भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय अब आउटडेटेड लगने लगे हैं. योजनाओं के नाम के लिए भाजपा सरकार को पंडित दीनदयाल का नाम अब रास नहीं आ रहा है. यही वजह है कि दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना और दीनदयाल रैन बसेरा अब पंडित दीनदयाल नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के नाम से इन योजनाओं की ब्रांडिंग की जाएगी.
निकायों में पंडित दीनदयाल के नाम से चल रही योजनाओं को अब मुख्यमंत्री के नाम से जाना जाएगा : नगरीय विकास विभाग नए नामों की ब्रांडिंग करेगा जिसके लिए नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं. विभाग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह और राज्य मंत्री ओपीएस भदोरिया के फोटो लगे बैनर की डिजाइन नगरीय निकाय को भेजी है.
सीएम ने कलेक्टर कमिश्नर कांफ्रेंस में योजनाओं को नया रूप देने को कहा: मुख्यमंत्री ने कलेक्टर कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में इन योजनाओं को नया रूप देने की बात कही थी उसके बाद विभाग ने दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना को मुख्यमंत्री रसोई केंद्र और दीनदयाल आश्रय स्थल का नाम मुख्यमंत्री आश्रय स्थल करने की तैयारी कर ली है. शिवराज सरकार के अहम फैसले! प्रदेश में अब हिंदी में होगी मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई, टेलीमेडिसिन के साथ मिलने जा रहीं ये सुविधाएं
नगरीय निकायों में 100 दीनदयाल अंत्योदय रसोई और 119 रैन बसेरा चल रहे हैं : प्रदेश के 58 नगरीय निकायों में 100 दीनदयाल अंत्योदय रसोई केंद्र और 55 नगरी निकाय में 119 आश्रय स्थलों का संचालन किया जा रहा है. इन केंद्रों का उपयोग गरीब वर्ग करता है, विभाग के मुताबिक रसोई केंद्रों में 1 करोड़ से अधिक लोग लाभ लेते हैं. इस योजना के तहत प्रदेश के 52 जिला मुख्यालय और धार्मिक नगरी मैहर, अमरकंटक, महेश्वर, ओमकारेश्वर, चित्रकूट और ओरछा में रसोई केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. पहले 5 रुपये की थाली मिलती थी लेकिन अब ये इसका रेट बढ़ाकर 10 रुपये थाली कर दिया गया है.
नगरीय विकास विभाग ने नए नाम की ब्रांडिंग करने के लिए लिखा पत्र: नगरीय विकास आयुक्त के पत्र में कहा गया है कि रसोई केंद्र और आश्रय स्थल नगरीय निकाय द्वारा संचालित किए जा रहे हैं, ब्रांडिंग के लिए तैयार की गई डिजाइन का प्रयोग रसोई केंद्र और आश्रय स्थल के भवनों पर किया जाए ताकि, भवन आकर्षक लगें. रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, अस्पताल और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए गए हैं. (MP to use name of CM in Government Schemes)( Pandit Deendayal seems to be outdated for MP BJP)
कौन थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय ? : पंडित दीनदयाल उपाध्याय महान चिंतक थे. उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानव दर्शन जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी. पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद के दर्शन पर श्रेष्ठ विचार व्यक्त किए हैं. उन्होंने अपनी पुस्तक एकात्म मानववाद (इंटीगरल ह्यूमेनिज्म) में साम्यवाद और पूंजीवाद, दोनों की समालोचना की है. एकात्म मानववाद में मानव जाति की मूलभूत आवश्यकताओं और सृजित कानूनों के अनुरूप राजनीतिक कार्रवाई हेतु एक वैकल्पिक सन्दर्भ दिया गया है. दीनदयाल उपाध्याय का मानना है कि हिन्दू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति है.
जनसंघ के साथ सम्बन्ध : भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा वर्ष 1951 में की गई और दीनदयाल उपाध्याय को प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया. वे लगातार दिसंबर 1967 तक जनसंघ के महासचिव बने रहे. उनकी कार्यक्षमता, खुफिया गतिविधियों और परिपूर्णता के गुणों से प्रभावित होकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी उनके लिए गर्व से सम्मानपूर्वक कहते थे कि- "यदि मेरे पास दो दीनदयाल होते, तो मैं भारत का राजनीतिक चेहरा बदल सकता हूं". अचानक वर्ष 1953 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के असमय निधन से पूरे संगठन की जिम्मेदारी दीनदयाल उपाध्याय के युवा कंधों पर आ गयी. इस प्रकार उन्होंने लगभग 15 वर्षों तक महासचिव के रूप में जनसंघ की सेवा की. भारतीय जनसंघ के 14वें वार्षिक अधिवेशन में दीनदयाल उपाध्याय को दिसंबर 1967 में कालीकट में जनसंघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया.
रहस्यमयी मौत:पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत को रहस्यमयी मानी जाती है. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन द्वारा दीनदयाल उपाध्याय को समर्पित एक वेबसाइट में लिखे विवरण के अनुसार, '11 फरवरी, 1968 को तड़के लगभग 3.45 बजे, मुगलसराय स्टेशन के लीवरमैन ने सहायक मास्टर को सूचित किया कि स्टेशन से लगभग 150 गज की दूरी पर, बिजली के पोल नंबर 2727 के पास दक्षिण दिशा में रेलवे लाइन के पास एक शव पड़ा था.' बाद में इस शव की पहचान भारतीय जनसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय के रूप में हुई थी. जानकारी के मुताबिक वे लखनऊ से ट्रेन में सवार होकर पटना जा रहे थे.