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माफिया से कैसे निपटें वनकर्मी! बंदूक मिली, लेकिन चलाने का अधिकार नहीं, 8 वीं बार नियमों में बदलाव का प्रस्ताव भेजने की तैयारी में वन विभाग

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Published : May 16, 2022, 8:06 PM IST

सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन सरकार की बनाया गया नियम ही कुछ ऐसा है कि वन कर्मियों को बंदूक होते हुए भी शिकारियों पर फायरिंग करने का अधिकार नहीं है. ऐसा तब है जब प्रदेश में वन माफिया बेखौफ है. हाल ही में शिकारियों ने 3 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी है.

forest workers dont have right to fire guns
वन कर्मियों को बंदूक चलाने का अधिकार नहीं

भोपाल। मध्यप्रदेश में वन कर्मियों का यदि कभी शिकारियों से आमना सामना हो जाए तो वे बंदूक पास होते हुए भी उनपर काबू पाने के लिए फायर नहीं कर सकते. सुनकर थोड़ा अजीब लगा होगा , लेकिन सरकार की बनाया गया नियम ही कुछ ऐसा है कि वन कर्मियों को बंदूक होते हुए भी शिकारियों पर फायरिंग करने का अधिकार नहीं है. ऐसा तब है जब प्रदेश में वन माफिया बेखौफ है. हाल ही में शिकारियों ने 3 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी है. इससे पहले भी 2021 में वन कर्मियों पर हमले की 27 घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन शासन को कई बार प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद नियम नहीं बदला गया.

7 बार भेजा जा चुका है प्रस्ताव: गुना में 3 पुलिसकर्मियों की शिकारियों द्वारा फायरिंग कर हत्या किए जाने का मामला कोई पहला केस नहीं है. इससे पहले भी ऐसा हादसे सामने आ चुके हैं. बावजूद सरकार वन कर्मियों को बंदूक चलाने का अधिकार नहीं दे पाई है. वन मुख्यालय एक, दो नहीं बल्कि 7 बार शासन को इस नियम में संशोधन का प्रस्ताव भेज चुका है. गुना की घटना के बाद एक बार फिर प्रस्ताव भेजे जाने की वन मुख्यालय ने तैयारी की है, लेकिन क्या इसका कुछ नतीजा निकल पाएगा. इसे लेकर कोई भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है.

वनकर्मी लगातार हो रहे हैं वन माफिया और शिकारियों के हमले का शिकार: प्रदेश के वन क्षेत्रों में खनन माफिया, शिकारियों, अवैध लड़की कटाई करने वाले अपराधियों द्वारा लगातार वनकर्मियों पर हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं. साल 2021 में ही वन कर्मियों पर हमले की 27 घटनाएं सामने आईं हैं.
17 अप्रैल- रायसेन में सागौन की लकड़ी जब्त करने पहुंचे वन अमले पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया. वन अमले को लाठी-डंडों से पीटा गया. इसमें चार वन कर्मचारी घायल हुए, एक को गंभीर चोटें भी आईं.
7 जनवरी- रेत माफियाओं ने ग्वालियर-झांसी हाईवे पर रेत माफिया वन विभाग की टीम पर हमला कर रेत से भरी ट्रैक्टर ट्राॅली छीनकर ले गए. हमले में फॉरेस्ट विभाग का एक सिपाही घायल हो गया.
30 जनवरी- श्योपुर में 3 वनरक्षकों की टीम ने अवैध पत्थर से भरी एक ट्राॅली पकड़ी, लेकिन माफिया फॉरेस्ट गार्ड पर हमलाकर उसे छुड़ा ले गए.
31 अक्टूबर- श्योपुर में फूलदा नदी से अवैध रेत उत्खनन कर रहे 2 ट्रैक्टरों को वन विभाग की टीम ने हीरापुर चौकी से पकड़ा. रेत माफिया चौकी पर हमला कर ट्राॅली छुड़ाकर ले गए.

कम नहीं हो रहे वन्य प्राणियों के शिकार के मामले: आंकड़ो के हिसाब से देखें तो वन अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. साल 2021 में 52 हजार 205 वन अपराध दर्ज किए गए.इसमें 40 हजार से ज्यादा वनों की अवैध कटाई, अवैध परिवहन के 1397, अतिक्रमण के 1576, अवैध उत्खनन के 722 प्रकरण दर्ज किए गए.
- साल 2021 में 376 वन प्राणियों का शिकार किया गया, जबकि साल 2020 में 498 और 2019 में 266 वन्य प्राणियों की मौत शिकार किए जाने की वजह हुई.
- मध्य प्रदेश में आरक्षित वन क्षेत्र 61 हजार 886 वर्ग किलोमीटर का है.
-संरक्षित वन क्षेत्र 31 हजार 98 वर्ग किलोमीटर है. इस तरह प्रदेश का कुल वन क्षेत्र 94 हजार 689 वर्ग किलोमीटर का है. जिसकी सुरक्षा वन विभाग और फॉरेस्ट गार्ड्स के हवाले है जो आए दिन लकड़ी माफिया, रेत माफिया, खनन माफिया का शिकार होते रहते हैं.

7 बार भेजा जा चुका है नियमों में संशोधन का प्रस्ताव: खास बात यह है कि इतना बड़ा वन क्षेत्र होने और वन कर्मियों के माफिया का निशाना बनने के बावजूद वन कर्मी सिर्फ डंडे से इसकी और अपनी दोनों की सुरक्षा करते हैं. वन माफिया पर काबू पाने वाले लाठी डंडों के भरोसे हैं, जबकि माफिया हथियारों से लैस होते हैं. आमना-सामना होने की स्थिति में वनकर्मियों को इन्हीं डंडों के बल पर ही माफिया से निपटना होता है.
- प्रदेश में 19 हजार से ज्यादा वनकर्मियों को 3 हजार 157 बंदूक और 286 रिवाल्वर दी गई हैं, लेकिन इन्हें चलाने के अधिकार नहीं दिए गए हैं.
- इसके लिए कई बार वन मुख्यालय द्वारा सरकार को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन इसे हर बार यह कहकर निरस्त कर दिया गया कि इससे वनकर्मी निरंकुश हो जाएंगे.
-गुना की घटना के बाद वन मुख्यालय एक बार फिर इस तरह का प्रस्ताव भेजने पर विचार कर रहा है.

वन मंत्री दे रहे हैं विचार किए जाने का आश्वासन: वन कर्मियों के शिकारियों का निशाना बनने और लाठी डंडे से इतने बड़े वन क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर किए जाने वाले उपायों को लेकर वन मंत्री विजय शाह का कहना है कि-

वन क्षेत्रों में अपराध रोकने के कई कड़े नियम हैं. इसके अलावा विभाग की तरफ से प्रस्ताव आने पर वनकर्मियों को और क्या सुविधाएं और संसाधन दिए जा सकते हैं इस पर विचार किया जाएगा.

विजय शाह, वन मंत्री, मप्र

भोपाल। मध्यप्रदेश में वन कर्मियों का यदि कभी शिकारियों से आमना सामना हो जाए तो वे बंदूक पास होते हुए भी उनपर काबू पाने के लिए फायर नहीं कर सकते. सुनकर थोड़ा अजीब लगा होगा , लेकिन सरकार की बनाया गया नियम ही कुछ ऐसा है कि वन कर्मियों को बंदूक होते हुए भी शिकारियों पर फायरिंग करने का अधिकार नहीं है. ऐसा तब है जब प्रदेश में वन माफिया बेखौफ है. हाल ही में शिकारियों ने 3 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी है. इससे पहले भी 2021 में वन कर्मियों पर हमले की 27 घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन शासन को कई बार प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद नियम नहीं बदला गया.

7 बार भेजा जा चुका है प्रस्ताव: गुना में 3 पुलिसकर्मियों की शिकारियों द्वारा फायरिंग कर हत्या किए जाने का मामला कोई पहला केस नहीं है. इससे पहले भी ऐसा हादसे सामने आ चुके हैं. बावजूद सरकार वन कर्मियों को बंदूक चलाने का अधिकार नहीं दे पाई है. वन मुख्यालय एक, दो नहीं बल्कि 7 बार शासन को इस नियम में संशोधन का प्रस्ताव भेज चुका है. गुना की घटना के बाद एक बार फिर प्रस्ताव भेजे जाने की वन मुख्यालय ने तैयारी की है, लेकिन क्या इसका कुछ नतीजा निकल पाएगा. इसे लेकर कोई भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है.

वनकर्मी लगातार हो रहे हैं वन माफिया और शिकारियों के हमले का शिकार: प्रदेश के वन क्षेत्रों में खनन माफिया, शिकारियों, अवैध लड़की कटाई करने वाले अपराधियों द्वारा लगातार वनकर्मियों पर हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं. साल 2021 में ही वन कर्मियों पर हमले की 27 घटनाएं सामने आईं हैं.
17 अप्रैल- रायसेन में सागौन की लकड़ी जब्त करने पहुंचे वन अमले पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया. वन अमले को लाठी-डंडों से पीटा गया. इसमें चार वन कर्मचारी घायल हुए, एक को गंभीर चोटें भी आईं.
7 जनवरी- रेत माफियाओं ने ग्वालियर-झांसी हाईवे पर रेत माफिया वन विभाग की टीम पर हमला कर रेत से भरी ट्रैक्टर ट्राॅली छीनकर ले गए. हमले में फॉरेस्ट विभाग का एक सिपाही घायल हो गया.
30 जनवरी- श्योपुर में 3 वनरक्षकों की टीम ने अवैध पत्थर से भरी एक ट्राॅली पकड़ी, लेकिन माफिया फॉरेस्ट गार्ड पर हमलाकर उसे छुड़ा ले गए.
31 अक्टूबर- श्योपुर में फूलदा नदी से अवैध रेत उत्खनन कर रहे 2 ट्रैक्टरों को वन विभाग की टीम ने हीरापुर चौकी से पकड़ा. रेत माफिया चौकी पर हमला कर ट्राॅली छुड़ाकर ले गए.

कम नहीं हो रहे वन्य प्राणियों के शिकार के मामले: आंकड़ो के हिसाब से देखें तो वन अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. साल 2021 में 52 हजार 205 वन अपराध दर्ज किए गए.इसमें 40 हजार से ज्यादा वनों की अवैध कटाई, अवैध परिवहन के 1397, अतिक्रमण के 1576, अवैध उत्खनन के 722 प्रकरण दर्ज किए गए.
- साल 2021 में 376 वन प्राणियों का शिकार किया गया, जबकि साल 2020 में 498 और 2019 में 266 वन्य प्राणियों की मौत शिकार किए जाने की वजह हुई.
- मध्य प्रदेश में आरक्षित वन क्षेत्र 61 हजार 886 वर्ग किलोमीटर का है.
-संरक्षित वन क्षेत्र 31 हजार 98 वर्ग किलोमीटर है. इस तरह प्रदेश का कुल वन क्षेत्र 94 हजार 689 वर्ग किलोमीटर का है. जिसकी सुरक्षा वन विभाग और फॉरेस्ट गार्ड्स के हवाले है जो आए दिन लकड़ी माफिया, रेत माफिया, खनन माफिया का शिकार होते रहते हैं.

7 बार भेजा जा चुका है नियमों में संशोधन का प्रस्ताव: खास बात यह है कि इतना बड़ा वन क्षेत्र होने और वन कर्मियों के माफिया का निशाना बनने के बावजूद वन कर्मी सिर्फ डंडे से इसकी और अपनी दोनों की सुरक्षा करते हैं. वन माफिया पर काबू पाने वाले लाठी डंडों के भरोसे हैं, जबकि माफिया हथियारों से लैस होते हैं. आमना-सामना होने की स्थिति में वनकर्मियों को इन्हीं डंडों के बल पर ही माफिया से निपटना होता है.
- प्रदेश में 19 हजार से ज्यादा वनकर्मियों को 3 हजार 157 बंदूक और 286 रिवाल्वर दी गई हैं, लेकिन इन्हें चलाने के अधिकार नहीं दिए गए हैं.
- इसके लिए कई बार वन मुख्यालय द्वारा सरकार को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन इसे हर बार यह कहकर निरस्त कर दिया गया कि इससे वनकर्मी निरंकुश हो जाएंगे.
-गुना की घटना के बाद वन मुख्यालय एक बार फिर इस तरह का प्रस्ताव भेजने पर विचार कर रहा है.

वन मंत्री दे रहे हैं विचार किए जाने का आश्वासन: वन कर्मियों के शिकारियों का निशाना बनने और लाठी डंडे से इतने बड़े वन क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर किए जाने वाले उपायों को लेकर वन मंत्री विजय शाह का कहना है कि-

वन क्षेत्रों में अपराध रोकने के कई कड़े नियम हैं. इसके अलावा विभाग की तरफ से प्रस्ताव आने पर वनकर्मियों को और क्या सुविधाएं और संसाधन दिए जा सकते हैं इस पर विचार किया जाएगा.

विजय शाह, वन मंत्री, मप्र

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