ETV Bharat / city

Mp High Court news: 5 आईपीएस अधिकारियों को सिलेक्शन ग्रेड का लाभ देने के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक, मामले की अंतिम सुनवाई जल्द

13 साल की सर्विस पूर्ण करने पर आईपीएस अधिकारी को सिलेक्शन ग्रेड दिया जाता है. प्रदेश के 5 आईपीएस ऑफिसर्स को सेलेक्शन ग्रेड का लाभ 1 जनवरी 2010 में दिया गया, जबकि उन्हें यह लाभ 1 जनवरी 2008 से मिलना चाहिए था.

hc stay on selection grade benefits
Mp High Court news
author img

By

Published : Jul 1, 2022, 9:18 PM IST

जबलपुर। प्रदेश कैडर के पांच आईपीएस अधिकारियों को केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने 1 जनवरी 2008 से सिलेक्शन ग्रेड का लाभ दिये जाने के आदेश पारित किये थे. जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने कैट के आदेश पर स्टे आदेश पारित करते हुए याचिका पर अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किये हैं.

मध्य प्रदेश कैडर 1995 के आईपीएस अधिकारी जयदीप प्रसाद,चंचल शेखर, मीनाक्षी शर्मा,योगेश देशमुख तथा वेंकटेश्वर राव की तरफ से कैट में दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि 13 साल की सर्विस पूर्ण करने पर आईपीएस अधिकारी को सिलेक्शन ग्रेड दिया जाता है. उन्हें सेलेक्शन ग्रेड का लाभ 1 जनवरी 2010 में दिया गया, जबकि उन्हे यह लाभ 1 जनवरी 2008 से मिलना चाहिए था. इस संबंध में उन्होने सरकार को अभ्यावेदन भी दिया था. सरकार ने काफी देरी से किसी भी कारण कर उल्लेख न करते हुए अभ्यावेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पद रिक्त नहीं थे.


याचिका में कहा गया था कि इसके बाद के अधिकारियों को निर्धारित समय पर सिलेक्शन ग्रेड का लाभ दिया गया. जिसके कारण जूनियर अधिकारियों का वेतन उनसे अधिक हो गया. निर्धारित समय में सिलेक्शन ग्रेड का लाभ नहीं मिलने के कारण उनकी पदोन्नति एडीजी पद नहीं हो रही है. सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश हवाला देते हुए याचिका में कहा गया था कि सरकार की गलती का नुकसान लोक सेवक को नहीं होना चाहिए. कैट ने याचिका की सुनवाई करते हुए 11 नवम्बर 2020 में पारित अपने आदेश में याचिकाकर्ता आईपीएस अधिकारियों को 1 जनवरी 2008 से सिलेक्शन ग्रेड का लाभ दिये जाने के निर्देश जारी किए हैं. कैट के इस आदेश को सरकार द्वारा लगभग डेढ साल बाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इसपर स्टे ऑर्डर देते हुए मामले की अंतिम सुनवाई के निर्देश दिए हैं.

जबलपुर। प्रदेश कैडर के पांच आईपीएस अधिकारियों को केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने 1 जनवरी 2008 से सिलेक्शन ग्रेड का लाभ दिये जाने के आदेश पारित किये थे. जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने कैट के आदेश पर स्टे आदेश पारित करते हुए याचिका पर अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किये हैं.

मध्य प्रदेश कैडर 1995 के आईपीएस अधिकारी जयदीप प्रसाद,चंचल शेखर, मीनाक्षी शर्मा,योगेश देशमुख तथा वेंकटेश्वर राव की तरफ से कैट में दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि 13 साल की सर्विस पूर्ण करने पर आईपीएस अधिकारी को सिलेक्शन ग्रेड दिया जाता है. उन्हें सेलेक्शन ग्रेड का लाभ 1 जनवरी 2010 में दिया गया, जबकि उन्हे यह लाभ 1 जनवरी 2008 से मिलना चाहिए था. इस संबंध में उन्होने सरकार को अभ्यावेदन भी दिया था. सरकार ने काफी देरी से किसी भी कारण कर उल्लेख न करते हुए अभ्यावेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पद रिक्त नहीं थे.


याचिका में कहा गया था कि इसके बाद के अधिकारियों को निर्धारित समय पर सिलेक्शन ग्रेड का लाभ दिया गया. जिसके कारण जूनियर अधिकारियों का वेतन उनसे अधिक हो गया. निर्धारित समय में सिलेक्शन ग्रेड का लाभ नहीं मिलने के कारण उनकी पदोन्नति एडीजी पद नहीं हो रही है. सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश हवाला देते हुए याचिका में कहा गया था कि सरकार की गलती का नुकसान लोक सेवक को नहीं होना चाहिए. कैट ने याचिका की सुनवाई करते हुए 11 नवम्बर 2020 में पारित अपने आदेश में याचिकाकर्ता आईपीएस अधिकारियों को 1 जनवरी 2008 से सिलेक्शन ग्रेड का लाभ दिये जाने के निर्देश जारी किए हैं. कैट के इस आदेश को सरकार द्वारा लगभग डेढ साल बाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इसपर स्टे ऑर्डर देते हुए मामले की अंतिम सुनवाई के निर्देश दिए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.