भोपाल। चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में लगातार नवाचारों की श्रृंखला में एक कदम और बढ़ाते हुए 'मेडिकल नॉलेज शेयरिंग मिशन' की शुरूआत की गई है. इस मिशन के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सकीय उपचार की नवीनतम तकनीक, नवाचारों एवं शोध के विभिन्न आयामों को मध्यप्रदेश के चिकित्सकों एवं चिकित्सा छात्रों तक पहुंचाया जायेगा. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि मिशन के अंतर्गत विभिन्न आयामों पर कार्य किया जाएगा. देश-विदेश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के साथ शिक्षा, अनुसंधान और उपचार के लिए एमओयू किये जाएंगे.
उपचार और शोध के लिए MOU: मंत्री सारंग ने बताया कि नवीनतम तकनीकों एवं गूगल तथा माइक्रोसॉफ्ट आधारित आधुनिक सॉफ्टवेयर का उपयोग चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सकीय व्यवस्था क्षेत्र में किये जाने पर कार्य किया जाएगा. शासकीय एवं निजी चिकित्सा संस्थानों जैसे शंकर नेत्रालय चैन्नई, टाटा केंसर हॉस्पिटल मुंबई, फोर्टिस गुडगाँव एवं अपोलो हॉस्पिटल के साथ सुपर स्पेशिलिटी शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में मेडिकल रोबोटिक्स के उपयोग चिकित्सा पद्धति एवं गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए चिकित्सकीय एवं शैक्षणिक आदान प्रदान किया जाएगा. अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के साथ बोनमेरो ट्रांसप्लांट एवं एमोरी यूनिवर्सिटी के साथ संक्रामक बीमारियों के उपचार एवं चिकित्सा शोध के लिए MOU किया जाएगा.
चिकित्सकों के लिए ट्रेनिंग-एक्सचेंज कार्यक्रम: सारंग ने बताया कि चिकित्सीय छात्रों एवं चिकित्सकों के लिए देश-विदेश में चिकित्सा के क्षेत्र में चल रहे नवाचारों, नवीन चिकित्सकीय विधियों-विधाओं एवं चिकित्सकीय शोध आदि विषयों पर ट्रेनिंग एवं कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. Knowledge Exchange Exposure Program अंतर्गत शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के चिकित्सा छात्रों एवं चिकित्सकों को देश-विदेश में Knowledge Exchange Exposure Visit की व्यवस्था की जायेगी. जिसके परिणामस्वरूप उनकी क्षमता वृद्धि के लिए विशिष्ट ट्रेनिंग का आयोजन किया जाएगा.
नॉलेज एक्सचेंज डिजिटल प्लेटफार्म: विश्वास सारंग ने बताया कि डिजिटल प्लेटफार्म पर देश-विदेश के चिकित्सक एक साथ होंगे. डिजिटल प्लेटफार्म विकसित कर प्रदेश के चिकित्सकों को डिजिटल प्लेटफार्म पर पंजीकृत/रजिस्ट्रेशन कर जोड़ा जाएगा. चिकित्सा क्षेत्र में किये जा रहे शोध कार्यों एवं नवाचारों को डिजिटल प्रकाशित किया जायेगा. नवीनतम चिकित्सकीय तकनीकों एवं विधाओं के संबंध में चर्चा-जानकारी के लिए ब्लॉग, डिस्कशन एवं प्रतियोगिता का प्रावधान होगा.
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डियाबेटिक रेटिनोपैथी बीमारी की प्राथमिक स्तर पर पहचान: मंत्री सारंग ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित तकनीक से मरीजों की प्राथमिक स्क्रीनिंग द्वारा जाँच एवं उपचार के क्षेत्र में कार्य किया जाएगा. डियाबेटिक रेटिनोपैथी बीमारी की प्राथमिक स्तर पर ही पहचान की जा सकेगी. गूगल द्वारा तैयार किए गए AI आधारित सॉफ्टवेयर के द्वारा रेटिना स्कैन में आँखों में डायबिटीज बीमारी के असर को प्राथमिक स्तर पर ही पहचाना जा सकता है.
गंभीर बीमारियों की प्राथमिक स्तर पर पहचान: डायबिटीज के कॉम्प्लिकेशन के रूप में होने वाले अंधत्व को रोकने में सफलता मिलेगी. इसके अतिरिक्त AI तकनीक के उपयोग से टीबी, ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर, दिल की बीमारी, कैंसर जैसे लिवर, प्रोस्ट्रेट, ब्लैडर, पेट के कैंसर, ब्रैस्ट कैंसर, बोन कैंसर एवं थाइरोइड बीमारी की प्राथमिक स्तर पर पहचान तथा AI आधारित डिजिटल पैथोलॉजी से मरीजों की जाँच के आयामों को विकसित किया जाएगा. मशीन लर्निंग एवं डेटा एनालिटिक्स के आयाम को विकसित किया जायेगा. वर्चुअल टेक्नोलॉजी आधारित VR डिवाइसेस से चिकित्सा प्रशिक्षण होगा.
मेडिकल रोबोटिक्स: मंत्री सारंग ने बताया कि मेडिकल रोबोट के अत्यंत महंगे होने के कारण विशेषज्ञ चिकित्सकों एवं चिकित्सा छात्रों को अपने अध्ययन के दौरान रोबोट पर कार्य करने का प्रशिक्षण प्राप्त नहीं हो पाता है. मेडिकल नॉलेज शेयरिंग मिशन के माध्यम से शासकीय एवं निजी क्षेत्र के चिकित्सा के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के साथ MOU कर ऑर्थोपेडिक, यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी के विभिन्न सर्जिकल प्रोसीजर में मेडिकल रोबोट के उपयोग के लिए ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी.
यूक्रेने से लौटे छात्रों को लाइब्रेरी की सुविधा: यूक्रेन से मध्यप्रदेश वापस आए छात्रों के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग लाइब्रेरी की व्यवस्था कर रहा है. क्योंकि उनकी पढ़ाई आदि के बारे में निर्णय केंद्र को लेना है, लेकिन मध्य प्रदेश का चिकित्सा शिक्षा विभाग यह कोशिश कर रहा है कि उन बच्चों को लाइब्रेरी के माध्यम से किताबें आदि मुहैया कराई जा सके.