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SC ने कहा अनाथ बच्चों को तत्काल मदद मुहैया कराएं राज्य, ईटीवी भारत ने जानी ग्राउंड रिपोर्ट

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Published : May 28, 2021, 6:41 PM IST

ईटीवी भारत ने भोपाल में कुछ ऐसे बच्चों से बातचीत की और उनसे सरकार की मदद और भविष्य की योजनाओं को लेकर जाना. ये बच्चे फिलहाल अपने दादा-दादी के साथ हैं. अब इनके सपनों को सरकार से मदद की आस है. जिसके लिए इन्होंने जरूरी दस्तावेज जमा करा कर फॉर्म भर दिया है. ऐसे बच्चों को 30 मई से सरकारी मदद उपलब्ध कराई जानी है.

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SC ने कहा अनाथ बच्चों को तत्काल मदद मुहैया कराएं राज्य

भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी से मचा मातम कुछ कम होने लगा है.महामारी अपने प्रकोप के पीछे छोड़ गई है कुछ ऐसी दर्दभरी कहानियां छोड़ जो उन बच्चों को ताउम्र याद रहेंगी. प्रदेश में सरकार के आंकड़े के मुताबिक ऐसे 325 बच्चे मिले हैं जिनका इस महामारी में सबकुछ छिन गया, माता-पिता उनके सामने ही काल के गाल में समा गए और मासूम बच्चे अनाथ हो गए. इसके अलावा प्रदेश में 1200 बच्चे ऐसे भी है जिन्होंने अपने माता या पिता में से किसी एक को इस महामारी में खो दिया. ऐसे में इन अनाथ बच्चों की मदद का जिम्मा प्रदेश की सरकार ने उठाया है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ऐसे बच्चों की देखरेख के लिए मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना शुरू की है.

SC ने कहा अनाथ बच्चों को तत्काल मदद मुहैया कराएं राज्य

यह है सरकार की योजना

  • मध्यप्रदेश में कोरोना काल के दौरान अनाथ हुए 325 बच्चों के लिए मुख्यमंत्री कोविड बाल कल्याण योजना शुरू की है.
  • इस योजना के तहत ऐसे बच्चों को 21 साल का होने तक 5 हज़ार रुपए प्रतिमाह की पेंशन, महीने का राशन निशुल्क दिया जाएगा.
  • पहली से 12वीं तक सरकारी स्कूलों में निशुल्क पढ़ाई और निजी स्कूल मे पढ़ाई के लिए सरकार 10 हज़ार रुपए सालाना देगी.इसके अलावा कॉ़लेज की पढ़ाई का खर्चा भी सरकार उठाएगी.
  • अगर बच्चा 21 साल के बाद भी अपना पढ़ाई जारी रखता है तो, उसे 24 साल की उम्र तक ये सहायता राशि मिलेगी.
  • सरकार ने अब तक मध्यप्रदेश में ऐसे कुल 325 बच्चों की पहचान की है.
  • जबलपुर, चंबल और उज्जैन संभाग में ऐसे कुल 123 बच्चे हैं. इंदौर, नर्मदापुरम, शहडोल और रीवा संभाग में ऐसे 102 बच्चे हैं. भोपाल, ग्वालियर और सागर संभाग में ऐसे बच्चों की संख्या 100 है.
  • ऐसे बच्चों के खातों में 30 मई तक 5000 रुपये की राशि ट्रांसफर करने के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.
  • इस योजना के तहत उन बच्चों को कवर किया जाएगा जिनके माता-पिता की मौत 1 मार्च 2021 से 30 जून 2021 के बीच हुई हो.
  • प्रदेश सरकार उन 1200 बच्चों के लिए भी एक योजना बनाने की तैयारी कर रही है जिन्होंने अपनी माता या पिता में से किसी एक को खोया है.
  • ऐसे बच्चों को इस योजना के तहत सरकार किसी संगठन या किसी संस्थान के माध्यम से हर महीने 2 हजार रुपए तक की सहायता राशि दिलाएगी.
SC ने कहा अनाथ बच्चों को तत्काल मदद मुहैया कराएं राज्य

तत्काल सहायता मुहैया कराएं राज्य- SC

सुप्रीम कोर्ट ने भी शुक्रवार को कोविड-19 महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के मामले पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों को निर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे बच्चों को राज्य की तरफ से तत्काल राहत मुहैया कराने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह चाहती है कि सरकार बच्चों की पीड़ा को समझे और प्राथमिकता के आधार पर उनकी जरूरतों का ख्याल रखे क्योंकि यह नहीं पता कि कितने बच्चे कितने दिनों से भूखे हैं. इस संबंध में जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि मैं उन बच्चों की संख्या की कल्पना भी नहीं कर सकता जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया है. चाहे वह कोविड से हो या न हो, अनाथों की देखभाल करना प्रशासन का कर्तव्य है. जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ बाल संरक्षण गृहों में कोविड के संक्रमण के एक मामले की सुनवाई कर रही थी.

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SC ने कहा अनाथ बच्चों को तत्काल मदद मुहैया कराएं राज्य

ईटीवी भारत ने जानी ग्राउंड रिपोर्ट

कोरोना का कहर कुछ परिवारों पर ऐसा आया कि हंसता खेलता परिवार दुखों के बोझ के नीचे दब गया...कोरोना ने कई बच्चों के सिर से मां-बाप का साया छीन लिया. बच्चे अनाथ हो गए लेकिन इन बेसहारा का सहारा बन कर आई मध्यप्रदेश सरकार. प्रदेश के ऐसे 325 बच्चों और भोपाल के 15 ऐसे बच्चों को मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना के तहत सहायता मदद का हाथ बढ़ाने को आगे आई है. ईटीवी भारत ने ऐसे परिवारों के बीच जाकर उसके दुख को समझा और जाना कि सरकार की ओर से जो प्रयास किए जा रहे हैं उनसे उन्हें राहत मिल रही है या नहीं. ईटीवी भारत के संवाददाता आदर्श चौरसिया ने जब इन से बात की उनका कहना था कि सरकार की ओर से जो मदद मिल रही है वह सराहनीय पहल है..इससे इनके आगे की पढ़ाई पूरी हो पाएगी. इसके लिए इन्होंने ऑनलाइन फॉर्म भर कर सारे दस्तावेज जमा करा दिए हैं. इन बच्चों के पालन पोषण में जुटे करीबियों का यही कहना था कि सरकार मदद का हाथ बढ़ाकर अच्छी पहल कर रही है, लेकिन इन मासूमों के साथ जो बीती है उसे ये कैसे भुला पाएंगे जो यहीं पूछतें हैं कि ऐसा कैसे हो गया. इन बच्चों की आंखे यही तलाशती रहती हैं कि कब उन्हें वह आवाज आ जाए जो इन्हें बेटा और बेटी कहकर बुलाया करती थी...

अनाथ बच्चों के खातों में 30 मई तक 5000 रुपये की राशि होगी ट्रांसफर: CM शिवराज

बच्चों का डाटा शेयर करने पर है विवाद

प्रदेश में काेरोना से अनाथ हुए बच्चों को सरकार पांच हजार रुपये पेंशन देने के लिए सरकार बच्चों का डाटा इकट्ठा कर रही है. कोरोना से अनाथ बच्चों का डाटा साझा करने को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मप्र सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है. आयोग को शिकायत मिली है कि मप्र सरकार कोरोना महामारी के दौरान निराश्रित हुए बच्चों के पुनर्वास के जो लिए डेटा तैयार करा रही है, वह यूनिसेफ के साथ भी साझा किया जा रहा है.राष्ट्रीय बाल आयोग ने इस पर सख्त आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के खिलाफ बताया है. आयोग का कहना है कि स्वयं सेवी संस्था को डाटा साझा करने से आगे चलकर उसका दुरुपयोग होने का खतरा बना हुआ है. इस मामले में आयोग ने मप्र शासन के चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखकर रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है. वहीं आयोग ने सरकार से आंकड़े जुटाने का सोर्स भी पूछा है. साथ ही जिला कलेक्टरों से डाटा कलेक्ट करने को लेकर भी रिपोर्ट मांगी है.

बाल आयोग ने मांगी 1200 बच्चों की जानकारी

कोरोना में अनाथ हुए बच्चों को किस क्राइटेरिया के आधार पर रखा गया है और उन्हें उनकी पहचान किस नियम के तहत की जा रही है.. यह सभी जानकारी मध्य प्रदेश बाल आयोग ने जिला कलेक्टरों से मांगी है. इस योजना का संचालन महिला एवं बाल विकास विभाग कर रहा है. इसमें कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों को सरकार पेंशन दे रही है, लेकिन बाल आयोग का कहना है की पेंशन उन्हीं बच्चों को दी जा रही है जिनके माता-पिता दोनों कोरोना में खत्म हुए हैं, लेकिन प्रदेश में ऐसे भी कई बच्चे हैं जिनके या तो पिता खत्म हो गए हैं या माता और उनके पास आय का कोई साधन भी नहीं है. ऐसे में उन बच्चों का क्या होगा.ऐसे तमाम बच्चों की जानकारी बाल आयोग ने सरकार से मांगी है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी से मचा मातम कुछ कम होने लगा है.महामारी अपने प्रकोप के पीछे छोड़ गई है कुछ ऐसी दर्दभरी कहानियां छोड़ जो उन बच्चों को ताउम्र याद रहेंगी. प्रदेश में सरकार के आंकड़े के मुताबिक ऐसे 325 बच्चे मिले हैं जिनका इस महामारी में सबकुछ छिन गया, माता-पिता उनके सामने ही काल के गाल में समा गए और मासूम बच्चे अनाथ हो गए. इसके अलावा प्रदेश में 1200 बच्चे ऐसे भी है जिन्होंने अपने माता या पिता में से किसी एक को इस महामारी में खो दिया. ऐसे में इन अनाथ बच्चों की मदद का जिम्मा प्रदेश की सरकार ने उठाया है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ऐसे बच्चों की देखरेख के लिए मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना शुरू की है.

SC ने कहा अनाथ बच्चों को तत्काल मदद मुहैया कराएं राज्य

यह है सरकार की योजना

  • मध्यप्रदेश में कोरोना काल के दौरान अनाथ हुए 325 बच्चों के लिए मुख्यमंत्री कोविड बाल कल्याण योजना शुरू की है.
  • इस योजना के तहत ऐसे बच्चों को 21 साल का होने तक 5 हज़ार रुपए प्रतिमाह की पेंशन, महीने का राशन निशुल्क दिया जाएगा.
  • पहली से 12वीं तक सरकारी स्कूलों में निशुल्क पढ़ाई और निजी स्कूल मे पढ़ाई के लिए सरकार 10 हज़ार रुपए सालाना देगी.इसके अलावा कॉ़लेज की पढ़ाई का खर्चा भी सरकार उठाएगी.
  • अगर बच्चा 21 साल के बाद भी अपना पढ़ाई जारी रखता है तो, उसे 24 साल की उम्र तक ये सहायता राशि मिलेगी.
  • सरकार ने अब तक मध्यप्रदेश में ऐसे कुल 325 बच्चों की पहचान की है.
  • जबलपुर, चंबल और उज्जैन संभाग में ऐसे कुल 123 बच्चे हैं. इंदौर, नर्मदापुरम, शहडोल और रीवा संभाग में ऐसे 102 बच्चे हैं. भोपाल, ग्वालियर और सागर संभाग में ऐसे बच्चों की संख्या 100 है.
  • ऐसे बच्चों के खातों में 30 मई तक 5000 रुपये की राशि ट्रांसफर करने के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.
  • इस योजना के तहत उन बच्चों को कवर किया जाएगा जिनके माता-पिता की मौत 1 मार्च 2021 से 30 जून 2021 के बीच हुई हो.
  • प्रदेश सरकार उन 1200 बच्चों के लिए भी एक योजना बनाने की तैयारी कर रही है जिन्होंने अपनी माता या पिता में से किसी एक को खोया है.
  • ऐसे बच्चों को इस योजना के तहत सरकार किसी संगठन या किसी संस्थान के माध्यम से हर महीने 2 हजार रुपए तक की सहायता राशि दिलाएगी.
SC ने कहा अनाथ बच्चों को तत्काल मदद मुहैया कराएं राज्य

तत्काल सहायता मुहैया कराएं राज्य- SC

सुप्रीम कोर्ट ने भी शुक्रवार को कोविड-19 महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के मामले पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों को निर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे बच्चों को राज्य की तरफ से तत्काल राहत मुहैया कराने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह चाहती है कि सरकार बच्चों की पीड़ा को समझे और प्राथमिकता के आधार पर उनकी जरूरतों का ख्याल रखे क्योंकि यह नहीं पता कि कितने बच्चे कितने दिनों से भूखे हैं. इस संबंध में जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि मैं उन बच्चों की संख्या की कल्पना भी नहीं कर सकता जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया है. चाहे वह कोविड से हो या न हो, अनाथों की देखभाल करना प्रशासन का कर्तव्य है. जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ बाल संरक्षण गृहों में कोविड के संक्रमण के एक मामले की सुनवाई कर रही थी.

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SC ने कहा अनाथ बच्चों को तत्काल मदद मुहैया कराएं राज्य

ईटीवी भारत ने जानी ग्राउंड रिपोर्ट

कोरोना का कहर कुछ परिवारों पर ऐसा आया कि हंसता खेलता परिवार दुखों के बोझ के नीचे दब गया...कोरोना ने कई बच्चों के सिर से मां-बाप का साया छीन लिया. बच्चे अनाथ हो गए लेकिन इन बेसहारा का सहारा बन कर आई मध्यप्रदेश सरकार. प्रदेश के ऐसे 325 बच्चों और भोपाल के 15 ऐसे बच्चों को मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना के तहत सहायता मदद का हाथ बढ़ाने को आगे आई है. ईटीवी भारत ने ऐसे परिवारों के बीच जाकर उसके दुख को समझा और जाना कि सरकार की ओर से जो प्रयास किए जा रहे हैं उनसे उन्हें राहत मिल रही है या नहीं. ईटीवी भारत के संवाददाता आदर्श चौरसिया ने जब इन से बात की उनका कहना था कि सरकार की ओर से जो मदद मिल रही है वह सराहनीय पहल है..इससे इनके आगे की पढ़ाई पूरी हो पाएगी. इसके लिए इन्होंने ऑनलाइन फॉर्म भर कर सारे दस्तावेज जमा करा दिए हैं. इन बच्चों के पालन पोषण में जुटे करीबियों का यही कहना था कि सरकार मदद का हाथ बढ़ाकर अच्छी पहल कर रही है, लेकिन इन मासूमों के साथ जो बीती है उसे ये कैसे भुला पाएंगे जो यहीं पूछतें हैं कि ऐसा कैसे हो गया. इन बच्चों की आंखे यही तलाशती रहती हैं कि कब उन्हें वह आवाज आ जाए जो इन्हें बेटा और बेटी कहकर बुलाया करती थी...

अनाथ बच्चों के खातों में 30 मई तक 5000 रुपये की राशि होगी ट्रांसफर: CM शिवराज

बच्चों का डाटा शेयर करने पर है विवाद

प्रदेश में काेरोना से अनाथ हुए बच्चों को सरकार पांच हजार रुपये पेंशन देने के लिए सरकार बच्चों का डाटा इकट्ठा कर रही है. कोरोना से अनाथ बच्चों का डाटा साझा करने को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मप्र सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है. आयोग को शिकायत मिली है कि मप्र सरकार कोरोना महामारी के दौरान निराश्रित हुए बच्चों के पुनर्वास के जो लिए डेटा तैयार करा रही है, वह यूनिसेफ के साथ भी साझा किया जा रहा है.राष्ट्रीय बाल आयोग ने इस पर सख्त आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के खिलाफ बताया है. आयोग का कहना है कि स्वयं सेवी संस्था को डाटा साझा करने से आगे चलकर उसका दुरुपयोग होने का खतरा बना हुआ है. इस मामले में आयोग ने मप्र शासन के चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखकर रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है. वहीं आयोग ने सरकार से आंकड़े जुटाने का सोर्स भी पूछा है. साथ ही जिला कलेक्टरों से डाटा कलेक्ट करने को लेकर भी रिपोर्ट मांगी है.

बाल आयोग ने मांगी 1200 बच्चों की जानकारी

कोरोना में अनाथ हुए बच्चों को किस क्राइटेरिया के आधार पर रखा गया है और उन्हें उनकी पहचान किस नियम के तहत की जा रही है.. यह सभी जानकारी मध्य प्रदेश बाल आयोग ने जिला कलेक्टरों से मांगी है. इस योजना का संचालन महिला एवं बाल विकास विभाग कर रहा है. इसमें कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों को सरकार पेंशन दे रही है, लेकिन बाल आयोग का कहना है की पेंशन उन्हीं बच्चों को दी जा रही है जिनके माता-पिता दोनों कोरोना में खत्म हुए हैं, लेकिन प्रदेश में ऐसे भी कई बच्चे हैं जिनके या तो पिता खत्म हो गए हैं या माता और उनके पास आय का कोई साधन भी नहीं है. ऐसे में उन बच्चों का क्या होगा.ऐसे तमाम बच्चों की जानकारी बाल आयोग ने सरकार से मांगी है.

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