी बड़े पैमाने पर बदलाव किया जाना है. ऐसी स्थिति में कमलनाथ और कांग्रेस नहीं चाह रही है कि गुटबाजी और आंतरिक विरोध के चलते चुनाव पर असर पड़े.

मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक कुणाल चौधरी

कमलनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे और नेतृत्व में ही सदन चलेगा

मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक कुणाल चौधरी का कहना है ''मुझे लगता है कि जनता के मौलिक मूल्यों की बात करना चाहिए. विधानसभा का सत्र छोटा लग रहा है, सत्र ऐसा बुलाया जाना चाहिए, जिसमें जनता के मूल मुद्दों पर बात हो, स्वास्थ्य व्यवस्था पर बात हो, कोरोना, रोजगार और अर्थव्यवस्था पर चर्चा हो. जो स्थिति गंभीर बनी हुई है, उसके ऊपर चर्चा हो. यह मुद्दा नहीं है कि कौन नेता रहेगा, कौन नहीं रहेगा. प्रदेश की जनता को राहत मिलेगी, तब स्थितियां ठीक होंगी. जनता त्रस्त है और सरकार मस्त है. मध्य प्रदेश में हमारे नेता कमलनाथ हैं, उनके नेतृत्व में हम चुनाव लड़ेंगे और नेतृत्व में ही सदन चलेगा. कमलनाथ ही हमारे नेता प्रतिपक्ष हैं.''

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