भोपाल। पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मामले में हाई कोर्ट ने स्टे लगाने से इनकार कर दिया है. आज हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि चुनाव का शेड्यूल जारी हो चुका है इसलिए इसपर स्टे नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब मांगा है. आरक्षण में रोटेशन और सरकार की तरफ से जारी किए गए अध्यादेश पर रोक लगाने से भी इंकार कर दिया है.
चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है अब कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता- HC
प्रदेश सरकार द्वारा निकाय चुनाव में रोटेशन प्रकिया का पालन नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई अन्य संबंधित याचिकाओं के साथ 3 जनवरी को निर्धारित की गयी है. कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 243 डी तथा 243 यू के तहत पांच साल का कार्यकाल पूर्ण होने के पूर्व चुनाव करवाना आवश्यक है. इसके अलावा चुनाव प्रक्रिया में रोटेशन का प्रावधान है, लेकिन प्रदेश सरकार ने 21 नवम्बर 2021 को एक अध्यादेश लगाकर रोटेशन प्रकिया को समाप्त कर दिया है. याचिका में कहा गया था कि पंचायत एक्ट में रोटेशन एक प्रकिया है,जिसका पालन किया जाना आवश्यक है. इसका पालन किए बगैर कराए जाने वाले चुनाव असंवैधानिक होंगे. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ होने पर कोर्ट हस्ताक्षेप नहीं कर सकता है,यह एक संवैधानिक प्रकिया है. युगलपीठ ने राज्य सरकार तथा राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट जाएंगे याचिकाकर्ता
पंचायत चुनाव में रोटेशन और 2014 के परिसीमन को चुनौती देते हुए कांग्रेस की तरफ से सैयद जाफर और जया ठाकुर ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी. जिसमें 2014 के अध्यादेश पर रोक लगाने और पंचायत चुनाव पर रोक लगाने की मांग की गई थी. कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अब इस मुद्दे पर वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
सरकार भी जाएगी सुप्रीम कोर्ट
एमपी में पंचायत चुनावों में OBC आरक्षण का मामला फिलहाल सरकार के पाले में है. अब यह सरकार को तय करना है कि वो ओबीसी सीटों के लिए नोटिफिकेशन जारी करती है या नहीं. फिलहाल सरकार इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रही है. मामला न्यायालय में है और सरकार अपने अगले कदम को लेकर विधि विशेषज्ञों से राय ले रही है. हालांकि की आज विधानसभा में हुई बहस के दौरान सीएम शिवराज सिंह ने साफ कर दिया है कि वे ओबीसी वर्ग को आरक्षण दे कर रहेंगे. सरकार भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट जाएगी.
ओबीसी को आरक्षण दिलाना बीजेपी के बस की बात नहीं- तन्खा
मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर चल रहे सियासी घमासान के बीच राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर आरोपों की झड़ी लगा दी. विवेक तन्खा ने कहा कि जिस ओबीसी आरक्षण का ढिंढोरा बीजेपी पीट रही है उस ओबीसी आरक्षण के लिए 1994 से ही कांग्रेस ने रास्ते खोल रखे हैं.
- तन्खा ने कहा कि 1994 में कांग्रेस ने ही पंचायतों में ओबीसी को 25% आरक्षण दिया था उस दौरान महाधिवक्ता रहते हुए उन्होंने ही आरक्षण का बचाव किया था.
- मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण संविधान के मुताबिक ही मिला है, लेकिन बीजेपी संविधान के खिलाफ काम कर रही है. तन्खा ने कहा कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव रोटेशन के आधार पर ही होने चाहिए, लेकिन सरकार 1 साल पुराने कांग्रेस शासन में किए गए रोटेशन और परिसीमन को रद्द कर 7 साल पुराने 2014 के आधार पर चुनाव करा रही है. यह पूरी तरह से असंवैधानिक है.
- उन्होंने कहा कि जिस रोटेशन प्रक्रिया का पालन बीजेपी नहीं कर रही है वह रोटेशन प्रक्रिया जनता की भलाई और आरक्षण के लिए बेहद जरूरी है.
- बीजेपी मुझ पर आरोप लगा रही है कि उनकी वजह से ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है, जबकि हकीकत यह है कि सरकार अपनी बात सुप्रीम कोर्ट के सामने ठीक तरीके से नहीं रख पाई जिसका नतीजा यह रहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर स्टे लगा दिया.
- विवेक तंखा ने कहा है कि बीजेपी के नेता कानून और कोर्ट की प्रक्रिया का मजाक उड़ा रहे हैं. ऐसे लोगों को कानूनी तौर पर ही सबक सिखाया जाना जरूरी है.
- 3 तारीख को हाईकोर्ट खुलते ही मानहानि और आपराधिक केस बीजेपी नेताओं पर दर्ज कराया जाएगा. तन्खा ने कहा है कि मध्य प्रदेश में ओबीसी के आरक्षण का रास्ता हम ही निकालेंगे यह काम बीजेपी के बस की बात नहीं है.
रिजर्वेशन पर दबाव में है सरकार
शिवराज सरकार के सामने संकट ये है कि सरकार ने तो obc के लिए पंचायत चुनावों में 27 फीसदी आरक्षण पर चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी थी ,लेकिन कांग्रेस रोटेशन और परिसीमन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और फिर पूरा मामला सरकार की मंशा के उलट हो गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य चुनाव आयोग को ओबीसी आरक्षित सीटों पर चुनाव कराने से रोक लगानी पड़ी.
- सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि चुनाव संवैधानिक तरीके से कराए जाएं, लिहाजा सरकार की जिम्मेदारी है कि चुनाव संवैधानिक तरीके से कराए. ऐसा न होने पर एससी चुनाव निरस्त भी कर सकता है.
- इस मामले में बीजेपी ओबीसी को आरक्षण ने मिलने के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है.
- दूसरी तरफ सरकार के मंत्रियों की बयानबाजी पर सुप्रीम कोर्ट के वकील और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह पर 10 करोड़ का मानहानि का दावा ठोक दिया है.
- पूर्व सीएम और बीजेपी की सीनियर नेता उमा भारती भी इस मामले में कूद पड़ी हैं. उन्होंने शिवराज सरकार से कहा कि ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव कराना मध्य प्रदेश की 70 फीसदी जनता के साथ अन्याय होगा.