भोपाल। मंगला गौरी व्रत का आज विशेष महत्व है, पंचांग के अनुसार पावन मास सावन चल रहा है, जो बेहद लाभकारी है, आज के दिन यह व्रत महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य के लिए रखती है, इस व्रत को रखने से दांपत्य जीवन में हमेशा प्रेम बना रहता है, खास तौर पर जो महिलाएं संतान की प्राप्ति चाहती है, उन महिलाओं के लिए मंगला गौरी व्रत बेहद लाभकारी होता है.
मंगला गौरी व्रत और पूजा की विधि
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र पहनना चाहिए.
एक साफ लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं, उस पर मां गौरी की प्रतिमा स्थापित करें.
मां को वस्त्र, सुहाग की सामग्री, 16 श्रृंगार, 16 चूडियां, 16 सूखे मेवे, नारियल, फल, इलायची, लौंग, सुपारी और मिठाई चढ़ाएं
व्रत का संकल्प करें और आटे से बना दीप जलाए.
धूप, नैवेद्य फल-फूल से मां गौरी की पूजा करें.
मां मंगला गौरी की आरती करें.
मंगला गौरी व्रत की धार्मिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी काफी खूबसूरत थी और उसके पास काफी संपत्ति थी। लेकिन संतान न होने के कारण वे दोनों काफी दु:खी रहा करते थे. हालांकि ईश्वर की कृपा से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वह अल्पायु था. उसे यह शाप मिला था कि 16 वर्ष की उम्र में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी, संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई जिसकी माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी.
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मां गौरी के इस व्रत के चलते उस महिला की कन्या को आशीर्वाद मिला था कि वह कभी विधवा नहीं हो सकती. कहते हैं कि अपनी माता के इसी व्रत के प्रताप से धरमपाल की बहु को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई और उसके पति को 100 वर्ष की लंबी आयु प्राप्त हुई. तबसे ही मंगला गौरी व्रत की शुरुआत मानी गई है. मान्यता है कि यह व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति तो होती ही है साथ ही दांपत्य जीवन में प्रेम भी अथाह होता है.