भोपाल। देश भर में कोरोना महामारी की तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है. लोगों को जागरुक करने के साथ टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. कोरोना गाइड लाइन का पालन करने के लिए सख्त कदम भी उठाए जा रहे हैं. हालांकि, इन हालातों में मध्य प्रदेश (Corona Alert MP) में कई ऐसी तस्वीरें भी सामने आ रही है जिसे देखकर लगता है कि कुछ लोग ही कोरोना की लड़ाई को कमजोर करने में लगे हैं. मध्य प्रदेश में बीते माह आम जिंदगी पटरी पर लौटने पर सारे प्रतिबंधों को हटा दिया गया था. स्कूल पूरी क्षमता के साथ खोल दिए गए थे तो आयोजनों पर लगी पाबंदियां खोल दी गई थी. इस बीच, अचानक कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट की दस्तक ने सरकार को अपने फैसले बदलने को मजबूर दिया था. यही कारण है कि विद्यालयों में बच्चों की संख्या को निर्धारित कर दिया गया है. आयोजनों पर खास नजर है और राज्य सरकार लगातार लोगों से कोरोना गाइड लाइन का पालन करने की हिदायत दे रही है.
आमतौर पर मान्यता है कि समाज के रोल मॉडल को देखकर लोग आचरण अपनाते हैं. जब रोल मॉडल ही नियमों को किनारे रख दे तो आमजन से अपेक्षा बेमानी हो जाती है. राज्य में बीते दिनों दो बड़े आयोजन हुए, खजुराहो में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और ग्वालियर में राष्ट्रीय जल सम्मलेन. इन दोनों आयोजनों की जो तस्वीरें सामने आ रही है, वह बताती है कि यहां कोरोना की गाइड लाइन का पालन करना लाजिमी नहीं समझा.
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ग्वालियर के जल सम्मेलन के मंच पर देश के कई बड़े राजनेता से लेकर समाज में बदलाव लाने की पैरवी करने वाले नजर आए, मगर अधिकांश के चेहरे पर न तो मास्क था और न ही उन्होंने कोरोना गाइड लाइन का पालन किया. यही कारण था कि खुद मास्क लगाने वाले केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मास्क लगाए कार्यक्रम में पहुॅंचे, साथ ही वहां मौजूद लोगों को मास्क का वितरण भी किया. वहां मौजूद लोगों से सिधिया ने आह्वान किया कि कोविड-19 की तीसरी संभावित लहर को रोकने के लिये सभी लोग मास्क लगाएँ. साथ ही प्रयास करें कि कोई भी टीकाकरण से वंचित न रहे.
ठीक ऐसा ही नजारा खजुराहो के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में देखने को मिला, जब मंच पर चंद लोग ही थे, जो मास्क लगाए नजर आए लेकिन कोरोना गाइड लाइन का पालन करने में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई.
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एक प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि वाहन सवारों के मास्क न लगाने, कार का सीट बेल्ट न लगाने पर जुमार्ना ठोक दिया जाता है, सरकार का रवैया सख्त भी है, मगर बड़े लोगों पर कार्रवाई करने का साहस उनके भीतर नहीं है. अगर वे ऐसा करने की कोशिश करेंगे तो उनके साथ कैसा बर्ताव होगा, इसे कोई नहीं जान सकता. यही कारण है कि राजनीतिक से लेकर सामाजिक कार्यक्रमों में भीड़ आ रही है और कोरोना की गाइड लाइन का पालन नहीं हो रहा है.
सामाजिक कार्यकर्ता और कोरोना से बचने के लिए कोरोना गाइड लाइन का पालन करने के लिए जनजागृति अभियान चलाने वाली रोली शिवहरे का कहना है कि यह बात सही है कि समाज के रोल मॉडल से ही लोग सीख लेते हैं. अगर यही लोग कोरेाना जैसी महामारी के दौरान आदर्श प्रस्तुत नहीं करेंगे, तो समाज के बड़े वर्ग के बीच जागृति लाना मुश्किल हो जाता है.
इनपुट - आईएएनएस
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