भोपाल। प्रदेश के विंध्यांचल में नवजात शिशुओं की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. शहडोल से शुरू हुआ सिलसिलाव अब रीवा तक पहुंच गया है. जो प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में जर्जर स्वास्थ्य सेवाएं की ओर इशारा करता है. पांच नवजातों की शहडोल में गहन चिकित्सा इकाई में मौत होने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा समीक्षा बैठक की गई थी. इसके बाद भी नवजातों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है और शहडोल में यह संख्या आठ पर पहुंच गया है. तो रीवा में भी दो बच्चों की कुपोषण से मौत हो गई है. मध्य प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि यह मध्य प्रदेश में भाजपा के 15 साल की अराजक व्यवस्था की तस्वीर है.
निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचाने पिछले 15 साल में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को किया बदहाल- कांग्रेस
मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता इसे गंभीर बताते हुए कहते हैं , ''भाजपा सरकार में अगर दक्षता है,तो जन स्वास्थ्य सेवाओं में आत्मनिर्भर होकर दिखाएं. शहडोल में हुई मौतों पर दोषी चिकित्सकों पर तत्काल कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि विगत 15 सालों में निजी अस्पतालों को हरा-भरा करने के लिए शासकीय जन स्वास्थ्य सेवाओं को खोखला कर दिया गया है. विशेषज्ञ चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों के लगभग 11 हजार पद खाली हैं. क्या सरकार इन्हें साल भर के अंदर भर सकती है ?''
पढ़ेंः शहडोल जिला अस्पताल में 8 मासूमों की मौत, सिविल सर्जन बोले- गंभीर हालत में लाते हैं परिजन
शिशु मृत्यु दर में मध्यप्रदेश देश में नंबर वन
भूपेंद्र गुप्ता का कहना है, ''मध्य प्रदेश में 2016 में कुपोषण से 74 बच्चे दम तोड़ रहे थे, यह संख्या 2018 में बढ़कर 92 कैसे पहुंची, इसका जवाब सुशासन सरकार को देना चाहिए. मध्य प्रदेश आज फिर से शिशु मृत्यु दर में देश में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है, इसका जिम्मेदार कौन है ?'' कांग्रेस ने मांग की है कि शहडोल में मासूमों की मौत पर लीपापोती करने की बजाय सरकार लापरवाह चिकित्सकों को निलंबित करे. उन्हें बचाने के प्रयासों से भविष्य में होने वाली मौतें नहीं रुकेंगी. सरकार प्राथमिकता के तौर पर संकल्प उठा ले कि सबसे पहले मध्य प्रदेश को जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. अन्यथा यह नारेबाजी स्वर्णिम मध्य प्रदेश की तरह जुमला साबित होगी.
शहडोल और रीवा में मौतें
शहडोल जिला अस्पताल में मासूमों की मौत का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है. छह बच्चों की मौत के बाद मंगलवार को दो और मासूमों की मौत हो गई है. एक के बाद एक अब तक जिला अस्पताल में आठ मासूमों की मौत हो चुकी है. वहीं रीवा में भी कुपोषण के कारण दो बच्चों की मौत हो गई है. जानकारी के मुताबिक यहां आने वाले सभी नवजात गंभीर अवस्था में आते हैं. मंगलवार को जिन दो बच्चों की मौत हुई है, वे दोनों बच्चे अनूपपुर जिले के ठाठ पाथर और हर्रा टोला गांव से गंभीर अवस्था में इलाज के लिए शहडोल जिला अस्पताल लाए गए थे. लगातार हो रही इन मौतों ने स्वास्थ्य महकमे पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. और अब कांग्रेस ने बीजेपी की 15 सालों की सरकार पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है.
स्वास्थ्य मंत्री का कहना है
शहडोल जिला अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत के मामले में ईटीवी भारत से बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने कहा कि इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं, जो लोग दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी संज्ञान लिया है.
सीएम शिवराज ने तलब की जांच रिपोर्ट
इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी स्वास्थ्य अधिकारियों की बैठक बुलाई है. सीएम शिवराज ने इस मामले में जांच रिपोर्ट तलब की है. साथ ही अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि बच्चों के इलाज में कोई भी कोताही नहीं होनी चाहिए. अगर कहीं कोई व्यवस्थाओं में कमी है तो उसे तत्काल पूरा किया जाए. वेंटिलेटर और अन्य उपकरणों का समुचित प्रबंध किया जाए. शिवराज सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इस घटना को गंभीरता से लें, और जरूरी होने पर जबलपुर से डॉक्टरों की टीम बच्चों के इलाज के लिए भेजें. मुख्यमंत्री ने अस्पतालों में व्यवस्थाओं के निरीक्षण के निर्देश भी दिए हैं.
रविवार को खबर आई थी सामने
गौरतलब है कि रविवार के दिन जैसे ही यह खबर सामने आई कि पिछले 24 घंटे में 4 नवजातओं की मौत हो गई है. जिसमें 3 दिन से लेकर के 4 महीने तक के मौत बच्चों की मौत हुई है. जिसमें पीआईसीयू में तीन और एसएनसीयू में एक बच्चे की मौत हुई है, जिनकी मौत हुई है. उसमें बुढार के अरझूली के 4 माह का बच्चा पुष्पराज सिंह, सिंहपुर बोडरी गांव के 3 माह का बच्चा राज कोल, 2 माह का प्रियांश, ये सभी पीआईसीयू में भर्ती थे. तो वहीं उमरिया जिले के निशा की भी एसएनसीयू में मौत हुई है. नवजात की मौत से हड़कंप मच गया था. इसके बाद रविवार के दिन ही एक और बच्चे की मौत की खबर आई थी और आज एक बार फिर से सुबह-सुबह एक नवजात की मौत हो गई. अब यह 29 नवंबर के बाद से अब तक मौत का आंकड़ा आठ हो गया है.
गंभीर हालत में लाते हैं बच्चे
शहडोल जिला अस्पताल में ईटीवी भारत ने जब वहां के जिम्मेदार अधिकारियों से मौत का कारण पूंछा, तो उनका साफ कहना था कि परिजन बच्चों की हालत गंभीर होने के बाद अस्पताल में लाते हैं और तब तक उनकी हालत बहुत बिगड़ जाती है, उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है.