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शिवराज सरकार के नए फरमान से टेंशन में शिक्षक, डाटा कलेक्शन का कर रहे विरोध - शिक्षकों की जाएगी नौकरी

मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग का एक नया नियम शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. बताया जा रहा है कि जिन शिक्षकों के तीन बच्चे होंगे उन्हें शिक्षक की नौकरी के लिए अपात्र माना जाएगा. जिसके बाद शिक्षकों भय का माहौल बना है.

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भोपाल न्यूज
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Published : Aug 20, 2020, 7:31 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षकों पर एक और संकट आ गया है. अब 26 जनवरी 2001 के बाद अगर किसी शिक्षक की तीन से ज्यादा संताने हैं तो उन्हें अपात्र माना जाएगा. इसके लिए जिला एवं विकास खंड शिक्षा अधिकारियों से शिक्षकों से जुड़ी जानकारी मांगी गई है. इस खबर के बाद शिक्षकों में भय का माहौल है.

सुभाष सक्सेना, अध्यक्ष, शिक्षक कांग्रेस

26 जनवरी 2001 के बाद प्रदेश में जिन शिक्षकों की भर्ती हुई है, अगर उनके तीन बच्चे होंगे तो उन्हें शिक्षक बनने के लिए अपात्र माना जाएगा. इस जानकारी के बाद शिक्षकों में डर और भय का माहौल है. हालांकि शिक्षक कांग्रेस ने इस नियम का विरोध किया है. उच्चतर माध्यमिक शाला भोपाल के प्राचार्य सुभाष सक्सेना का कहना है कि सरकार को ये नियम वापस लेना चाहिए.

प्राचार्य ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति ही 2001 के पहले हुई है, फिर ये आदेश निकालकर शिक्षकों को क्यों डराया जा रहा है. इस आदेश के विरोध में स्कूल शिक्षा मंत्री से बात की है और ये मांग की है कि इस तरह की जानकारी जुटाने पर रोक लगाई जाए. ऐसी कोई रणनीति सरकार बना रही है तो इस पर विचार किया जाएगा. किसी शिक्षक की नौकरी गई तो इसका विरोध किया जाएगा.

भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षकों पर एक और संकट आ गया है. अब 26 जनवरी 2001 के बाद अगर किसी शिक्षक की तीन से ज्यादा संताने हैं तो उन्हें अपात्र माना जाएगा. इसके लिए जिला एवं विकास खंड शिक्षा अधिकारियों से शिक्षकों से जुड़ी जानकारी मांगी गई है. इस खबर के बाद शिक्षकों में भय का माहौल है.

सुभाष सक्सेना, अध्यक्ष, शिक्षक कांग्रेस

26 जनवरी 2001 के बाद प्रदेश में जिन शिक्षकों की भर्ती हुई है, अगर उनके तीन बच्चे होंगे तो उन्हें शिक्षक बनने के लिए अपात्र माना जाएगा. इस जानकारी के बाद शिक्षकों में डर और भय का माहौल है. हालांकि शिक्षक कांग्रेस ने इस नियम का विरोध किया है. उच्चतर माध्यमिक शाला भोपाल के प्राचार्य सुभाष सक्सेना का कहना है कि सरकार को ये नियम वापस लेना चाहिए.

प्राचार्य ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति ही 2001 के पहले हुई है, फिर ये आदेश निकालकर शिक्षकों को क्यों डराया जा रहा है. इस आदेश के विरोध में स्कूल शिक्षा मंत्री से बात की है और ये मांग की है कि इस तरह की जानकारी जुटाने पर रोक लगाई जाए. ऐसी कोई रणनीति सरकार बना रही है तो इस पर विचार किया जाएगा. किसी शिक्षक की नौकरी गई तो इसका विरोध किया जाएगा.

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