धार। कारम नदी पर बांध निर्माण में हुए भ्रष्टाचार का यह पहला मामला नहीं है. कैग अपनी रिपोर्ट में पहले ही मध्य प्रदेश के बांधों पर आपत्ति उठा चुकी है. कैग की रिपोर्ट के जवाब में सरकार ने बताया था कि, राज्य बांध सुरक्षा संगठन के निर्देशों के तहत सितंबर 2020 में 25 बांधों की आपात कालीन कार्य योजना बनाई गई है, लेकिन कैग ने इस रिपोर्ट को नामंजूर किया था. CAG Report on MP Dam
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कारम डेम में आपदा नियंत्रण में सहयोग देने वाले पोकेलेन मशीनों के ड्राइवर व सहायकों का सम्मान समारोह। #Bhopal https://t.co/ePrMxE6djZ
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) August 17, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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कैग ने कब-कब उठाए सवाल: कैग ने अपनी रिपोर्ट में बांधों की स्थिति पर कई बार सवाल उठाए हैं. मंदसौर में चंबल नदी पर बने गांधी सागर बांध में 2019 में पानी का रिसाव हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया था कि, बांध के डाउन स्ट्रीम में गहरे गड्ढे हो गए हैं. गांधी सागर बांध कमजोर हो गया है, इसके चलते लाखों की आबादी पर खतरा मंडरा रहा है. मध्य प्रदेश में 94 प्रतिशत बड़े बांधों की इमरजेंसी प्लान ही नहीं बनाया गया. रिपोर्ट में बताया गया कि, प्रदेश के 453 बड़े बांधों में से महज 25 बांधों की ही इमरजेंसी प्लानिंग बनाई गई है. Madhya pradesh Dam
कैग की रिपोर्ट में बड़े खुलासे: प्रदेश के 165 बड़े और 353 छोटे पुलों का दो-तीन साल तक निरीक्षण नहीं हुआ है. बांधों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी भी तैनात नहीं किए गए. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वर्ष 2016 से 2018 तक 119 बड़े पुलों का निरीक्षण नहीं किया गया. कैग की रिपोर्ट में बताया गया था कि, जल संसाधन विभाग के तहत प्रदेश में दिसंबर 2019 तक 906 बड़े और 3617 छोटे बांध थे. एसडीएसओ ने 2016-17 से 2018-19 में 510 बांधों का निरीक्षण किया. जिसमें से श्रेणी-दो के 72 और श्रेणी-एक के एक बांध की तत्काल मरम्मत की जरूरत बताई थी. श्रेणी-दो के तहत चयनित 16 संभागों के बांधों में मुख्य भाग से पानी के रिसाव, सीपेज, नालियां चोक होने जैसी बड़ी कमियां सामने आई थीं. CAG Report on MP Dam