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कोरोना का इफेक्ट: खतरे में भविष्य बनाने वालों का 'भविष्य', MP में 550 प्ले स्कूल पर लटका ताला, संचालक बिजनेस बदलने को मजबूर

कोरोनाकाल में लगे लॉकडाउन के बाद से 2 साल बीतने को लेकिन स्कूल संचालकों की मुश्किलें खत्म होती दिखाई नहीं दे रही हैं. प्रदेश में लगभग 550 प्ले स्कूल बंद हो चुके हैं. कोरोना की मार झेल रहे कई स्कूल संचालकों ने अपना बिजनेस बदल लिया है. कोई किराना दुकान चला रहा है तो कोई सिलाई कढ़ाई सिखाकर अपना परिवार पाल रहा है. प्ले स्कूल संचालक सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

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कोरोना का इफेक्ट: खतरे में भविष्य बनाने वालों का 'भविष्य',
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Published : Jul 13, 2021, 10:59 PM IST

भोपाल। कोरोना काल से बंद पड़े स्कूल संचालकों के लिए परेशानी का सबब बन चुके हैं. खास तौर पर प्ले ग्रुप और नर्सरी स्कूल चलाने वाले संचालकों के सामने खर्च बेतहाशा हैं और आमदनी जीरो. प्लेग्रुप स्कलू के संचालकों की परेशानी ज्यादा बड़ी है छोटे बच्चे ऑनलाइन क्लास ले नहीं सकते और पेरेंट्स इन हालातों में बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाहते. बीते लगभग 2 साल से इसी समस्या से जूझ रहे प्लेग्रुप स्कूलों के कई संचालक स्कूल बंद कर नया बिजनेस तलाश रहे हैं वहीं कुछ अपने स्कूलों में ही सिलाई प्रशिक्षण केंद्र और झूलाघर चलाने पर मजबूर हैं.

500 से ज्यादा प्ले स्कूलों पर लटके ताले

कोरोना की सबसे ज्यादा प्ले स्कूलों पर पड़ी है. बीते 2 साल से बंद पड़े कई स्कूलों के संचालक दूसरे बिजनेस में शिफ्ट हो गए हैं. राजधानी भोपाल के ही साकेत नगर का प्ले स्कूल अब सिलाई केंद्र में तब्दील हो गया है. ऐसा इसी स्कूल के साथ नहीं है भोपाल में करीब 500 से ज्यादा प्ले स्कूलों पर ताले लटके हैं. इनमें अधिकतर प्ले स्कूल ऐसे थे जो किराए की बिल्डिंग में चल रहे थे, लेकिन कोरोना काल में न तो बच्चे स्कूल आए और न फीस मिली ऊपर से स्टाफ की सैलरी, बिजली का बिल और बिल्डिंग का रैंट देना उनके लिए मुश्किल हो रहा है. स्कूल संचालक सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी अभीतक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

सिलाई कढ़ाई कर पाल रहे हैं परिवार
साकेत नगर का ड्रीम फ्लावर प्ले स्कूल भी पिछले दो साल से बंद है. स्कूल की संचालिका मंजू निर्मल ने लॉकडाउन से पहले जनवरी में ही स्कूल शुरु किया था, लेकिन महीने भर भी स्कूल नहीं चला और लॉकडाउन लगने के बाद स्कूल बंद करना पड़ा. कुछ दिनों तक तो बच्चों को ट्यूशन देकर गुजारा किया , लेकिन जब ट्यूशन के लिए भी बच्चों का आना बंद हो गया तो जीवन -यापन करना काफी मुश्किल हो गया था. इसलिए वे अब सिलाई-कढ़ाई करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. मंजू की तरह है प्ले स्कूल चलाने वाले संचालक ने स्कूल बंद कर किराना दुकान खोल ली है.


प्ले स्कूल संचालकों के लिए कठिन समय
कुछ बड़े स्कूल ऑनलाइन एक्टिविटी के जरिए कुछ बच्चों को जोड़े हुए हैं, लेकिन ऑनलाइन क्लासेस की टाइमिंग काफी ज्यादा है. स्कूल कब तक खुलेंगे, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और ना कोई तैयारी है. अरेरा कालोनी स्थित प्ले स्कूल के संचालक करते हैं कि स्कूल संचालकों के लिए बेहद कठिन समय है. किसी तरह वे बहुत कम रिसोर्स के साथ स्कूल चला रहे हैं. सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है. भोपाल के 90 फीसदी स्कूल बंद हो गए हैं. शहर और इसके आसपास 550 से अधिक प्ले स्कूल हैं. इनमें तकरीबन 15 हजार बच्चे पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन लाकडाउन के कारण कई स्कूल बंद हो चुके हैं. स्कूल संचालक सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन फिलहाल सरकार इनकी अनदेखी कर रही है और उनकी स्थितियां जस कि तस हैं.

भोपाल। कोरोना काल से बंद पड़े स्कूल संचालकों के लिए परेशानी का सबब बन चुके हैं. खास तौर पर प्ले ग्रुप और नर्सरी स्कूल चलाने वाले संचालकों के सामने खर्च बेतहाशा हैं और आमदनी जीरो. प्लेग्रुप स्कलू के संचालकों की परेशानी ज्यादा बड़ी है छोटे बच्चे ऑनलाइन क्लास ले नहीं सकते और पेरेंट्स इन हालातों में बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाहते. बीते लगभग 2 साल से इसी समस्या से जूझ रहे प्लेग्रुप स्कूलों के कई संचालक स्कूल बंद कर नया बिजनेस तलाश रहे हैं वहीं कुछ अपने स्कूलों में ही सिलाई प्रशिक्षण केंद्र और झूलाघर चलाने पर मजबूर हैं.

500 से ज्यादा प्ले स्कूलों पर लटके ताले

कोरोना की सबसे ज्यादा प्ले स्कूलों पर पड़ी है. बीते 2 साल से बंद पड़े कई स्कूलों के संचालक दूसरे बिजनेस में शिफ्ट हो गए हैं. राजधानी भोपाल के ही साकेत नगर का प्ले स्कूल अब सिलाई केंद्र में तब्दील हो गया है. ऐसा इसी स्कूल के साथ नहीं है भोपाल में करीब 500 से ज्यादा प्ले स्कूलों पर ताले लटके हैं. इनमें अधिकतर प्ले स्कूल ऐसे थे जो किराए की बिल्डिंग में चल रहे थे, लेकिन कोरोना काल में न तो बच्चे स्कूल आए और न फीस मिली ऊपर से स्टाफ की सैलरी, बिजली का बिल और बिल्डिंग का रैंट देना उनके लिए मुश्किल हो रहा है. स्कूल संचालक सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी अभीतक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

सिलाई कढ़ाई कर पाल रहे हैं परिवार
साकेत नगर का ड्रीम फ्लावर प्ले स्कूल भी पिछले दो साल से बंद है. स्कूल की संचालिका मंजू निर्मल ने लॉकडाउन से पहले जनवरी में ही स्कूल शुरु किया था, लेकिन महीने भर भी स्कूल नहीं चला और लॉकडाउन लगने के बाद स्कूल बंद करना पड़ा. कुछ दिनों तक तो बच्चों को ट्यूशन देकर गुजारा किया , लेकिन जब ट्यूशन के लिए भी बच्चों का आना बंद हो गया तो जीवन -यापन करना काफी मुश्किल हो गया था. इसलिए वे अब सिलाई-कढ़ाई करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. मंजू की तरह है प्ले स्कूल चलाने वाले संचालक ने स्कूल बंद कर किराना दुकान खोल ली है.


प्ले स्कूल संचालकों के लिए कठिन समय
कुछ बड़े स्कूल ऑनलाइन एक्टिविटी के जरिए कुछ बच्चों को जोड़े हुए हैं, लेकिन ऑनलाइन क्लासेस की टाइमिंग काफी ज्यादा है. स्कूल कब तक खुलेंगे, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और ना कोई तैयारी है. अरेरा कालोनी स्थित प्ले स्कूल के संचालक करते हैं कि स्कूल संचालकों के लिए बेहद कठिन समय है. किसी तरह वे बहुत कम रिसोर्स के साथ स्कूल चला रहे हैं. सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है. भोपाल के 90 फीसदी स्कूल बंद हो गए हैं. शहर और इसके आसपास 550 से अधिक प्ले स्कूल हैं. इनमें तकरीबन 15 हजार बच्चे पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन लाकडाउन के कारण कई स्कूल बंद हो चुके हैं. स्कूल संचालक सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन फिलहाल सरकार इनकी अनदेखी कर रही है और उनकी स्थितियां जस कि तस हैं.

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