सीहोर। भारतीय नोसेना की हाल ही गठित विंग INAS 325 एयरक्राफ्ट कैरियर का लोगो मध्य प्रदेश के सीहोर के एक युवक ने डिजाइन किया है. स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस ‘विक्रांत’ को पीएम नरेंद्र मोदी 3 सितंबर को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. नौसेना के इस विमान वाहक पोत के लिए और इसकी नई विंग के लिए एक लोगो की आवश्यकता थी. जिसके लिए देश के कई लोगों डिजाइन भेजी जिसमे मध्य प्रदेश के सीहोर के रहने वाले युवा अचल साहू का बनाया गया लोगो फाइनल हुआ है. अब अचल साहू के डिजाइन किए लोगो को भारतीय नोसेना की विंग जो INAS 325 पर तैनात रहेगी उसके जवान और अधिकारी अपनी वर्दी सहित कैप पर लगाएंगे.
अचल को मिला विंग कमांडर की सहमति का पत्र: अचल साहू को जब विंग कमांडर का स्वीकृति पत्र और उसके साथ एक केप मिली तब उन्हें पता चला कि उनके डिजाइन किए गए लोगो को भारतीय नोसेना की विंग ने अपनाने का निर्णय लिया है. इसके बाद अचल और उनके परिवार की खुशी का ठिकाना नही रहा. नौसेना ने अचल साहू को उनके डिजाइन किए गए लोगो के लिए पारिश्रमिक देने की भी पेशकश की थी. अचल साहू ने इसे लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने नौसेना का भेजा लेटर और वह कैप अपने पास रखी है जिसपर उनका ही डिजाइन किया गया लोगो लगा है.
जानें INS विक्रांत की खासियत
भारत के अब तक के सबसे बड़े स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस विक्रांत में करीब 2,500 किलोमीटर का केबल लगाया गया है। INS विक्रांत की लंबाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर और ऊंचाई 59 मीटर है। दो फुटबॉल मैदान के बराबर है विक्रांत का फ्लाइट डेक, जहां से विमान उड़ेंगे। इस युद्धपोत की स्पीड 28 नॉट की है और 7,500 समुद्री मील तक सफर की भी क्षमता है। विमानवाहक पोत में आठ पॉवर जनरेटर हैं जो पूरे कोच्चि शहर को रोशन करने की क्षमता रखते हैं। आठ किलोमीटर के बराबर बैठता है इस विमानवाहक पोत के गलियारों का एक चक्कर। इस इस युद्धपोत में 2,300 कंपार्टमेंट बनाए गए हैं, जिनमें 1,700 कर्मचारी बैठ सकते हैं। करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस विमानवाहक पोत ने पिछले महीने समुद्री परीक्षणों के चौथे और अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा किया था। 'विक्रांत' के निर्माण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास विमानवाहक पोत को स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और निर्माण करने की क्षमता है।