भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार अब प्रदेश को लेकर बनाई गई ड्रोन नीति (mp government drone policy) में बदलाव करने जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार ने changes in drone policy task force formed)टास्क फोर्स का गठन भी कर दिया है. विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव को टास्क फोर्स का अध्यक्ष बनाया गया है. टास्क फोर्स में नागरिक सेवाओं और सुशासन के क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग को लेकर 9 विभागों के अफसरों को शामिल किया गया है. इसके साथ ही टास्क फोर्स प्रदेश में खोले जाने वाल 5 ड्रोन स्कूलों के शुरू किए जाने पर योजना बनाएगा. टास्क फोर्स में जियोस्पेशियल एजेंसी और एनआरएसए को भी शामिल किया गया है.
इन विभागों में ड्रोन के उपयोग की बनेगी रणनीति
सरकारी स्तर पर और नागरिक सेवाओं में ड्रोन के उपयोग के लिए 9 विभागों के अधिकारियों और एजेंसियों को शामिल करते हुए टास्क फोर्स के गठन के आदेश जारी कर दिए गए हैं. ये आदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी कर किए हैं. टास्क फोर्स में वन विभाग, राजस्व, खनिज, नगरीय प्रशासन, जल संसाधन, गृह विभाग, इलेक्ट्राॅनिक विकास निगम को शामिल किया गया है. पिछले दिनों ग्वालियर में लगे प्रदेश के पहले ड्रोन मेले में एस तरह के ड्रोन का प्रदर्शन किया गया था जो सुशासन और नागरिक सुविधाओं के उपयोग में बेहतर परिणाम दे सकते हैं. ये ड्रोन्स खेतों में दवा छिडकाव करने से लेकर आवश्यक दवाओं की डिलेवरी या दुर्गम स्थानों तक सामान पहुंचाने के काम लाए जा सकते हैं. मेले के दौरान ही केंद्रीय सिविल एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐलान किया था कि डोन उडाने का प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश के ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, जबलपुर और सतना में पांच ड्रोन स्कूल खोले जाएंगे. इसके साथ ही ग्वालियर MITS में ड्रोन एक्सीलेंस सेंटर बनाए जाने की घोषणा भी की गई है.
एमपी में ड्रोन पुलिसिंग भी शुरू
प्रदेश के दो शहरों में कमिश्नर सिस्टम लागू करने के बाद सरकार पुलिस हाईटेक बनाने की कोशिशों में जुट गई है. ऐसा ही एक तरीका है (Drone Policing). ड्रोन पुलिसिंग. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narottam Mishra) को ड्रोन पुलिसिंग (Drone Policing)का यह प्रजेंटेशन पसंद आया है, जिसके बाद उन्होंने ड्रोन से प्रदेश के सभी बड़े शहरों में निगरानी के आदेश जारी किए हैं. भोपाल के पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर ने भोपाल में होने वाले बड़े आयोजनो और व्हीव्हीआइपी मूवमेंट की निगरानी ड्रोन से कराने के निर्देश दिए थे. इसके बाद भोपाल पुलिस ने एक दिन पहले ही वेंटिलेटर पर मरीज के शिफ्ट करने के लिए एक ग्रीन काॅरिडोर बनाया था. 11 किलोमीटर लंबे इस ग्रीन काॅरिडोर की निगरानी ड्रोन से की गई थी.
कहां और कैसे होगी ड्रोन पुलिसिंग
एडीशनल डीसीपी संदीप दीक्षित के मुताबिक कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद ड्रोन से निगरानी का निर्णय लिया गया है. इसकी शुरूआत पहले ट्रैफिक व्यव्स्था बनाए रखने और इसमें सुधार करने को लेकर की गई है.
- भीड़ भरे इलाकों में समय समय पर ड्रोन के द्वारा निगरानी करना शुरू किया गया है.
- व्हीव्हीआईपी मूवमेंट के दौरान पूरे रूट की निगरानी ड्रोन के माध्यम से की जाएगी. जिससे पूरा रूट पुलिस की निगरानी में होगा.
- आंदोलन, धरना-प्रदर्शन, खासतौर से जिसमें लाॅ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ने की आशंका हो, वहां ड्रोन से निगरानी की जाएगी. इससे आंदोलनकारियों और उपद्रवि तत्वों की निगरानी और पहचान करना आसान होगा.
बड़े शहरों में दिए गए हैं ड्रोन
प्रदेश के बड़े शहरों में पुलिस को पहले ही एक-एक ड्रोन दिए गए हैं. हालांकि ये ड्रोन अभी शादी-विवाह में रिकॉर्डिंग कराने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे ड्रोन की तरह ही. प्रदेश पुलिस अभी इन ड्रोन्स का उपयोग सिर्फ बड़े पॉलिटिकल इवेंट्स में कर रही थी. अब गृहमंत्री के निर्देश के बाद ड्रोन पुलिसिंग का इस्तेमाल ट्रेफिक व्यवस्था को बेहतर करने और लाॅ एंड ऑर्डर को हैंडल करने में किया जाएगा.
इन ड्रोन्स का हो सकता है नागरिक सुविधाओं में इस्तेमाल
हाई ब्रीड ड्रोन: किसानों और जिला प्रशासन के लिए फायदेमंद
हाईब्रीड ड्रोन, चार पंखे लगे होने के कारण यह एक बार में 75 से 80 मिनट तक उड़ सकता है. यह ड्रोन सर्वे, मैपिंग के लिए सबसे शानदार उपकरण है. कैमरे पर सेंसर लगाने से यह फसलों में लगे कीट को भी डिटेक्ट कर लेता है. जिससे फसल खराब होने से बचाई जा सकती है. ये ड्रोन 40 से 50 किलोमीटर के एरिया में मूव कर सकता है
सर्विलांस ड्रोन: सीमा और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रखेगा नजर
सेना के लिए बेहद उपयोगी. यह ड्रोन 2 से ढाई घंटे तक आसानी से उड़ सकता है.इसमें हाई मेगा पिक्सल के दो कैमरे लगे हैं. इनका इस्तेमाल बॉर्डर या नक्सल प्रभावित या अन्य संवेदनशील स्पॉट पर निगरानी के लिए किया जा सकता है. यह ड्रोन 30 से 35 KM के एरिया में मूव कर सकता है.
मैपिंग ड्रोन: सरकारी काम में बंटाएगा हाथ
यह आम आदमी की रेंज का ड्रोन है. इसका वजन 3 किलो है और यह 1 से डेढ़ किलो वजन उठा सकता है. 35 से 40 मिनट तक बिना रुके उड़ान भर सकता है. इसमें 42 मेगा पिक्सल का हाई जूम कैमरा है जिससे मैपिंग की जा सकती है. ड्रोन का उपयोग शासकीय कार्य में किया जा सकता है.
एग्रीकल्चर ड्रोन: किसानों के लिए फायदेमंद है ये ड्रोन
यह ड्रोन 20 मिनट में लगभग 3 एकड़ जमीन पर कीटनाशक का छिड़काव कर सकता है. यह 50 किलोमीटर की रेंज में उड़ सकता है. इसमें भी हाई मेगा पिक्सल कैमरे लगे होते हैं. यह 15 से 20 किलो वजन लेकर उड़ सकता है.
मेडिकल ड्रोन: मेडिकल इमरजेंसी में सहायक उपकरण
मेडिकल ड्रोन आपात काल में मेडिकल किट (दवाओं) को 50 किलोमीटर दूर तक पहुंचा सकता है. यह किसी भी तापमान में उड़ने में सक्षम है. यह ड्रोन 16 से 18 किलो वजन उठाकर उड़ सकता है. इसमें हाई मेगा पिक्सल कैमरे लगे हैं. यह करीब 2 घंटे तक हवा में उड़ सकता है.
सिंधिया ने किया था नई ड्रोन नीति 2021 का एलान
12 मार्च 2021 को केद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नई ड्रोन पॉलिसी की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि ये ड्रोन पॉलिसी इतिहास रचेगी. सिंधिया ने कहा था कि हमारी सोच है कि भारत में एक इकोसिस्टम बने जिसके आधार पर एक क्रांति भारत में आए. उन्होंने कहा कि इस क्रांति के 3 भाग हैं, जिसमें पहला भाग व्यापार करने में आसानी हो, दूसरा भाग है जिसमें सारे फिज़ूल की स्वीकृतियों को कम से कम करना और तीसरा व्यापार में प्रवेश बाधाओं को हटाना. नई ड्रोन नीति कुछ इस तरह है.
जानें क्या हैं नए नियम?
- नए नियमों के तहत ड्रोन का कवरेज 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है, जिसमें अब भारी पेलोड ले जाने वाले ड्रोन और ड्रोन टैक्सियां शामिल हैं.
- ड्रोन के लिए किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस जारी करने से पहले किसी सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं है.
- अनुमतियों के लिए अपेक्षित शुल्क भी नाममात्र तक कम कर दिया गया है.
- सभी ड्रोन का ऑनलाइन पंजीकरण डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से होगा.
- अब यूनिक अधिकृत नंबर, यूनिक प्रोटोटाइप पहचान संख्या, अनुरूपता का प्रमाण पत्र ,मेंटेनेंस सर्टिफिकेट, ऑपरेटर परमिट, अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकरण, रिमोट पायलट लाइसेंस, ड्रोन पोर्ट प्राधिकरण, ड्रोन घटकों के लिए अनुमोदन समाप्त कर दिए गए हैं.
- नई राष्ट्रीय ड्रोन नीति के तहत, नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकतम दंड को घटाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया है. हालांकि अन्य कानूनों के उल्लंघन के लिए लगाए गए दंड के लिए भी यह लागू नहीं है.
- व्यवसाय के अनुकूल नियामक व्यवस्था की सुविधा के लिए मानव रहित विमान प्रणाली संवर्धन परिषद की स्थापना की जाएगी.
- ड्रोन के आयात को विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा नियंत्रित किया जाएगा.
- कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर भी विकसित किए जाएंगे.
- डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर हरे, पीले और लाल क्षेत्रों के साथ इंटरएक्टिव हवाई क्षेत्र का नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा.
- हवाई अड्डे की परिधि से यलो क्षेत्र को 45 किमी से घटाकर 12 किमी कर दिया गया है.
- हवाई अड्डे की परिधि से 8 से 12 किमी के बीच के क्षेत्र में ग्रीन जोन और 200 फीट तक के क्षेत्र में ड्रोन के संचालन के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है.
- सभी जोनों का ऑनलाइन पंजीकरण डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से होगा, जिसमें ड्रोन के हस्तांतरण और पंजीकरण के लिए निर्धारित एक आसान प्रक्रिया होगी.
- नई ड्रोन नीति का उद्देश्य भारत में मौजूदा ड्रोनों को नियमित करना है.
- सभी ड्रोन प्रशिक्षण और परीक्षा एक अधिकृत ड्रोन स्कूल द्वारा की जाएगी.
- डीजीसीए प्रशिक्षण आवश्यकताओं को निर्धारित करेगा, ड्रोन स्कूलों की निगरानी करेगा और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस प्रदान करेगा.
- 'नो परमिशन - नो टेक-ऑफ (एनपीएनटी)' रीयल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फेंसिंग और इसी तरह की सुरक्षा सुविधाओं को भविष्य में अधिसूचित किया जाएगा.
- अनुपालन के लिए कम से कम छह महीने का समय दिया जाएगा.