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बिजली कंपनी की उपभोक्ताओं पर भारी−भरकम बोझ डालने की तैयारी, न्यूनतम 140 रुपए करेगी वसूल

मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियों ने बिजली खरीदी के लिए मनमाने तरीके से करार कर डाले और अब घरेलू उपभोक्ताओं से 140 रुपए प्रतिमाह न्यूनतम ऊर्जा प्रभार (Minimum Energy Charge) वसूलने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने मध्यप्रदेश ऊर्जा नियामक आयोग को वर्ष 2022-23 के लिए टैरिफ पिटिशन में ऊर्जा प्रभार 134 रुपए से बढ़ाकर 140 रुपए करने की अनुमति मांगी है. (Electricity Company will Recover 140 rupees)

MP Power Management Company
मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी
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Published : Mar 23, 2022, 1:39 PM IST

Updated : Mar 23, 2022, 2:09 PM IST

भोपाल। अपनी मनमानी और फिजूलखर्जी के लिए चर्चा में रहने वाली ​प्रदेश की बिजली कं​पनियां एक बार फिर उपभोक्ताओं को झटका देने जा रही हैं. पहले कंपनियों ने बिजली खरीदी के लिए मनमाने तरीके से करार कर ड़ाले और अब घरेलू उपभोक्ताओं से 140 रुपए प्रतिमाह न्यूनतम ऊर्जा प्रभार वसूलने की तैयारी की जा रही है. मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने मध्यप्रदेश ऊर्जा नियामक आयोग (MP Energy Regulatory Commission) को वर्ष 2022-23 के लिए टैरिफ पिटिशन में ऊर्जा प्रभार 134 रुपए से बढ़ाकर 140 रुपए करने की अनुमति मांगी है. अगर ऐसा हो गया तो इसका खामिया एक ​बार फिर जनता को महंगी बिजली के रूप में भुगतना पड़ेगा.

बिजली कंपनी ने महंगाई और खर्च का दिया हवाला
मध्यप्रदेश की बिजली कंपनी ने ऊर्जा नियामक आयोग को साल 2022-23 के लिए ट्रैफिक पिटिशन सौंपी है. जिसमें न्यूनतम ऊर्जा प्रभार को बढ़ाकर 140 रुपए प्रतिमाह करने की अनुमति मांगी है. यह स्थिति तब है कि जब मध्यप्रदेश विद्युत अधिनियम के तहत न्यूनतम ऊर्जा प्रभार का प्रावधान खत्म कर दिया गया है, इसके बाद भी बिजली कंपनियों द्वारा हर साल न्यूनतम ऊर्जा प्रभार के नाम पर करीबन 10 लाख उपभोक्ताओं से एक हजार करोड़ रुपए की वसूली की जा रही है.

न्यूनतम ऊर्जा प्रभार बढ़ने के कारण
मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी (MP Power Management Company) द्वारा न्यूनतम ऊर्जा प्रभार बढ़ाए जाने के पीछे कोयले, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को वजह बताया जा रहा है. ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने कहा कि बिजली कंपनियों के खर्चे बढ़ गए हैं. इसलिए खर्च निकालने के लिए न्यूनतम ऊर्जा प्रभार बढ़ाने का प्रावधान किया गया है.

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फिजूलखर्ची उपभोक्ताओं पर पड़ रही भारी
बिजली कंपनी ने प्रदेश में महंगी बिजली करने की तैयारी कर ली है. कंपनी की मनमर्जी से किए जा रहे निर्णय और फिजूलखर्ची आम लोगों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं. कंपनियों से बिजली खरीदी के करार किए, इसमें प्रावधान भी इस तरह के लिए गए कि इन्हें तय समय सीमा से पहले निरस्त भी नहीं किया जा सकता. इस तरह यह अनुबंधन सरकार के लिए गले की हड्डी साबित हो रहा है.

बिजली कंपनियों को 2 हजार 767 करोड़ का भुगतान
मध्यप्रदेश सरकार बीते पांच सालों में निजी पॉवर प्लांट संचालकों को 2 हजार 767 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है, जबकि एक यूनिट बिजली भी नहीं खरीदी गई. सरकार ने बिजली खरीदी के लिए पहला एग्रीमेंट 11 अप्रैल 2006 को विंड वर्ल्ड इंडिया एनकॉन लिमिटेड से किया था. यह अनुबंध 20 साल के लिए किया गया था. इसके बाद 2007 में 10 बिजली कंपनियों से, 2008 में 7 से और 2009 में 7 कंपनियों से करार किया गया था.

(Electricity Company will Recover 140 rupees) (Electricity consumers in mp) (Traffic petition submitted to Commission)

भोपाल। अपनी मनमानी और फिजूलखर्जी के लिए चर्चा में रहने वाली ​प्रदेश की बिजली कं​पनियां एक बार फिर उपभोक्ताओं को झटका देने जा रही हैं. पहले कंपनियों ने बिजली खरीदी के लिए मनमाने तरीके से करार कर ड़ाले और अब घरेलू उपभोक्ताओं से 140 रुपए प्रतिमाह न्यूनतम ऊर्जा प्रभार वसूलने की तैयारी की जा रही है. मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने मध्यप्रदेश ऊर्जा नियामक आयोग (MP Energy Regulatory Commission) को वर्ष 2022-23 के लिए टैरिफ पिटिशन में ऊर्जा प्रभार 134 रुपए से बढ़ाकर 140 रुपए करने की अनुमति मांगी है. अगर ऐसा हो गया तो इसका खामिया एक ​बार फिर जनता को महंगी बिजली के रूप में भुगतना पड़ेगा.

बिजली कंपनी ने महंगाई और खर्च का दिया हवाला
मध्यप्रदेश की बिजली कंपनी ने ऊर्जा नियामक आयोग को साल 2022-23 के लिए ट्रैफिक पिटिशन सौंपी है. जिसमें न्यूनतम ऊर्जा प्रभार को बढ़ाकर 140 रुपए प्रतिमाह करने की अनुमति मांगी है. यह स्थिति तब है कि जब मध्यप्रदेश विद्युत अधिनियम के तहत न्यूनतम ऊर्जा प्रभार का प्रावधान खत्म कर दिया गया है, इसके बाद भी बिजली कंपनियों द्वारा हर साल न्यूनतम ऊर्जा प्रभार के नाम पर करीबन 10 लाख उपभोक्ताओं से एक हजार करोड़ रुपए की वसूली की जा रही है.

न्यूनतम ऊर्जा प्रभार बढ़ने के कारण
मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी (MP Power Management Company) द्वारा न्यूनतम ऊर्जा प्रभार बढ़ाए जाने के पीछे कोयले, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को वजह बताया जा रहा है. ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने कहा कि बिजली कंपनियों के खर्चे बढ़ गए हैं. इसलिए खर्च निकालने के लिए न्यूनतम ऊर्जा प्रभार बढ़ाने का प्रावधान किया गया है.

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फिजूलखर्ची उपभोक्ताओं पर पड़ रही भारी
बिजली कंपनी ने प्रदेश में महंगी बिजली करने की तैयारी कर ली है. कंपनी की मनमर्जी से किए जा रहे निर्णय और फिजूलखर्ची आम लोगों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं. कंपनियों से बिजली खरीदी के करार किए, इसमें प्रावधान भी इस तरह के लिए गए कि इन्हें तय समय सीमा से पहले निरस्त भी नहीं किया जा सकता. इस तरह यह अनुबंधन सरकार के लिए गले की हड्डी साबित हो रहा है.

बिजली कंपनियों को 2 हजार 767 करोड़ का भुगतान
मध्यप्रदेश सरकार बीते पांच सालों में निजी पॉवर प्लांट संचालकों को 2 हजार 767 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है, जबकि एक यूनिट बिजली भी नहीं खरीदी गई. सरकार ने बिजली खरीदी के लिए पहला एग्रीमेंट 11 अप्रैल 2006 को विंड वर्ल्ड इंडिया एनकॉन लिमिटेड से किया था. यह अनुबंध 20 साल के लिए किया गया था. इसके बाद 2007 में 10 बिजली कंपनियों से, 2008 में 7 से और 2009 में 7 कंपनियों से करार किया गया था.

(Electricity Company will Recover 140 rupees) (Electricity consumers in mp) (Traffic petition submitted to Commission)

Last Updated : Mar 23, 2022, 2:09 PM IST
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