भोपाल : वासंती चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है. स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. उनकी दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं. इनके दाहिने तरफ की नीचे वाली भुजा में जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है. बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वर मुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें भी कमल पुष्प है. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है. मां कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. यही कारण है कि इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है.
पंडित विष्णु राजोरिया (Pt Vishnu Rajoria) ने बताया कि मां स्कंदमाता ने अपनी चतुर्भुजा से संसार का कल्याण करने का आशीर्वाद दे रही हैं. जिन श्रद्धालुओं को अपनी संतति के बारे में कोई भी चिंता है, संतान संबंधी कोई कष्ट है तो मां स्कंदमाता सभी बाधाओं को दूर करने वाली देवी हैं. हर महीने की षष्ठी के दिन स्कंद षष्ठी मनाई जाती है. मां स्कंदमाता की आराधना करने से संतान संबंधी सभी बाधाएं दूर होती हैं. इसके साथ ही निसंतान दंपत्ति आज के दिन माता की विशेष रूप से पूजा करें उन्हें लाभ मिलता है. जो भी भक्त मां स्कंदमाता इस स्वरूप की सच्चे मन और पूरी आस्था से पूजा अर्चना करता है मां उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण करते हैं. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सभी मनोवांछित फल मिलते हैं.
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इसलिये विशेष है मां स्कंदमाता की आराधना : स्कंदमाता की उपासना से बाल रूप स्कंद भगवान की उपासना भी खुद से हो जाती है. यह विशेषता केवल मां स्कंदमाता को प्राप्त है. भक्तों को मां स्कंदमाता की उपासना की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए. आज के दिन व्रत उपवास और साधना करने के फलस्वरूप विशुद्ध चक्र जागृत होता है. आज के दिन माता को केले का फल विशेष रुप से प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. मां स्कंदमाता सूर्य की अधिष्ठात्री देवी हैं. विद्या वाहिनी दुर्गा हैं और अनेक मान्यताओं के अनुसार सनत कुमार की माता हैं. मां स्कंदमाता की आराधना के फलस्वरुप 16 कलाओं, 16 विभूतियों का जागरण होता है. आज के दिन कमल फूल से मां की पूजा की जाती है. लाल गुलाब, लाल पुष्प, लाल गुड़हल के द्वारा माता की पूजा की जाती है. माता को लाल गुलाब की माला भी चढ़ाई जा सकती है. मां स्कंदमाता की आराधना से शत्रु पक्ष निर्बल हो जाते हैं. ( Chaitra navratri fifth day ) ( Chaitra navratri fifth day Maa Skandmata)
इन मंत्रों से करें मां का पूजन : 1: - सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।। 2:- या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः, इन मंत्रों का भी उच्चारण करके माता अनुष्ठान किया जाता है. 3:- वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।। धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥ पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्। मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥ प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥