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कृषि मंत्री कमल पटेल बोले, व्यापारी कर रहे थे कि गेँहू का स्टॉक इसलिए लगी निर्यात पर रोक, मिल सकती है बंदरगाहों पर पड़े गेंहू के निर्यात की परमीशन - बड़े कारोबारी कर रहे थे स्टॉक इसलिए लगाना पड़ा बैन

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्रीकमल पटेल ने कहा है कि कुछ उद्योगपति और व्यापारी गेंहू का स्टॉक कर रहे थे. इसी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने निर्यात बंद करने का फैसला लिया है.

mp farmers disappointed ban on wheat
बड़े कारोबारी कर रहे थे स्टॉक इसलिए लगाना पड़ा बैन
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Published : May 17, 2022, 7:37 PM IST

छिंदवाड़ा। भारत सरकार के गेहूं निर्यात पर रोक लगाने के मामले में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने बयान दिया है. कृषि मंत्री ने कहा है कि कुछ उद्योगपति और व्यापारी गेंहू का स्टॉक कर रहे थे. इसी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने निर्यात बंद करने का फैसला लिया है. केंद्र के इस फैसले से मध्य प्रदेश के किसानों और व्यापारियों को घाटा हो रहा है. व्यापारियों का 5 हजार ट्रक गेंहू बंदरगाहों पर फंस गया है साथ ही पूर्व में किए गए उनके एग्रीमेंट भी संकट में आ गए हैं. जिसके विरोध में व्यापारियों ने प्रदेश की मंडियों में दो दिन तक कारोबार बंद रखने का फैसला लिया है.

बड़े कारोबारी कर रहे थे स्टॉक इसलिए लगाना पड़ा बैन
निर्यात पर अचानक रोक लगाने से किसानों को नुकसान:
भारत सरकार ने अबतक गेहूं के निर्यात को मंजूरी दे रखी थी. जिससे विदेशों में भी गेंहू का निर्यात किया जा रहा था. इस वजह से खुले बाजार में भी किसानों को गेहूं के दाम समर्थन मूल्य से 4 सौ से 5 सौ रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा मिल रहे थे. लेकिन अचानक 2 दिन पहले केंद्र सरकार ने गेहूं का निर्यात बंद कर दिया है. जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है और अब किसानों को मजबूरी में समर्थन मूल्य ₹2015 प्रति क्विंटल पर अपना गेहूं बेचना पड़ रहा है.

उद्योगपति और व्यापारी कर रहे थे जमाखोरी: प्रदेश के कृषि मंत्री और छिंदवाड़ा के प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने कहा कि गेहूं का विदेशों को निर्यात किए जाने से किसानों को फायदा हो रहा था, लेकिन बड़े उद्योगपति और कारोबारी गेहूं का स्टॉक कर रहे थे. उन्होंने कहा कि किसानों को जितना फायदा मिलना चाहिए था मिल गया. इसके बाद उद्योगपतियों और कारोबारियों द्वारा की जा रही गेहूं की जमाखोरी को रोकने के लिए निर्यात बंद करने का फैसला लिया गया है.

बंदरगाहों पर खड़े ट्रकों में भरे गेहूं को मिलेगी निर्यात की मंजूरी:

मध्य प्रदेश की सबसे अधिक गेहूं की खेप बंदरगाहों पर अटक गई है. बंदरगाहों पर गेहूं से लदे देशभर के 7 हजार ट्रक खड़े हैं. अब प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि जितना भी गेहूं निर्यात होने के लिए बंदरगाह पर पहुंच गया है, उस सभी को केंद्र सरकार की अनुमति लेकर निर्यात की अनुमति दी जाएगी. छिंदवाड़ा में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कृषि मंत्री कमल पटेल ने आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश से जो निर्यात के लिए गेहूं गया था, उसमें से कुल 5 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए पहुंचा है. बाकी व्यापारियों ने उस गेहूं को रोक दिया था. जिससे कालाबाजारी की आशंका बढ़ रही थी.

गेहूं खरीदी की तारीख बढ़ी: गेहूं निर्यात होने से निजी कंपनियां ज्यादा दामों में गेहूं खरीद रही थी. इसलिए मंडियों में 2300 सौ से 2400 रूपए प्रति क्विंटल तक गेहूं बिक रहा था, जबकि मध्य प्रदेश सरकार समर्थन मूल्य में 2015 रूपए प्रति क्विंटल में गेहूं खरीद रही है. अब केंद्र सरकार ने गेहूं का निर्यात रोक दिया है. जिसकी वजह से गेहूं के दाम में गिरावट आ रही है. प्रदेश में पहले समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी करने की तिथि 15 मई थी, लेकिन तय खरीदी का टारगेट पूरा नहीं होने की वजह से अब 31 मई तक गेहूं खरीदी की जाएगी. सरकार को उम्मीद है कि केंद्र के फैसले से गेहूं की खरीदी में तेजी आएगी, लेकिन निर्यात बंद होने से किसानों को प्रति क्विंटल पर 300 से 400 रूपए का घाटा होगा. मजबूरी में किसानों को अब अपना गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचना पड़ेगा.

1 लाख 22 हजार क्विंटल गेहूं की हुई खरीदी: छिंदवाड़ा के जिला आपूर्ति अधिकारी आरपी शर्मा ने बताया कि जिले में 1774 किसानों द्वारा 1 लाख 22 हजार 737 क्विंटल गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी हुई है, जबकि पिछले साल इसी समय तक 22 लाख 88 हजार क्विंटल गेहूं की खरीदी की जा चुकी थी. अधिकारी का कहना है कि बाजार भाव ज्यादा मिल रहे थे. इसलिए किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं नहीं बेच रहे थे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा है कि अब सरकार ने निर्यात बंद कर दिया है. इसके चलते गेहूं खरीदी केंद्रों में गेंहूं की अच्छी आवक होने की उम्मीद है.

छिंदवाड़ा। भारत सरकार के गेहूं निर्यात पर रोक लगाने के मामले में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने बयान दिया है. कृषि मंत्री ने कहा है कि कुछ उद्योगपति और व्यापारी गेंहू का स्टॉक कर रहे थे. इसी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने निर्यात बंद करने का फैसला लिया है. केंद्र के इस फैसले से मध्य प्रदेश के किसानों और व्यापारियों को घाटा हो रहा है. व्यापारियों का 5 हजार ट्रक गेंहू बंदरगाहों पर फंस गया है साथ ही पूर्व में किए गए उनके एग्रीमेंट भी संकट में आ गए हैं. जिसके विरोध में व्यापारियों ने प्रदेश की मंडियों में दो दिन तक कारोबार बंद रखने का फैसला लिया है.

बड़े कारोबारी कर रहे थे स्टॉक इसलिए लगाना पड़ा बैन
निर्यात पर अचानक रोक लगाने से किसानों को नुकसान: भारत सरकार ने अबतक गेहूं के निर्यात को मंजूरी दे रखी थी. जिससे विदेशों में भी गेंहू का निर्यात किया जा रहा था. इस वजह से खुले बाजार में भी किसानों को गेहूं के दाम समर्थन मूल्य से 4 सौ से 5 सौ रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा मिल रहे थे. लेकिन अचानक 2 दिन पहले केंद्र सरकार ने गेहूं का निर्यात बंद कर दिया है. जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है और अब किसानों को मजबूरी में समर्थन मूल्य ₹2015 प्रति क्विंटल पर अपना गेहूं बेचना पड़ रहा है.

उद्योगपति और व्यापारी कर रहे थे जमाखोरी: प्रदेश के कृषि मंत्री और छिंदवाड़ा के प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने कहा कि गेहूं का विदेशों को निर्यात किए जाने से किसानों को फायदा हो रहा था, लेकिन बड़े उद्योगपति और कारोबारी गेहूं का स्टॉक कर रहे थे. उन्होंने कहा कि किसानों को जितना फायदा मिलना चाहिए था मिल गया. इसके बाद उद्योगपतियों और कारोबारियों द्वारा की जा रही गेहूं की जमाखोरी को रोकने के लिए निर्यात बंद करने का फैसला लिया गया है.

बंदरगाहों पर खड़े ट्रकों में भरे गेहूं को मिलेगी निर्यात की मंजूरी:

मध्य प्रदेश की सबसे अधिक गेहूं की खेप बंदरगाहों पर अटक गई है. बंदरगाहों पर गेहूं से लदे देशभर के 7 हजार ट्रक खड़े हैं. अब प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि जितना भी गेहूं निर्यात होने के लिए बंदरगाह पर पहुंच गया है, उस सभी को केंद्र सरकार की अनुमति लेकर निर्यात की अनुमति दी जाएगी. छिंदवाड़ा में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कृषि मंत्री कमल पटेल ने आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश से जो निर्यात के लिए गेहूं गया था, उसमें से कुल 5 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए पहुंचा है. बाकी व्यापारियों ने उस गेहूं को रोक दिया था. जिससे कालाबाजारी की आशंका बढ़ रही थी.

गेहूं खरीदी की तारीख बढ़ी: गेहूं निर्यात होने से निजी कंपनियां ज्यादा दामों में गेहूं खरीद रही थी. इसलिए मंडियों में 2300 सौ से 2400 रूपए प्रति क्विंटल तक गेहूं बिक रहा था, जबकि मध्य प्रदेश सरकार समर्थन मूल्य में 2015 रूपए प्रति क्विंटल में गेहूं खरीद रही है. अब केंद्र सरकार ने गेहूं का निर्यात रोक दिया है. जिसकी वजह से गेहूं के दाम में गिरावट आ रही है. प्रदेश में पहले समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी करने की तिथि 15 मई थी, लेकिन तय खरीदी का टारगेट पूरा नहीं होने की वजह से अब 31 मई तक गेहूं खरीदी की जाएगी. सरकार को उम्मीद है कि केंद्र के फैसले से गेहूं की खरीदी में तेजी आएगी, लेकिन निर्यात बंद होने से किसानों को प्रति क्विंटल पर 300 से 400 रूपए का घाटा होगा. मजबूरी में किसानों को अब अपना गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचना पड़ेगा.

1 लाख 22 हजार क्विंटल गेहूं की हुई खरीदी: छिंदवाड़ा के जिला आपूर्ति अधिकारी आरपी शर्मा ने बताया कि जिले में 1774 किसानों द्वारा 1 लाख 22 हजार 737 क्विंटल गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी हुई है, जबकि पिछले साल इसी समय तक 22 लाख 88 हजार क्विंटल गेहूं की खरीदी की जा चुकी थी. अधिकारी का कहना है कि बाजार भाव ज्यादा मिल रहे थे. इसलिए किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं नहीं बेच रहे थे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा है कि अब सरकार ने निर्यात बंद कर दिया है. इसके चलते गेहूं खरीदी केंद्रों में गेंहूं की अच्छी आवक होने की उम्मीद है.

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