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प्रदेश के अस्पतालों में कोरोना वॉरियर्स की कमी, कठिन हालातों में काम कर रहा नर्सिंग स्टाफ - कठिन हालातों में काम कर रहा नर्सिंग स्टाफ

कोरोना मरीजों की देखरेख का सबसे ज्यादा जिम्मा नर्सों के पास है. लेकिन प्रदेश में सबसे ज्यादा कमी भी नर्सों की है. हालांकि इस मुश्किल दौर में नर्सें अपना फर्ज निभाने में जुटी हैं. बावजूद इसके उन्हे पर्याप्त वेतन भी नहीं मिल रहा. देखिए कोरोना वॉरियर्स की यह स्पेशल रिपोर्ट...

BHOPAL NEWS
कोरोना वॉरियर्स की कमी
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Published : Aug 7, 2020, 7:21 PM IST

भोपाल। कोरोना दुनिया के लिए मानवीय त्रासदी लेकर आया है. एक ऐसी त्रासदी जो पूरे विश्व को प्रभावित कर रही है. लेकिन इस त्रासदी के बीच मेडिकल स्टाफ ढाल बनकर खड़ा है. मेडिकल स्टाफ में सबसे ज्यादा मरीजों की देखरेख की जिम्मेदारियां नर्सों की है. जो इस वक्त अपना हर फर्ज और हर रिश्ता भूलकर, केवल मानवता का धर्म निभा रही है.

प्रदेश के अस्पतालों में कोरोना वॉरियर्स की कमी

मेडिकल लाइन में नर्स ही वो शख्स हैं जिसके संपर्क में मरीज सबसे पहले आता है. अगर डॉक्टर की टीम में नर्स ना हो तो उन्हें भी काम करने में कठिनाई हो जाती है. मरीज के प्राथमिक उपचार से लेकर बड़ी से बड़ी सर्जरी में इनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

आठ से दस घंटे पीपीई किट पहनकर काम करती है नर्से
आठ से दस घंटे पीपीई किट पहनकर काम करती है नर्से

कोरोना महामारी के दौर में खुद की परवाह न करते हुए फ्रंट लाइन कोरोना योद्धा बनकर नर्सें पिछले चार-पांच महीने से लगातार मरीजों की सेवा में जुटी हैं. इस दौरान कई नर्से भी कोरोना की चपेट में आ गई. पर इन्होंने हार नहीं मानी और कोरोना वायरस के सामने डटकर खड़े होकर अपना फर्ज निभाया.

दिन-रात मरीजों की देखरेख कर रही नर्सें
दिन-रात मरीजों की देखरेख कर रही नर्सें

प्रदेश में नर्सों की कमी

राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल की बात करें तो यहां अभी कोरोना के लगभग 500 मरीजों का इलाज चल रहा है. जबकि मेडिकल स्टाफ की बात करें तो अभी यहां लगभग 500 के आस-पास ही नर्सिंग स्टाफ है. जबकि करीब 550 नर्सों की पोस्ट खाली है. यही हाल राजधानी भोपाल के लगभग सभी बड़े अस्पतालों में नर्सों की कमी भी है. जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में भी नर्सों की कमी है. जिसके चलते आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

कठिन हालातों में काम कर रहा नर्सिंग स्टाफ
कठिन हालातों में काम कर रहा नर्सिंग स्टाफ

नहीं मिल रहा पूरा वेतन

जिस पीपीई किट को पहनने के बाद हवा भी नहीं लगती, उसे पहनकर दस-दस घंटे से भी ज्यादा वक्त तक पहनकर नर्से अपनी ड्यूटी कर रही हैं. बावजूद इसके उन्हें वेतन तक नहीं मिल रहा. मध्यप्रदेश नर्सिंग एसोसिएशन के संभागीय अध्यक्ष धनराज नागर कहते है कि यह बेहद मुश्किल दौर है. एक-एक नर्स कम से कम 15 से 20 मरीजों की देखरेख कर रही हैं. लेकिन इतनी जिम्मेदारी के बाद भी इन नर्सों को उनका पूरा हक नहीं मिल रहा. ना केवल राजधानी भोपाल बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में ही नर्सों को वेतनमान की समस्या से जूझना पड़ रहा है. धनराज नागर ने कहा कि हम लगातार सरकार का ध्यान इस ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं पर अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है.

खास बात है कि कोरोना वॉरियर्स यह नर्से न केवल कोविड के मरीजों की देखरेख में जुटी हैं, बल्कि अन्य बीमारियों के भर्ती मरीजों की भी देखभाल का जिम्मा भी इन्हीं को मिला है. जो पूरी शिद्दत और ईमानदारी से अपना फर्ज निभा रही हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि कोरोना के इस मुश्किल दौर में भी सरकार इन नर्सों के प्रति अपना फर्ज निभाने से क्यों भाग रही है.

भोपाल। कोरोना दुनिया के लिए मानवीय त्रासदी लेकर आया है. एक ऐसी त्रासदी जो पूरे विश्व को प्रभावित कर रही है. लेकिन इस त्रासदी के बीच मेडिकल स्टाफ ढाल बनकर खड़ा है. मेडिकल स्टाफ में सबसे ज्यादा मरीजों की देखरेख की जिम्मेदारियां नर्सों की है. जो इस वक्त अपना हर फर्ज और हर रिश्ता भूलकर, केवल मानवता का धर्म निभा रही है.

प्रदेश के अस्पतालों में कोरोना वॉरियर्स की कमी

मेडिकल लाइन में नर्स ही वो शख्स हैं जिसके संपर्क में मरीज सबसे पहले आता है. अगर डॉक्टर की टीम में नर्स ना हो तो उन्हें भी काम करने में कठिनाई हो जाती है. मरीज के प्राथमिक उपचार से लेकर बड़ी से बड़ी सर्जरी में इनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

आठ से दस घंटे पीपीई किट पहनकर काम करती है नर्से
आठ से दस घंटे पीपीई किट पहनकर काम करती है नर्से

कोरोना महामारी के दौर में खुद की परवाह न करते हुए फ्रंट लाइन कोरोना योद्धा बनकर नर्सें पिछले चार-पांच महीने से लगातार मरीजों की सेवा में जुटी हैं. इस दौरान कई नर्से भी कोरोना की चपेट में आ गई. पर इन्होंने हार नहीं मानी और कोरोना वायरस के सामने डटकर खड़े होकर अपना फर्ज निभाया.

दिन-रात मरीजों की देखरेख कर रही नर्सें
दिन-रात मरीजों की देखरेख कर रही नर्सें

प्रदेश में नर्सों की कमी

राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल की बात करें तो यहां अभी कोरोना के लगभग 500 मरीजों का इलाज चल रहा है. जबकि मेडिकल स्टाफ की बात करें तो अभी यहां लगभग 500 के आस-पास ही नर्सिंग स्टाफ है. जबकि करीब 550 नर्सों की पोस्ट खाली है. यही हाल राजधानी भोपाल के लगभग सभी बड़े अस्पतालों में नर्सों की कमी भी है. जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में भी नर्सों की कमी है. जिसके चलते आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

कठिन हालातों में काम कर रहा नर्सिंग स्टाफ
कठिन हालातों में काम कर रहा नर्सिंग स्टाफ

नहीं मिल रहा पूरा वेतन

जिस पीपीई किट को पहनने के बाद हवा भी नहीं लगती, उसे पहनकर दस-दस घंटे से भी ज्यादा वक्त तक पहनकर नर्से अपनी ड्यूटी कर रही हैं. बावजूद इसके उन्हें वेतन तक नहीं मिल रहा. मध्यप्रदेश नर्सिंग एसोसिएशन के संभागीय अध्यक्ष धनराज नागर कहते है कि यह बेहद मुश्किल दौर है. एक-एक नर्स कम से कम 15 से 20 मरीजों की देखरेख कर रही हैं. लेकिन इतनी जिम्मेदारी के बाद भी इन नर्सों को उनका पूरा हक नहीं मिल रहा. ना केवल राजधानी भोपाल बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में ही नर्सों को वेतनमान की समस्या से जूझना पड़ रहा है. धनराज नागर ने कहा कि हम लगातार सरकार का ध्यान इस ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं पर अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है.

खास बात है कि कोरोना वॉरियर्स यह नर्से न केवल कोविड के मरीजों की देखरेख में जुटी हैं, बल्कि अन्य बीमारियों के भर्ती मरीजों की भी देखभाल का जिम्मा भी इन्हीं को मिला है. जो पूरी शिद्दत और ईमानदारी से अपना फर्ज निभा रही हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि कोरोना के इस मुश्किल दौर में भी सरकार इन नर्सों के प्रति अपना फर्ज निभाने से क्यों भाग रही है.

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