भोपाल। गरीबों को राहत पहुंचाने के लिए केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा मुफ्त में अनाज देने जैसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. केन्द्र सरकार के अलावा प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा भी गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को कई तरह से राहत पहुंचाई जाती है. ऐसी ही तमाम योजनाओं का लाभ लेने के लिए मध्यप्रदेश में देश में सबसे ज्यादा फर्जी गरीब हैं. ऐसे फर्जी कागजी गरीबों की पहचान साल 2021 में हुई और 14 लाख 24 हजार 115 नाम गरीबों की सूची से हटाए गए. फर्जी गरीबों का यह आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा है.
मोदी सरकार ने लोकसभा में दी जानकारी: गरीबों का राशन डकारने वाले ऐसे ही फर्जी कागजी गरीबों की जानकारी तीन साल पहले जब मोदी सरकार के फूड एंड सिविल कन्ज्यूमर डिपार्टमेंट द्वारा लोकसभा में दी थी, तब बताया गया था कि देश में सबसे ज्यादा 41 लाख 52 हजार 273 फर्जी राशन कार्ड उत्तर प्रदेश में हटाए गए. इसके बाद मध्यप्रदेश में भी ऐसे कागजी गरीबों को लेकर मुहिम शुरू की गई. प्रदेश भर में ऐसे फर्जी गरीबों को पहचानने की मुहिम में साल 2021 में 14 लाख 24 हजार 115 लोगों को खोजा गया, जो गरीबी रेखा में तो नहीं आते थे, लेकिन फर्जी राशनकार्ड के जरिए गरीबों को मिलने वाली सुविधाओं का लाभ ले रहे थे. ऐसे सभी 14 लाख फर्जी गरीबों के राशनकार्डों को निरस्त कर दिया गया.
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भोपाल में सबसे ज्यादा 40 हजार फर्जी गरीब: खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग की मुहिम में सबसे ज्यादा फर्जी गरीब भोपाल में पाए गए. ऐसे 40 हजार फर्जी गरीबों के नाम गरीबों की सूची से हटाए गए. इसके अलावा गड़बड़ी करने वाली शहर की करीब 40 राशन दुकानों के लाइसेंस सस्पेंड किए गए. इस तरह प्रदेश में करीबन 3 लाख 26 हजार परिवारों के नाम गरीबों की सूची से हटाए गए हैं.
बड़ा सवाल कैसे बन रहे राशन कार्ड: फर्जी गरीबों के नाम बीपीएल की सूची में जोडे जाने को लेकर बड़ा सवाल है कि, आखिर इन फर्जी लोगों के बीपीएल राशन कार्ड कैसे बन गए. जबकि बीपीएल कार्ड के लिए एसडीएम कार्यालय में तमाम दस्तावेज जमा होने के बाद उनका मौके पर पहुंचकर फिजिकल वेरिफिकेशन भी किया जाता है. फर्जी राशनकार्ड बनाने के लिए जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.