ETV Bharat / city

नेशनल चैंपियनशिप में खेलेगी एमपी की ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीमः संघर्षों से भरी है खिलाड़ियों की कहानी - एमपी ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम

भोपाल के बरकतउल्ला ग्राउंड (Barkatullah Ground of bhoppal) पर मध्यप्रदेश ब्लाइंड वुमन क्रिकेट टीम की तैयारी हो रही है. यह पहला मौका होगा जब दृष्टिहीन युवतियां नेशनल चैंपियनशिप में शिरकत करेंगी. यह लड़कियां छोटे-छोटे और गरीब घरों से निकलकर इस मुकाम पर पहुंची हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से अपने संघर्ष की कहानी को शेयर किया है. (mp first blind woman cricket team)

MP Blind Women Cricket Team
एमपी ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम
author img

By

Published : Feb 17, 2022, 9:31 PM IST

भोपाल। हुनर और हौसला हो तो राह में आई सभी बाधाओं को पार कर मुकाम हासिल किया जा सकता है. कुछ ऐसा की कर दिखाया है मध्य प्रदेश की ब्लाइंड गर्ल्स ने. यह लड़कियां अब क्रिकेट में हाथ आजमा रही हैं और मध्य प्रदेश की ब्लाइंड क्रिकेट टीम (MP first blind woman cricket team) का हिस्सा बनने जा रही हैं. यह सभी लड़कियां प्रोफेशनली पहली बार किसी ट्रेनिंग कैंप में आई हैं. इनके जीवन में संघर्ष की कहानी बहुत बड़ी है, लेकिन उन्होंने शारीरिक कमजोरी को कभी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया. बुलंद हौंसलों के साथ कड़ी मेहनत कर मंजिल की तरफ बढ़ रही हैं.

क्रिकेट के मैदान पर चौके छक्के लगाएगी मध्यप्रदेश की वुमन टीम

जीत हासिल कर पिता का सपना पूरा करूंगीः रवीना यादव
नर्मदापुरम की रहने वाली रवीना यादव 8 भाई बहनों में दूसरे नंबर पर हैं. सात बहनों के बीच में एक भाई है और पिता खेती का काम करते हैं मां गृहणी हैं. ऐसे में घर में बमुश्किल गुजारा हो पाता है. उस पर रवीना आंखों से देखने में भी सक्षम नहीं हैं. रवीना बताती हैं कि घर में अधिक बहनों के चलते उन पर भी दबाव रहा, ऊपर से आंखों से ना दिखने के कारण वो ज्यादातर घर पर ही रहा करती थीं. धीरे-धीरे पढ़ाई शुरू की. स्कूल के बाद इंदौर में कॉलेज ज्वाइन किया और अब सेकंड ईयर के एग्जाम की तैयारी कर रही हैं, लेकिन कुछ महीने पहले जब इन्होंने क्रिकेट के बारे में घर वालों को बताया और बाहर जाने की इच्छा जताई तो उन्होंने सीधे तौर पर मना कर दिया. पड़ोस में रहने वाली चाची के सहयोग से इन्होंने माता-पिता को समझाया, तब जाकर इन्हें भोपाल आने का मौका मिला. रवीना कहती हैं कि उनके पिता हमेशा कहते हैं कि यह खेल तो लड़कों का है, लड़कियां कैसे खेलेंगी. इस पर रवीना का कहना है कि वे मध्य प्रदेश की टीम में सेलेक्ट होगी और जीत कर भी आएंगी और पिता का सपना पूरा करेंगी.

आंखों से नहीं देखने के कारण अपमान महसूस होता था: सोनम शर्मा
सोनम शर्मा भी नर्मदापुरम के एक छोटे से गांव में रहती हैं. वह पांच बहन और एक भाई हैं. सोनम की कहानी भी संघर्षों से भरी हुई है. उसके पिता मजदूरी करते हैं. सोनम बताती हैं की आंखों से नहीं देखने के कारण शुरुआत में उन्हें कई बार अपमान का घूंट भी पीना पड़ा, लेकिन पिता ने हार नहीं मानी और उन्हें स्कूल और फिर कॉलेज में एडमिशन दिलाया. सोनम इंदौर से बीए कर रही हैं. वह कहती हैं कि क्रिकेट के बारे में उन्हें ज्यादा कुछ पता नहीं था, लेकिन मैनेजर सोनू गोलकर के संपर्क में आने के बाद उन्होंने क्रिकेट खेलने का सोचा. इन्हें उम्मीद है कि वे टीम में सेलेक्ट होंगी और अच्छा प्रदर्शन कर मध्य प्रदेश को ट्रॉफी दिलाएंगी.

एमपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षाएं आज से शुरू, कोरोना प्रोटोकॉल के तहत बच्चों को परीक्षा केंद्र में मिली एंट्री

परिवार के सपने पूरे करना चाहती हैं प्रिया कीर
भोपाल के पास के गांव की रहने वाली प्रीति ने शारीरिक कमजोरी को कभी अपनी जीवन यात्रा में आड़े नहीं आने दिया. प्रीति पांच भाई-बहनों में दूसरे तीसरे नंबर पर हैं. प्रीति के पिता भी किसान हैं और खेती कर परिवार का पालन करते हैं. प्रीति को बचपन से अन्य गतिविधियों का शौक था. क्रिकेट में इनको दिलचस्पी नहीं थी ,लेकिन जब इन्होंने पहली बार खेला तो इनके मन में भी उत्सुकता हुई और इन्हें भी लगा कि वह भी क्रिकेट खेल सकती हैं. प्रीति कहती है कि घर में कई बार ऐसी स्थिति होती थी की एक बहन के लिए कोई सामान आता था तो दूसरी को वह नहीं मिल पाता था. ऐसे में प्रीति का लक्ष्य है कि वह इस खेल के माध्यम से हर मुकाम हासिल करें और परिवार को एक अच्छा जीवन दे सकें.

क्रिकेट टीम में तीन कैटेगरी में कुल 14 प्लेयर्स होंगे शामिल
ब्लाइंड पुरुष क्रिकेट में T20 और वर्ल्ड कप खेल चुके और इन युवतियों के ट्रेनर सोनू गोलकर कहते हैं कि उनके मन में यह ख्याल इसलिए आया क्योंकि मध्य प्रदेश से ब्लाइंड गर्ल्स की एक भी टीम नहीं थी. ऐसे में उनकी संस्था समर्थन और नेशनल क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड ने ब्लाइंड वूमेन क्रिकेट टीम तैयार करने के बारे में सोचा. जिसके बाद किट बगैरा इकट्ठा करने की तैयारी की गई. हालांकि गर्ल्स के लिए किट मिलना भी इतना आसान नहीं था. ऐसे में मध्यप्रदेश ब्लाइंड क्रिकेट एसोसिएशन ने स्पॉन्सर की मदद से इसके लिए व्यवस्था की है. उन्होंने बताया कि ब्लाइंड क्रिकेट टीम में तीन कैटेगरी में कुल 14 प्लेयर्स शामिल होंगे. तीनों कैटेगरी B-1, B-2 और B-3 में एक-एक एक्स्ट्रा प्लेयर को भी शामिल किया जाता है.

28 फरवरी से 5 मार्च तक चलेगा टूर्नामेंट
यह टूर्नामेंट 28 फरवरी से 5 मार्च तक बेंगलुरु में आयोजित होगा. फिलहाल भोपाल के बरकतउल्ला ग्राउंड पर 20-20 लड़कियों को अलग-अलग टाइम में बुलाकर प्रैक्टिस कराई जा रही है. कुल 60 लड़कियां ट्रॉयल में शामिल हुई हैं. जिसमें से 14 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा.

(MP first blind woman cricket team)

भोपाल। हुनर और हौसला हो तो राह में आई सभी बाधाओं को पार कर मुकाम हासिल किया जा सकता है. कुछ ऐसा की कर दिखाया है मध्य प्रदेश की ब्लाइंड गर्ल्स ने. यह लड़कियां अब क्रिकेट में हाथ आजमा रही हैं और मध्य प्रदेश की ब्लाइंड क्रिकेट टीम (MP first blind woman cricket team) का हिस्सा बनने जा रही हैं. यह सभी लड़कियां प्रोफेशनली पहली बार किसी ट्रेनिंग कैंप में आई हैं. इनके जीवन में संघर्ष की कहानी बहुत बड़ी है, लेकिन उन्होंने शारीरिक कमजोरी को कभी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया. बुलंद हौंसलों के साथ कड़ी मेहनत कर मंजिल की तरफ बढ़ रही हैं.

क्रिकेट के मैदान पर चौके छक्के लगाएगी मध्यप्रदेश की वुमन टीम

जीत हासिल कर पिता का सपना पूरा करूंगीः रवीना यादव
नर्मदापुरम की रहने वाली रवीना यादव 8 भाई बहनों में दूसरे नंबर पर हैं. सात बहनों के बीच में एक भाई है और पिता खेती का काम करते हैं मां गृहणी हैं. ऐसे में घर में बमुश्किल गुजारा हो पाता है. उस पर रवीना आंखों से देखने में भी सक्षम नहीं हैं. रवीना बताती हैं कि घर में अधिक बहनों के चलते उन पर भी दबाव रहा, ऊपर से आंखों से ना दिखने के कारण वो ज्यादातर घर पर ही रहा करती थीं. धीरे-धीरे पढ़ाई शुरू की. स्कूल के बाद इंदौर में कॉलेज ज्वाइन किया और अब सेकंड ईयर के एग्जाम की तैयारी कर रही हैं, लेकिन कुछ महीने पहले जब इन्होंने क्रिकेट के बारे में घर वालों को बताया और बाहर जाने की इच्छा जताई तो उन्होंने सीधे तौर पर मना कर दिया. पड़ोस में रहने वाली चाची के सहयोग से इन्होंने माता-पिता को समझाया, तब जाकर इन्हें भोपाल आने का मौका मिला. रवीना कहती हैं कि उनके पिता हमेशा कहते हैं कि यह खेल तो लड़कों का है, लड़कियां कैसे खेलेंगी. इस पर रवीना का कहना है कि वे मध्य प्रदेश की टीम में सेलेक्ट होगी और जीत कर भी आएंगी और पिता का सपना पूरा करेंगी.

आंखों से नहीं देखने के कारण अपमान महसूस होता था: सोनम शर्मा
सोनम शर्मा भी नर्मदापुरम के एक छोटे से गांव में रहती हैं. वह पांच बहन और एक भाई हैं. सोनम की कहानी भी संघर्षों से भरी हुई है. उसके पिता मजदूरी करते हैं. सोनम बताती हैं की आंखों से नहीं देखने के कारण शुरुआत में उन्हें कई बार अपमान का घूंट भी पीना पड़ा, लेकिन पिता ने हार नहीं मानी और उन्हें स्कूल और फिर कॉलेज में एडमिशन दिलाया. सोनम इंदौर से बीए कर रही हैं. वह कहती हैं कि क्रिकेट के बारे में उन्हें ज्यादा कुछ पता नहीं था, लेकिन मैनेजर सोनू गोलकर के संपर्क में आने के बाद उन्होंने क्रिकेट खेलने का सोचा. इन्हें उम्मीद है कि वे टीम में सेलेक्ट होंगी और अच्छा प्रदर्शन कर मध्य प्रदेश को ट्रॉफी दिलाएंगी.

एमपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षाएं आज से शुरू, कोरोना प्रोटोकॉल के तहत बच्चों को परीक्षा केंद्र में मिली एंट्री

परिवार के सपने पूरे करना चाहती हैं प्रिया कीर
भोपाल के पास के गांव की रहने वाली प्रीति ने शारीरिक कमजोरी को कभी अपनी जीवन यात्रा में आड़े नहीं आने दिया. प्रीति पांच भाई-बहनों में दूसरे तीसरे नंबर पर हैं. प्रीति के पिता भी किसान हैं और खेती कर परिवार का पालन करते हैं. प्रीति को बचपन से अन्य गतिविधियों का शौक था. क्रिकेट में इनको दिलचस्पी नहीं थी ,लेकिन जब इन्होंने पहली बार खेला तो इनके मन में भी उत्सुकता हुई और इन्हें भी लगा कि वह भी क्रिकेट खेल सकती हैं. प्रीति कहती है कि घर में कई बार ऐसी स्थिति होती थी की एक बहन के लिए कोई सामान आता था तो दूसरी को वह नहीं मिल पाता था. ऐसे में प्रीति का लक्ष्य है कि वह इस खेल के माध्यम से हर मुकाम हासिल करें और परिवार को एक अच्छा जीवन दे सकें.

क्रिकेट टीम में तीन कैटेगरी में कुल 14 प्लेयर्स होंगे शामिल
ब्लाइंड पुरुष क्रिकेट में T20 और वर्ल्ड कप खेल चुके और इन युवतियों के ट्रेनर सोनू गोलकर कहते हैं कि उनके मन में यह ख्याल इसलिए आया क्योंकि मध्य प्रदेश से ब्लाइंड गर्ल्स की एक भी टीम नहीं थी. ऐसे में उनकी संस्था समर्थन और नेशनल क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड ने ब्लाइंड वूमेन क्रिकेट टीम तैयार करने के बारे में सोचा. जिसके बाद किट बगैरा इकट्ठा करने की तैयारी की गई. हालांकि गर्ल्स के लिए किट मिलना भी इतना आसान नहीं था. ऐसे में मध्यप्रदेश ब्लाइंड क्रिकेट एसोसिएशन ने स्पॉन्सर की मदद से इसके लिए व्यवस्था की है. उन्होंने बताया कि ब्लाइंड क्रिकेट टीम में तीन कैटेगरी में कुल 14 प्लेयर्स शामिल होंगे. तीनों कैटेगरी B-1, B-2 और B-3 में एक-एक एक्स्ट्रा प्लेयर को भी शामिल किया जाता है.

28 फरवरी से 5 मार्च तक चलेगा टूर्नामेंट
यह टूर्नामेंट 28 फरवरी से 5 मार्च तक बेंगलुरु में आयोजित होगा. फिलहाल भोपाल के बरकतउल्ला ग्राउंड पर 20-20 लड़कियों को अलग-अलग टाइम में बुलाकर प्रैक्टिस कराई जा रही है. कुल 60 लड़कियां ट्रॉयल में शामिल हुई हैं. जिसमें से 14 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा.

(MP first blind woman cricket team)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.