भोपाल। 15 नवंबर को जनजातीय सम्मेलन के बहाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आदिवासी समुदाय को संबोधित कराकर बीजेपी इस वर्ग में अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है. पार्टी चाहती है कि 2023 में कहीं फिर से 2018 जैसी स्थिति न हो और एक बार फिर सत्ता हाथ आते आते रह जाए. इसलिए पार्टी की रणनीतिकार फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी और मध्य प्रदेश सरकार पहली बार इतने बड़े पैमाने पर न सिर्फ जनजातीय सम्मेलन का आयोजन कर रही है बल्कि आदिवासियों के भगवान माने जाने वाले बिरसा मुंडा की जयंती मनाकर और इस दिन छुट्टी घोषित कर इस समुदाय से जुड़े वोट बैंक को अपने साथ आने के लिए पूरी कोशिश में जुट गई है. सियासी जानकार मानते हैं कि आदिवासी मध्यप्रदेश में एक बड़ा वोट बैंक है जो विधानसभा की 40 से ज्यादा सीटों पर सीधा दखल रखते हैं.
पहली बार हो रहा है इतना बड़ा आयोजन
यह पहली बार है जब राज्य सरकार आदिवासियों से जुड़ा कोई आयोजन इतने बड़े पैमाने पर आयोजित कर रही है. हालांकि कांग्रेस भी ऐसे आयोजन करती रही है, लेकिन आदिवासी समाज को किसी पार्टी विशेष के साथ जोड़े रखने के लिए राजनीतिक तौर पर ऐसी कवायद शायद ही पहले हुई हो. आपको बता दें कि प्रदेश में आदिवासी समुदाय की आबादी तकरीबन 1 करोड़ 53 लाख है और प्रदेश के झाबुआ, मंडला, डिंडोरी, बड़वानी, धार, खरगोन, खंडवा, रतलाम, बैतूल, सिवनी, बालाघाट, शहडोल, उमरिया, सीधी, श्योपुर, होशंगाबाद और छिंदवाड़ा आदिवासी बहुल हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को इन्हीं जिलों में ट्राइबल रिजर्व सीटों पर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था.
मालवा-निमाड और महाकौशल पर फोकस
मालवा-निमाड और महाकौशल क्षेत्रों में आने वाले इन जिलों की विधानसभा सीटों पर हुए नुकसान ने बीजेपी को सत्ता से दूर कर दिया था. पार्टी को पूर्ण बहुमत 116 से 7 सीटें कम मिलीं थी. इसके नतीजे में राज्य में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल हो गई थी. बीजेपी को पिछले विधानसभा चुनाव में इन्हीं जिलों की ट्राइबल रिजर्व सीटों पर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था.
- मालवा में आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित 22 सीटों में से भाजपा को मात्र 6 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस ने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी.
- 2013 में आदिवासियों ने भाजपा का साथ दिया था, तब बीजेपी को यहां 18 और कांग्रेस को महज 4 सीटें हासिल हुईं थी. यही वजह है कि जनजातीय सम्मेलन में शामिल होने के लिए अकेले निमाड़-मालवा से डेढ़ लाख आदिवासियों को लाने का टारगेट रखा गया है.
- महाकौशल में भी रिजर्व 15 सीटों में बीजेपी 4 सीटें ही जीत पाई थी. इसी कारण से पार्टी ने इस इलाके पर भी फोकस करते हुए जबलपुर में गोंड राजा रघुनाथ शाह-शंकर शाह के शहीदी दिवस पर कार्यक्रम किया.
- इस कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह और सीएम शिवराज सिंह शामिल हुए थे.
- कार्यक्रम में इसमें आदिवासी समुदाय के हित से जुड़ी लिए कई बड़ी घोषणाएं जिनमें राज्य में पेसा एक्ट लागू करने की घोषणा भी की गईं थी.
क्या है पैसा एक्ट?
बता दें कि पेसा एक्ट के तहत स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों की समिति को अधिकार दिए जाएंगे. जिससे अनुसूचित जाति और जनजाति वाली ग्राम पंचायतों को सामुदायिक संसाधन जैसे जमीन, खनिज संपदा, लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिल जाएगा.
पीएम के सामने होगा वनवासी रामायण का मंचन
जनजातीय महासम्मेलन के कार्यक्रम के दौरान आदिवासी समाज और हिंदू धर्म के बीच के रिश्तों को जोड़ती हुई वनवासी रामायण का भी मंचन किया जाएगा. कार्यक्रम के दौरान 400 जनजाति कलाकार एक साथ वनवासी रामायण का मंचन करेंगे. जिसमें भगवान राम के वनवासी जीवन और वनवासी समाज से उनके लगाव को प्रदर्शित किया जाएगा. दरअसल रामायण का एक बहुत बड़ा हिस्सा वन क्षेत्र से जुड़ा है, इसलिए इस प्रस्तुति को मेगा शो के रूप में पेश किया जाएगा इसके लिए कार्यक्रम स्थल पर सात स्टेज तैयार किए जा रहे हैं. पूरा कार्यक्रम आदिवासी थीम पर तैयार किया जा रहा है. कार्यक्रम स्थल के डोम, द्वार और मंच की डिजाइन भी आदिवासी संस्कृति पर ही आधारित है.
आदिवासियों के नाइट हॉल्ट और खाने पीने की व्यवस्था भी की गई
सम्मेलन में शामिल होने आने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों के लिए नाइट हॉल्ट की व्यवस्था करने के साथ ही उनके खाने पीने का इंतजाम भी किया गया है. इस पूरे कार्यक्रम की मॉनिटरिंग गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कर रहे हैं. सबसे ज्यादा 50 हजार आदिवासियों को मालवा-निमाड अंचल से लाया जा रहा है. इन्हें इंदौर में रोका जाएगा. यहां से भोपाल तक लाने और वापस इंदौर पहुंचाने का इंतजाम भी किया गया है. यहां इन लोगों के रहने और खाने का भी इंतजाम रखा गया है. जनप्रतिनिधियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. बताया जा रहा है कि प्रदेश के दूसरे जिलों से आदिवासी समुदाय के प्रबुद्ध लोगों, खिलाड़ियों, सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोगों और अन्य लोगों को लाने ले जाने के लिए 5 हजार से ज्यादा बसों की व्यवस्था भी की गई है.