भोपाल। कोरोना से प्रभावित राज्यों में मध्यप्रदेश टॉप राज्यों में हैं. लोग बताते हैं कि श्मशान घाट के पास शव लाने वाली एंबुलेंस की कतारें लगी हुई हैं. कुछ लोग अपने परिजनों के शव के अंतिम संस्कार के लिए अपनी बारी का घंटों से इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि चिता के लिए जगह नहीं रह गई है. कुछ लोग ये भी बता रहे हैं कि जगह की कमी के चलते वे अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं.
सरकारी आंकड़े कुछ भी हों, भोपाल के दो विश्रामघाट और एक कब्रिस्तान से मिले आंकड़ों ने कोरोना की भयानक तस्वीर पेश की है. कोरोना के दूसरे फेज में यह आंकड़े और भी डरावने हैं. सिर्फ अप्रेल में ही शहर के दो विश्राम घाटों पर पिछले 12 दिनों में 361 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है.
पिछले साल अप्रेल में 37, इस साल 12 दिन में 372
भोपाल में मुख्य रूप से भदभदा विश्रामघाट और सुभाष नगर विश्रामघाट पर ही कोरोना प्रोटोकल वाले शवों काअंतिम संस्कार किया जा रहा है. पिछले 12 दिनों में भदभदा विश्रामघाट पर ही 253 शवों का कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अतिम संस्कार किया गया. वहीं सुभाष नगर विश्राम घाट पर ये आंकड़ा 108 है.
सुभाष नगर विश्राम घाट के प्रबंधन द्वारा दिए गए आंकड़ों की मानें, तो इस साल अप्रैल में बड़ी संख्या में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार हो रहा है. पिछले 13 दिनों में ऐसे 108 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है.
महीना | शवो का अंतिम संस्कार |
जनवरी 2021 | 02 |
फरवरी 2021 | 01 |
मार्च 2021 | 02 |
1 से 13 अप्रेल तक | 108 |
भदभदा विश्राम घाट- भदभदा विश्राम घाट का प्रबंधन देखने वाले अरूण चौधरी के मुताबिक कोरोना के शुरू होने के बाद से अभी तक 2100 शवों का कोरोना प्रोटोकॉल में अंतिम संस्कार किया गया है. कोरोना की दूसरी लहर में स्थिति ज्यादा खराब है.
महीना | शवों का अंतिम संस्कार |
जनवरी 2021 | 144 |
फरवरी 2021 | 45 |
मार्च 2021 | 152 |
1 से 11 अप्रेल तक | 253 |
झदा कब्रिस्तान के इंतजामिया समिति के मुताबिक इस साल चार अप्रैल तक 38 शवों को सुपुर्दे खाक किया जा चुका है.
महीना | शवों को किया सुपुर्दे खाक |
जनवरी 2021 | 11 |
फरवरी 2021 | 05 |
मार्च 2021 | 11 |
4 अप्रेल तक | 11 |
छिंदवाड़ा में श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के आंकड़े
- 9 अप्रैल को 36 शवों का अंतिम संस्कार हुआ
- 10 अप्रैल को 31 शवों का अंतिम संस्कार हुआ
- 11 अप्रैल को 34 शवों का अंतिम संस्कार हुआ
- 12 अप्रैल को 34 शवों का अंतिम संस्कार हुआ
- 13 अप्रैल को 37 शवों का अंतिम संस्कार हुआ
इंदौर के श्मशान घाटों में भी हालात इतने ही खराब हैं. 1 अप्रैल से लेकर 11 तक का श्मशान घाटों का डेटा कुछ ऐसे है.
- रामबाग मुक्तिधाम में 94 में से 35 शवों का कोविड प्रोटोकोल से अंतिम संस्कार हुआ
- जूनी इंदौर मुक्तिधाम में 128 में से 38 शवों का कोविड प्रोटोकोल से अंतिम संस्कार हुआ
- पंचकुईया मे 290 में से 83 शवों का कोविड प्रोटोकोल से अंतिम संस्कार हुआ
- मालवा मिल 190 में से 47 शवों का कोविड प्रोटोकोल से अंतिम संस्कार हुआ
- रीजनल पार्क 199 में से 98 शवों का कोविड प्रोटोकोल से अंतिम संस्कार हुआ
ये वो आंकड़े हैं जो ईटीवी भारत ने ग्राउंड पर जाकर इकट्ठा किए हैं. लेकिन सरकार इन आंकड़ों को नहीं मानती. सरकार की ओर से जारी डेटा में कोरोना से मौतों के आंकड़े और श्मशान घाट पर हो रहे अंतिम संस्कार के आंकड़ों में बड़ा अंतर है. जमीनी आंकड़ों से सरकारी आंकड़े एक तिहाई से भी कम हैं.
मध्यप्रदेश में कोरोना से मौत के सरकारी आंकड़े
- 07 अप्रैल को 27 कोरोना मरीजों की मौत
- 08 अप्रैल को 23 कोरोना मरीजों की मौत
- 09 अप्रैल को 24 कोरोना मरीजों की मौत
- 10 अप्रैल को 24 कोरोना मरीजों की मौत
- 11 अप्रैल को 37 कोरोना मरीजों की मौत
- 12 अप्रैल को 40 कोरोना मरीजों की मौत
- 13 अप्रैल को 40 कोरोना मरीजों की मौत
मध्यप्रदेश के चार बड़े शहरों में कोरोना केस और मौतें
शहर | केस | मौत |
इंदौर | 1611 | 6 |
भोपाल | 1497 | 4 |
ग्वालियर | 801 | 9 |
जबलपुर | 602 | 5 |
सरकारी आंकड़ों से तीन गुना ज्यादा मौतें !
श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के आंकड़ों और सरकारी आंकड़ों में बड़ा झोल नजर आता है. जहां सरकार ने मंगलवार को कोरोना से सिर्फ 41 मौत बताई है, जबकि श्मशान घाट में अकेले छिंदवाड़ा में ही 37 शवों का अंतिम संस्कार हुआ है. इसी तरह बाकी श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कारों के आंकड़ों को जोड़ें तो ये सरकारी आंकड़ों से तीन गुना से भी ज्यादा होते हैं.
'हम क्यों छिपाएंगे आंकड़े, कोई अवॉर्ड तो नहीं मिलेगा'
अब सवाल ये उठता है कि सरकार आखिर कोरोना से मौत के आंकड़ों को छिपा क्यों रही है. हकीकत पर पर्दा डालने की कोशिश क्यों हो रही है. ये सवाल जब चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से पूछा गया, तो मंझे हुए नेता की तरह उन्होंने बातों को इतना घुमाया, कि असली सवाल ही गुम हो गया. इसके उलट, सारंग ने विश्वास के साथ कहा, इसके लिए सोशल मीडिया जिम्मेदार है. उन्होंने कहा, विपक्षी लोग सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैला रहे हैं. 'मौत के आंकड़े छिपाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है, ऐसा करके हमें कोई अवॉर्ड नहीं मिलने जा रहा".
'प्रभू' को दमोह से मिली फुर्सत
स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी को भी अब दमोह उप चुनाव से अब फुर्सत मिली है. वे भी भोपाल लौटे और कमांड सेंटर का निरीक्षण करने पहुंचे. उन्होंने कहा, किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. बेड पर्याप्त हैं. रेमडेसिविर इंजेक्शन आसानी से मिल रहे हैं. दमोह में वोटों की जुगत में लगे मंत्री ने शायद 'संजय की दिव्य आंख' से कोरोना कहर का हाल देखा हो. चौधरी ने कहा, कोरोना confirm कोरोना suspect दोनों की मौत होने पर कोरोना प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार होता है. इसलिए सरकार के आंकड़ों और अंतिम संस्कार के आंकड़ों में इतना अंतर है.
'सरकार के डर से खुलकर नहीं बोल रहे'
भोली भाली जनता मंत्री जी की बातों में आ भी जाती. अगर अस्पताल वाले सरकार की पोल नहीं खोलते. सिटी हॉस्पिटल के प्रवक्ता ने हिम्मत करके बताया, कि ज्यादातर अस्पतालों की हालत खराब है. सरकार के डर से कोई खुलकर नहीं बोल पा रहा है. सच तो ये है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी है. इस कारण कोरोना से मौतें लगातार बढ़ रही हैं
'हालात out of control होते जा रहे हैं'
चिरायु हॉस्पिटल के संचालक डॉ. अजय गोयनका से तो आंकड़ों के साथ बता दिया, कि उनके अस्पताल में एक सप्ताह से रोजाना 12 से 15 कोरोना मरीजों की मौत हो रही है. ऐसी ही स्थिति दूसरे अस्पतालों की भी है. सरकार कुछ भी कहे हालात out of control होते जा रहे हैं.
'ये जुमलेबाज सरकार है, कोरोना पर लाचार है'
कांग्रेस को मौका मिला, तो निशाने पर आ गई सरकार. कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा, कि ऑक्सीजन के मामले में मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर होता तो यह हालात नहीं बनते. होशंगाबाद के बाबई में बनने वाला ऑक्सीजन प्लांट भी सरकार का जुमला बनकर रह गया .अगर ये समय पर बनकर तैयार हो जाता, तो प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं होती.
शिवराज ने माना हालात विकट
लोगों का कहना है कि 1984 के भोपाल गैस त्रासदी के बाद से उन्होंने श्मशान घाटों पर ऐसी भयानक तस्वीर नहीं देखी. खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने माना, कि प्रदेश में हालात विकट हैं. जरूरत पड़ी तो रेमडेसिविर इंजेक्शन हेलिकॉप्टर से जिलों में पहुंचाएंगे. मुख्यमंत्री का बुधवार को दमोह में रोड शो भी निरस्त कर दिया.
आंकड़े क्यों छिपा रही सरकार ?
अब सवाल ये उठता है कि सरकार को आंकड़े छिपाने से क्या हासिल होगा. कुछ लोग कहते हैं, अगर सही आंकड़े सरकार छापने लगे, तो उसकी थू-थू होगी. उसके मैनेजमेंट पर सवाल उठेंगे. मौतों की बड़ी संख्या को देखकर फिर से बड़े लॉकडाउन की डिमांग होगी. इससे अर्थव्यवस्था फिर से गड्ढे में जा सकती है.