भोपाल। मध्य प्रदेश में आसन्न बिजली संकट को देखते हुए सरकार हरकत में तो आई, लेकिन बिजली की कमी को लेकर शिवराज सरकार के मंत्री आज भी पुरानी सरकारों का रोना रो रहे हैं. सीएम की फटकार और उर्जा मंत्री के एक्शन में आने से बिजली की स्थिति में फिलहाल सुधार हो रहा है, लेकिन सप्लाई और डिमांड का अंतर अभी भी बना हुआ है. 4 बिजली घरों में महीनों से बंद पड़ी यूनिट को खोले जाने का काम शुरू हो गया है बावजूद इसके जानकार मानते हैं कि आने वाले रबी सीजन में बिजली की किल्लत और बढ़ेगी. हालांकि सरकार के मंत्री ये दावा कर रहे हैं कि बिजली के मामले में हमारी सरकार बेहतर काम कर रही है और किसी तरह का कोई संकट नहीं है
सारंग को आई दिग्विजय की याद
बिजली मध्यप्रदेश की सियासत में काफी अहम रोल निभाती है यह बात बीजेपी जानती है और कांग्रेस इसके नतीजे भुगत चुकी है. यही वजह है कि एक बार फिर मध्य प्रदेश में बिजली संकट को लेकर सियासत शुरू हो गई है. बिजली की कमी को लेकर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने 15 महीने रही कमलनाथ सरकार और दिग्विजय सिंह के कार्यकाल को याद करते हुए हमला बोला है विश्वास ने कहा कि कमलनाथ ने सिर्फ व्यापारियों को लाभ दिलाने के लिए बिजली का उपयोग किया तो दिग्विजय सिंह मदहोशी में शासन करते थे, उनके शासन में भ्रष्टाचार ही बिजली संकट की वजह था. सारंग ने कहा कि हमारी सरकार ने न सिर्फ बिजली उपलब्ध कराई बल्कि गरीबों के लिए सस्ती बिजली की व्यवस्था भी की है और बिजली का कहीं कोई संकट नहीं.
भूरिया की प्रेस कांफ्रेस में कांग्रेस की नौटंकी
कांग्रेस कार्यालय में कांतिलाल भूरिया की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बिजली चली जाने को सारंग ने कांग्रेस की नौटकी बतााय. उन्होंने इस मामले को षडयंत्र पूर्वक बीजेपी पर बिजली कटौती का आरोप लगाने के लिए कांग्रेस की नौटंकी करार दिया. सारंग का कहना है की कांग्रेस कार्यालय में एमसीबी बन्द करके लाइट ऑफ की गई थी उन्होंने आरोप भी लगाया कि पीसीसी के आसपास सभी जगह लाइट थी, इसकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने दावा किया कि मध्यप्रदेश में बिजली की कोई दिक्कत नहीं है, हम कोयले के साथ तमाम संसाधनों की व्यवस्था कर रहे हैं. ओबीसी के आरक्षण मामले पर भी विश्वास सारंग ने कहा की कमलनाथ और कांग्रेस कभी नहीं चाहते थे ओबीसी को आरक्षण मिले जबकि शिवराज सरकार हर वर्ग के साथ है. इसके अलावा उन्होंने इंदिरा ज्योति योजना का नाम बदलने की बात भी कही.
आने वाले रबी सीजन में बढ़ सकती है दिक्कत
मध्य प्रदेश में बिजली संकट से सरकार फिलहाल भले ही राहत मिलने का दावा कर रही हो, लेकिन जानकारों का मानना है कि ये संकट अभी खत्म नहीं हुआ है, अक्टूबर-नवंबर में रबी सीजन के दौरान 15,000 मेगावाट से ज्यादा बिजली की डिमांड रहती है जिससे रबी सीजन में बिजली संकट गहरा सकता है. अभी 11 हजार मेगावाट बिजली की सप्लाई हो रही है. आने वाले दिनों में प्रदेश में 1000 मेगावाट बिजली और मिलने लगेगी तो बिजली की उपलब्धता 12,000 मेगावाट तक की पहुंचेगी. कई जिलों में इस बार कम बारिश होने से खेत और बांध दोनों सूखे हैं जिससे सिंचाई के लिए अधिक पानी और बिजली की जरूरत होगी ऐसे में रबी सीजन में बिजली संकट गहरा सकता है.
गांव और शहरों में अभी भी कटौती जारी
गांव के क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती का सिलसिला लगातार जारी है शाम 7:00 बजे 9500 मेगा वाट की सप्लाई हो रही थी जबकि वास्तविक डिमांड 10,000 मेगावाट के ऊपर थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की फटकार के बाद चार बिजली घरों की महीनों से बंद पड़ी 9 यूनिटों को सुधारने का काम शुरू हो गया है. इन यूनिट से जल्द ही उत्पादन शुरू हो जाएगा यह यूनिट करीब 1000 मेगावाट की है. जल्द ही जल विद्युत की तीन यूनिट्स से भी उत्पादन शुरू हो जाएगा.
सिंगाजी पॉवर प्लांट में कोयला आना शुरू
संकट से उबरने के लिए सरकार का पूरा फोकस सिंगाजी पावर प्लांट पर है इसमें देर रात तक 7 रैक कोयला लेकर पहुंच गई हैं, जबकि 10 रैक रास्ते में हैं. इसके अलावा कई पावर प्लांटस में मेंटेनेंस चल रहा है. वीरसिंहपुर में 210 मेगावाट की दो नंबर यूनिट 30 जुलाई और 500 मेगावाट पांच नंबर यूनिट 19 जुलाई से बंद हैं. सारणी में 6 से 9 नम्बर की यूनिट जिनकी क्षमता 830 मेगावाट है यह बंद है, 1 यूनिट 25 जुलाई से बंद है सिर्फ 250 मेगावाट की एक यूनिट से ही उत्पादन हो रहा है. सिंगाजी की 600 -600 मेगावाट की दो यूनिट सालाना रखरखाव और कोयले की कमी कारण बंद है.अभी भी कई पावर प्लांटस तक कोयला नहीं पहुंचा है. इसके अलावा गांधी सागर हाईडल प्लान्ट, बाणसागर की 3 नम्बर की यूनिट,पेंच की 105 मेगावाट की यूनिट, निजी क्षेत्र लेंकों की 300 मेगावाट कि एक नंबर यूनिट और रिलायंस शासन की दो नंबर यूनिट एनटीपीसी की 660 मेगावाट, विंध्याचल की 500 मेगावाट की यूनिट भी बंद है.