भोपाल। कोरोना का बढ़ता संक्रमण, प्राणवायु की कमी से मरते मरीज, श्मशान में लगा लाशों का अंबार, हर तरफ हाहाकार. ऐसे में भी कोई कर रहा है व्यापार. अस्पतालों में वेंटिलेटर पर जिंदगी की जंग लड़ रहे मरीजों के लिए बेहद जरूरी दवाओं में शामिल है एंटी वायरल रेमडेसिविर का इंजेक्शन. जो मुश्किल से लोगों को हासिल हो पा रहा है. ऐसे में ही सरकार की नाक के नीचे रेमडेसिविर की कालाबाजारी भी जमकर हो रही है. इसके अलावा पिछले दिनों ऐसे भी मामले सामने आए हैं जो इंसानियत के लिए इस सबसे मुश्किल दौर में खुद के इंसान होने पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हैं. क्या एक इंसान लालच में अंधा होकर इतना भी गिर सकता है, इतना बेशर्म भी हो सकता है कि अपने ही जैसे दूसरे इंसान को तड़पता हुआ छोड़ दे सिर्फ कुछ चंद पैसों के लिए. हम आपको दिखाते हैं कुछ ऐसे ही मामले जो इंसानियत को शर्मसार करते हैं
केस नंबर 1 - रतलाम/जावरा
नर्स बहन,भाई को लाकर देती थी खाली इंजेक्शन
रतलाम पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन कि कालाबाजारी करने वाले एक रैकेट का पर्दाफाश किया. रेमडेसिविर की कालाबाजारी की सूचना मिलने के बाद शनिवार देर रात पुलिस ने जीवांश हॉस्पिटल पर दबिश दी. इस दौरान दो डॉक्टर 30 से 35 हजार में नकली रेमडेसिविर का इंजेक्शन बेचते हुए रंगेहाथ पकडे गए. इन आरोपियों से पूछताछ में जिला मेडिकल कॉलेज की स्टॉफ नर्स रीना प्रजापति का नाम सामने आया. रीना अपने भाई को रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली बॉयल (बोतल) और हॉस्पिटल के डिस्टबिन में फेंकी गई खाली पैकिंग लाकर देती थी. उसके बाद उसका भाई इन खाली इंजेक्शन में एक एंटीबायोटिक इंजेक्शन मोनोसेफ और एक अन्य इंजेक्शन का पाउडर मिलाकर उसकी पैकिंग कर देते थे. इसके बाद जीवांश कॉलेज के दो मेडिकल स्टूडेंट, एक फार्मासिस्ट और डॉक्टर मिलकर इन नकली रेमेडेसिविर के इंजेक्शन उन जरूरतमंदों को 20 से लेकर 35 हजार तक में बेच देते थे. पुलिस ने इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश करते हुए 7लोगों को गिरफ्तार किया है जिनपर रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी.
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केस नंबर 2- भोपाल
नर्स, प्रेमी को लाकर देती असली इंजेक्शन, मरीज को लगाती थी नॉर्मल इंजेक्शन
यह मामला भोपाल के जेके हॉस्पिटल में सामने आया था. यहां काम करने वाला एक कर्मचारी नाम झलकन और इसी हॉस्पिटल की स्टॉफ नर्स के बीच कथित तौर पर प्रेम संबंध थे, लेकिन संबंधों में प्रेम कम और लालच ज्यादा था. फिर चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े, इन दोनों ने ऐसा किया भी. हॉस्पिटल के डॉक्टर नर्स को यहां भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीज को रेमडेसिविर का इंजेक्शन लगाने को देते थे. नर्स मरीजों को इंजेक्शन भी लगाती थी, लेकिन वो इंजेक्शन रेमडेसिवर का ना होकर नॉर्मल इंजेक्शन होता था. नर्स रेमेडेसिविर के असली इंजेक्शन को दूसरे नॉर्मल इंजेक्शन से बदल देती थी, और रेमडेसिविर का ऑरिजनल इंजेक्शन वहीं काम कर रहे अपने प्रेमी झलकन को दे देती थी. इसके बाद जैसे ही रेमडेसिविर की डिमांड आती तो मरीज के परिजनों से सेटिंग कर उसी इंजेक्शन को 20 हजार रुपए में उन्हें बेच दिया जाता था. कोविड वार्ड होने की वजह से मरीज के परिजन यहां नहीं होते थे. इसका फायदा उठाकर नर्स बड़ी आसानी से इंजेक्शन की चोरी करती थी. हालांकि इस मामले में आरोपी झलकन जो नर्स का कथित प्रेमी है और उसकी प्रेमिका नर्स दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इन दोनों ने हॉस्पिटल के डॉक्टर को भी ब्लैकमेल कर ऑनलाइन इंजेक्शन बेचा और उसकी कीमत भी वसूल कर चुके थे. इसी के बाद इस मामले का खुलासा हुआ.
केस नंबर -3 इंदौर
खाली इंजेक्शन में ग्लूकोज भरकर 20 हजार में बेचते थे
यहां भी हाहाकार में व्यापार करने वालों ने आपदा में अवसर की तलाश कर ली. इंदौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले तो पहले से ही सामने आ रहे थे, लेकिन रेमडेसिविर के खाली बॉयल में ग्लूकोज भरकर उसे फिर से बेच देने के गोरखधंधे का भी खुलासा हुआ है. 20-20 हजार रुपये में ग्लूकोज भरे ये इंजेक्शन बेच भी दिए गए थे. दरअसल, एक हॉस्पिटल में भर्ती मरीज के परिजनों को डॉक्टर ने रेमडेसिविर का इंजेक्शन लाने को कहा. इसी दौरान परिजन कालाबाजारियों के फंदे में फंस गए. उन्होंने रेमडेसिविर के खाली बॉयल में ग्लूकोज भरे हुए इंजेक्शन खरीद भी लिए.मरीज के परिजन जब इंजेक्शन लेकर डॉक्टर के पास पहुंचे तो डॉक्टर ने इस इंजेक्शन को मरीज को लगाने से मना कर दिया. डॉक्टर ने इंजेक्शन को देखकर मरीज को बताया कि इस इंजेक्शन में तो ग्लूकोज भरा हुआ है. जिसके बाद ठगा गया फरियादी शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचा. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने बारीकी से इसकी पड़ताल की और उज्जवल पटेल और अमित अवस्थी नाम के दो आरोपियों को क्राइम ब्रांच ने जबकि मानसिंह मीणा, अंकित पटवारी और बजरंग राठौर, इन तीन आरोपियों को सनराइज हॉस्पिटल के सामने से पुलिस ने गिरफ्तार किया जब वे हॉस्पिटल के सामने ही अपने ग्राहकों की तलाश कर रहे थे.
केस-4
शेमलेस बिजनेस में डॉक्टर भी शामिल
लालच में सिर्फ प्रेम ही अंधा नहीं हुआ बल्कि कुछ डॉक्टर भी इस शेमलेस बिजनेस में शामिल हैं. जबलपुर पुलिस ने भी रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते हुए 2 दो डॉक्टर सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ग्राहक बनकर इनके पास पहुंची और कालाबाजारी कर रहे दो युवकों को 2 इंजेक्शनों के साथ पकड़ा. पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि आशीष हॉस्पिटल में के डॉ. नीरज साहू और लाइफ मेडिसिटी हॉस्पिटल के डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह इंजेक्शन अच्छी कीमत में बेचने के लिए अपने साथियों को दिए थे. जबलपुर एसटीएफ पुलिस ने डॉ. जितेंद्र सिंह, डॉ. नीरज साहू, राहुल विश्वकर्मा, राकेश मालवीय और सुधीर सोनी को गिरफ्तार करते हुए उनके पास से 6 रेमडेसिविर के इंजेक्शन भी बरामद किए हैं.